रायबरेली: जमीन हथियाने के मामले में उड़वा प्रधान और उनके भाई पर आरोप तय, जानें पूरा मामला
लंबी जांच के बाद पुलिस ने न्यायालय में प्रस्तुत किया आरोप पत्र

रायबरेली, अमृत विचार। फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र और कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर जमीन हथियाने के बहुचर्चित मामले में ऊंचाहार पुलिस ने जगतपुर के उड़वा ग्राम प्रधान और उनके भाई को जांच में दोषी पाया है। इसी के साथ मृतक के फर्जी वारिस बनने वाले व्यक्ति को भी पुलिस ने दोषी पाया है। पुलिस ने न्यायालय में तीन लोगों के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया है। जिसके बाद हड़कंप मचा हुआ है।
मामला जगतपुर थाना क्षेत्र के उड़वा गांव का है । गांव में राजस्थान के भरतपुर निवासी प. सीताराम शर्मा की करीब आठ एकड़ भूमि थी । उन्होंने इस भूमि की वसीयत 12अप्रैल 2001 में गांव के मोहित सिंह और शोभित सिंह के पक्ष में की थी । जिसमें सीताराम का इकलौता बेटा देव प्रकाश गवाह था । सीताराम की मृत्यु के उपरांत इस भूमि को हथियाने के लिए खेल किया गया । जिसमें फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए। मामले में जब जांच शुरू हुई तो सारी पोल खुल गई । इसके बाद पुलिस ने एसडीएम के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज की । जिसकी विवेचना ऊंचाहार पुलिस को सौंपी गई थी । पुलिस ने जांच के बाद गांव के प्रधान रमेश मिश्र , उनके भाई अवधेश मिश्र और मृतक का फर्जी वारिस बनने वाले राजस्थान निवासी शिव प्रकाश को दोषी मानते हुए आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया है । इस प्रकरण में राजस्व कर्मचारी कानून गो और लेखपाल समेत अन्य भी आरोपित हैं। जिनके विरुद्ध जांच चल रही है । ऊंचाहार कोतवाल बालेंदु गौतम ने बताया कि मामले में विवेचना के दौरान प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर आरोप पत्र दाखिल किया गया है ।
यह रहा फर्जीवाड़ा
उड़वा गांव की बेस कीमती जमीन को हासिल करने के लिए आरोपितों द्वारा राजस्थान के भरतपुर नगर निगम द्वारा जमीन के स्वामी सीताराम शर्मा और उनके बेटे देव प्रकाश का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया गया था। जिसमें 10 जुलाई 2000 को सीताराम शर्मा और 15 जून 2008 को उनके बेटे देव प्रकाश की मृत्यु को दर्शाया गया।
मामला जब विवादित हुआ और इसकी जांच शुरू हुई तो यह पता चला कि सीताराम शर्मा सरकारी कर्मचारी थे और उन्होंने 5 जुलाई 2002 तक अपनी पेंशन प्राप्त की है, जबकि उनके बेटे देव प्रकाश ने 11सितंबर 2008 में अपनी कुछ भूमि का विक्रय किया है।
जिससे यह प्रतीत होता है कि यह मृत्यु प्रमाण पत्र फर्जी हैं ।इस प्रकरण में भरतपुर नगर निगम द्वारा भी जांच की गई तो जांच में जारी हुए मृत्यु प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए ।जबकि वास्तव में सीताराम शर्मा की मृत्यु 11 जुलाई 2002 और उनके बेटे देव प्रकाश की मृत्यु 7 अप्रैल 2010 को हुई थी। इस मामले में नगर निगम द्वारा भी प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
फर्जी बेटा भी आया था सामने
जमीनी विवाद में एक तीसरा किरदार भी सामने आया था। राजस्थान से आए शिव प्रकाश नामक व्यक्ति ने खुद को सीताराम शर्मा का बेटा और उनकी भूमि का वारिस बताते हुए दावा किया था ।जबकि सीताराम शर्मा के पुत्रों की पहले मौत हो चुकी थी। भूमि की वसीयत के समय उनका इकलौता बेटा देव प्रकाश जीवित था ।जांच में यह सारे तथ्य भी सामने आए हैं ।उसके बाद पुलिस ने शिव प्रकाश के विरुद्ध भी न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया है।
विधायक के हस्तक्षेप से चर्चा में आया था मामला
जमीनी विवाद का यह मामला उस समय खासा चर्चित हो गया था ,जब क्षेत्रीय विधायक ने मामले में गांव के प्रधान और उनके पक्ष को सही ठहराते हुए अधिकारियों को पत्र लिखा। यही नहीं विधायक ने विधानसभा की लोक लेखा समिति के समक्ष भी मामला प्रस्तुत किया था।
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