रायबरेली : मंगतनडेरा मजरे बांसी के घरों में नहीं जले चूल्हे, एक साथ खोदी गई पांच बच्चों की कब्र
अमृत विचार, रायबरेली । गदागंज के मंगतनडेरा मजरे बांसी में शनिवार को जिस तरह जेसीबी से खोदे गए तालाब ने मौत का खेल खेला उसकी भयावहता रविवार को भी बनी रही। पांच बच्चों की तालाब में डूबने से मौत के बाद मजरे में मातम सा सन्नाटा पसरा हुआ है। किसी भी घर में चूल्हे नहीं जले। वहीं पोस्टमार्टम के बाद जब पांच शव आए तो उनकी कब्र बनाई गई जिसे देखकर लोगों की रूह कांप गई। मौत कितनी भयावह होती है इसका अंदाजा इस घटना से सामने आ रहा है।
पोस्टमार्टम के बाद शव गांव पहुंचे तो पांचों बच्चों के परिवार बिलख पड़े। पिछले दो दिन से किसी ने भी अन्न का निवाली मुंह में नहीं डाला है। घटना इतनी हृदयविदारक है कि गांव में भी लोगों के घरों के चूल्हे शांत रहे। रविवार को एक साथ पांच कब्र बनाई गई तथा उसके बाद मृत बच्चों को दफनाया गया। शवों को देख परिजनों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। वहीं रविवार सुबह ब्लाक प्रमुख गौरा सविता मौर्य ने पहुंचकर पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान की साथ ही अपने साहस के साथ तीन मासूमों की जान बचाने वाली किशोरी को भी आर्थिक मदद की।
मालूम हो कि मामले को लेकर सीएम के निर्देश पर पीड़ित परिवारों को 4-4 लाख की अहैतुक सहायता देने का है लेकिन रविवार को सहायता राशि को लेकर कोई अधिकारी गांव नहीं पहुंचा। ज्ञात हो कि गांव में शनिवार को तालाब में नहाते समय रीतू, बैशाली, सोनम, रूपाली और अमित की मौत हो गई थी। गांव के पांच बच्चों की एकसाथ हुई मौत ने पूरे गांव की खुशियां छीन ली है। गांव की हर गली मातम में डूबी है। सावन महीना होने के बावजूद शनिवार से गांव का एक भी किसान खेत तक नहीं गया है। पूरे गांव की जिंदगी ठहर सी गई है। हर घर में खामोशी छाई है। रुक रुक कर महिलाओं की चीख इस खामोशी को तोड़ती है । गांव के हर शख्स का चेहरा गम में डूबा है।
सिस्टम के खोखलेपन में चली गई 72 घंटे में 8 बच्चों की जान
अमृत विचार, रायबरेली । 72 घंटे में आठ मासूमों को सिस्टम के दीमक ने अपना शिकार बना लिया। दो दिन पहले सलोन में गंगा एक्सप्रेस-वे की मिट्टी सैंपलिंग के लिए खोदे गए गड्ढे में डूबकर दो बच्चों की मौत हो जाती है, इस घटना का कोहराम शांत नहीं हुआ था कि शनिवार को गदागंज के मंगताडेरा मजरे बांसी में जेसीबी से अवैध तरीके से हुई खोदाई से हुए गड्ढे में भरे बारिश की पानी में डूबकर पांच बच्चों की मौत हो गई। जेसीबी से हुई खोदाई के मामले में स्थानीय प्रशासन लापरवाह बना रहा।
वहीं इन बच्चों की मौत के बाद उनके परिवार में कोहराम मचा है। घर का आंगन हो या फिर गांव की गलियां कल तक इन्हीं बच्चों की धमाचौकड़ी रहती थी। वह आज सूनी पड़ी हैं। वहीं दूसरी ओर महज कुछ महीने पहले ही परिवार में खुशियां लेकर आए बच्चे के जाने का बोझ उनके माता-पिता नहीं उठा पा रहे हैं। उन्हें क्या पता था कि जहां पर अपने लाडले को बेहतर इलाज के लिए लेकर आए हैं, वहीं पर उनकी मौत की पटकथा लिखी जा रही है। एम्स में देर रात बच्चे ने दम तोड़ दिया। दो दिन से नींद में सो रहे प्रशासनिक अमले की नींद भी तब टूटी, जब मासूम की जान चली गई।
गंगा एक्सप्रेस-वे के जिम्मेदारों पर कब होगी कार्रवाई
गंगा एक्सप्रेस वे का काम इन दिनों जिले में तेजी से चल रहा है। अधिकांश गांवों के आसपास इसके लिए मिट्टी खनन का कार्य किया जा रहा है। इसमें मानकों का तनिक भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसी का नतीजा रहा कि शुक्रवार को सलोन और शनिवार को को मंगता डेरा मजरे बांसी में तालाब में डूबने से सात मासूम की जान चली गई। मिट्टी खनन के कारोबार में एक्सप्रेस-वे के साथ स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत है। यही वजह है कि मिट्टी खनन के कारण ऐसे सैकड़ों गड्ढे बन गए हैं।
कार्रवाई से बच रहा स्वास्थ्य महकमा
नेहरू नगर स्थित प्राइवेट अस्पताल में बच्चे की मौत के बाद भी स्वास्थ्य महकमा कार्रवाई से बचता रहा है। शिकायत के बाद अब तक सिर्फ खानापूरी ही की गई। जांच के लिए एसीएमओ अरविंद कुमार जरूर पहुंचे, लेकिन चिकित्सक के चेंबर में बैठकर कुछ कागजों को देखकर चले गए। दिखावे के लिए एक कमरे को जरूर सील कर दिया। इस दौरान अस्पताल पर कोई आंच नहीं आई।
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