रुद्रपुर: अकृषक भूमि को कृषक दिखाकर सरकार को लगाया 55 लाख का चूना

Amrit Vichar Network
Published By Bhupesh Kanaujia
On

रुद्रपुर, अमृत विचार। जिला प्रशासन को एक साल से जांच का आदेश होने के बावजूद 55 लाख रुपये राजस्व स्टांप घोटाला के प्रकरण दबा हुआ है। जिसको लेकर शिकायतकर्ताओं ने प्रशासन के कुछ अधिकारियों पर मिलीभगत होने का आरोप लगाते हुए प्रकरण की निष्पक्ष जांच किए जाने का मुद्दा उठाया है।

उनका कहना था कि नियमों को ताक पर रखकर अकृषक भूमि को कृषक भूमि में दर्ज कर औने-पौने दामों में बेच दिया गया है। इसी को लेकर शिकायतकर्ताओं ने एक बार फिर जांच को लेकर मशक्कत करनी शुरू कर दी है।

शिकायतकर्ता आलोक सिंह, लोकेश सिंह और बलविंदर सिंह बल्लू ने बताया कि शिमला पिस्तौर में तीन एकड़ की अकृषक भूमि है। जिसकी वास्तविक कीमत 11 करोड़ के करीब है। आरोप था कि रुद्रपुर का रहने वाले एक युवक ने जिला एवं तहसील प्रशासन के कुछ अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर अकृषक भूमि यानी 143 की भूमि को महज 40 दिन में कृषक भूमि में दर्ज करवाया और बाद में इसे औने-पौने दामों में उसी व्यक्ति के नाम दर्ज कर दी।

जिसके नाम अकृषक भूमि पहले ही दर्ज थी, जबकि 144 कृषक भूमि को दर्ज करने की प्रक्रिया का समय छह माह का होता है। उन्होंने बताया कि 11 करोड़ की भूमि पर पांच फीसदी के हिसाब से 55 लाख रुपये का राजस्व स्टांप बनता है। मगर मिलीभगत के कारण इसे चंद पैसों में बेच दिया गया, जबकि भुगतान का कोई विवरण नहीं दिया गया।

उन्होंने बताया कि इसी मामले को लेकर एक साल पहले आई स्टांप सहित प्रशासनिक अधिकारियों को शिकायती पत्र दिया गया। जिस पर आईजी स्टांप ने एक रिपोर्ट बनाकर प्रशासन अधिकारियों को प्रेषित की और जांच किए जाने का भी हवाला दिया। मगर एक साल बीत जाने के बाद भी अभी प्रशासन के किसी नुमाइंदे ने 55 लाख स्टांप चोरी के इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने बताया कि जब इस सरकारी चोरी का पर्दाफाश नहीं होगा। वह लगातार पत्राचार करते रहेंगे।

संबंधित समाचार