IIT Convocation 2023: आईआईटी कानपुर के 56वें दीक्षांत समारोह में 2127 मेधावियों को मिलीं डिग्री, पढ़ें- पूरी खबर

आईआईटी कानपुर के 56वें दीक्षांत समारोह में 2127 मेधावियों को मिलीं डिग्री।

IIT Convocation 2023: आईआईटी कानपुर के 56वें दीक्षांत समारोह में 2127 मेधावियों को मिलीं डिग्री, पढ़ें- पूरी खबर

आईआईटी कानपुर के 56वें दीक्षांत समारोह में 2127 मेधावियों को मिलीं डिग्री। डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी, एन चन्द्रशेखरन और मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम को डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई।

कानपुर, अमृत विचार। आईआईटी कानपुर के 56वें दीक्षांत समारोह में सोमवार को 2127 छात्र-छात्राओं को उपाधियां दी गईं। सीएसई विभाग के छात्र फरजान आदिल को राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। नारायण हेल्थ के संस्थापक डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी, टाटा संस के अध्यक्ष एन चन्द्रशेखरन और मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम को डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई। हालांकि मानद उपाधि के लिए चयनित अतिथि आईआईटी नहीं आ सके।

डॉ. शेट्टी ऑनलाइन जुड़कर मेधावियों का उत्साह बढ़ाया। मुख्य अतिथि एवं इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने युवाओं में ऊर्जा का संचार किया। उन्होंने मेधावियों को पदक पहनाकर और डिग्री देकर सम्मानित किया। डायरेक्टर प्रो. अभय करंदीकर ने मेधावी छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन किया। 

एनआर नारायण मूर्ति ने आईआईटी में छात्र रहते हुए बताए गए दिनों को याद किया। कहा कि जब मैं आईआईटी कानपुर में 1969 में पढ़ता था तो C 209 रूम में रहता है। यह रूम ऐसा था, जिसमें सभी दोस्त यार आते थे और हम लोग खूब मस्ती करते थे। मेरा रूम कॉमन था। जब मैं इस परिसर में खड़ा होता हूं तो आईआईटी छात्र दिनों की सुखद यादें मेरे दिमाग में आ जाती हैं। पहले के मुताबिक अब आईआईटी के छात्र बहुत ही स्मार्ट हो गए हैं। 

देश-विदेश में पहचाने जा रहे आईआईटी के छात्र

आईआईटी बोर्ड ऑफ गवर्नेंस के चेयरमैन राधा कृष्ण ने कहा कि आज आप सभी को जो उपाधि मिली है वह आपकी मेहनत का फल है। आज का दिन आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण है और आपको इसी मेहनत और लगन के साथ अब आगे बढ़ना है। आज आईआईटी के छात्र पूरे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना रहे हैं। आपको भी ऐसा ही करके दिखाना है। यदि आपकी मेहनत रुकी नहीं तो आप भी एक दिन बड़ा नाम कमाएंगे। अपने काम के प्रति हमेशा ईमानदार रहें, सफलता अपने आप हाथ लगेगी।

राष्ट्रपति पदक से सम्मानित आदिल का रिसर्च पर फोकस 

राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से सम्मानित फरजान आदिल कानपुर के रहने वाले हैं। फरजान ने बताया कि उनके पिता और मां कैश्मीरा बिजनेस करती हैं। मुझे अलग-अलग विषयों में रिसर्च करना बहुत अच्छा लगता है। इसलिए मैंने इंजीनियरिंग करने की सोची। पढ़ाई में कितना संघर्ष रहा? इस सवाल पर फरजान ने कहा कि पढ़ाई में संघर्ष नहीं होता, यदि आप किसी क्षेत्र में रुचि रखते हैं तो उसमें कठिनाइयां कभी नहीं आती, बल्कि वह चीज आपको आनंद देती है। उन्होंने कहा कि जॉब ऑफर है लेकिन अभी जॉब करने का विचार नहीं है। फिलहाल रिसर्च करने पर फोकस है। 

इन कोर्सेज में दी गई उपाधियां

कुल 2127 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई। डिग्रियों में 236 पीएचडी, 15 एमटेक-पीएचडी (संयुक्त डिग्री), 483 एमटेक, 739 बीटेक, 21 एमबीए, 16 एमडी, 51 एमएस (अनुसंधान द्वारा), 40 पीजीपीईएक्स-वीएलएफएम, आईआईटी (डीआईआईटी) का 1 डिप्लोमा, 151 एमएससी (2-वर्षीय पाठ्यक्रम), 18 डबल मेजर, 125 दोहरी डिग्री, 14 एमएस-पीडी (दोहरी डिग्री का एमएस भाग), 149 बीएस और 68 ई-मास्टर डिग्री कार्यक्रम शामिल हैं।

यूएस में 22 लाख का मिला है पैकेज

निदेशक स्वर्ण पदक से सम्मानित बीएसबीई विभाग के लक्ष्य रस्तोगी ने कहा कि कठिनाइयों से कभी डरना नहीं चाहिए, जब आप सफलता की तरफ बढ़ते हैं तो कई कठिनाइयां आपके सामने आती है। यही संघर्ष आपको सफलता तक पहुंचाता है। उत्तराखंड के काशीपुर निवासी लक्ष्य रस्तोगी के पिता डॉ. प्रदीप रस्तोगी डॉक्टर हैं। उन्होंने कहा कि मुझे डॉक्टर बनने का मन नहीं था। इसलिए मैंने इंजीनियरिंग चुनी। यूएसए की कंपनी ने 22 लाख का पैकेज दिया है। 3 साल नौकरी करने के बाद मैं मास्टर की पढ़ाई करूंगा।

आईआईटी कानपुर से पीएचडी करूंगा

ईई विभाग के विनीत वी को डॉ. शंकर दयाल शर्मा पदक से सम्मानित किया गया। केरला निवासी विनीत वी ने कहा कि मैं बाहर का जरूर था लेकिन कैंपस में आने के बाद कभी बाहर रहने की फीलिंग नहीं आई, क्योंकि कैंपस का यहां पर बहुत सपोर्ट मिला। यहां पर हर तरह का माहौल देखा और बहुत कुछ सीखने को मिला। अब मुझे यहीं से पीएचडी भी करनी है। जब डिपार्टमेंट आपके साथ खड़ा रहता है तो सारी कठिनाइयां अपने आप दूर हो जाती हैं।

आईएएस बनना है सपना

एमएससी विभाग की नंदिता गुप्ता को रतन स्वरूप मेमोरियल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मुंबई निवासी नंदिता ने कहा कि पिता निर्भय गुप्ता भी इंजीनियर है। उनको देखकर ही मैंने भी इंजीनियरिंग करने की सोची, लेकिन अब मुझे यूपीएससी की तैयारी करनी है। आईएएस बनना मेरा सपना है। उन्होंने अपनी पढ़ाई को लेकर कहा कि जब दोस्त साथ में होते हैं तब मस्ती मस्ती में सभी दिन कट जाते हैं। इस कैंपस में जो समय काटा वह पता ही नहीं चला।

पढ़ाई के साथ खेल भी जरूरी 

सीएसई विभाग की अनन्या गुप्ता को निदेशक स्वर्ण पदक दिया गया। दिल्ली की रहने वाली अनन्या ने कहा कि मेरे पिता अनुज गुप्ता इंजीनियर हैं और मां मोनिका गुप्ता डॉक्टर हैं, लेकिन मैंने इंजीनियरिंग लाइन में जाना ज्यादा पसंद किया। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के दौरान समय कैसा रहा? इस सवाल पर अनन्या ने कहा कि कई मुश्किलें सामने आई लेकिन यहां पर सब कुछ आसान हो जाता था। मैं पढ़ाई के साथ साथ स्पोर्ट्स में भी काफी रुचि रखती हूं, क्योंकि स्पोर्ट्स एक ऐसी चीज है जो आपके शरीर और मस्तिष्क को हमेशा स्वस्थ रखता है। गुड़गांव की कंपनी ने 18 लाख का पैकेज दिया है।

इन मेधावियों को मिले प्रमुख पदक 

दीक्षांत समारोह में विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट छात्रों को भी सम्मानित किया गया। कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग (सीएसई) के फरजान आदिल बायरामजी को राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग (सीएसई) से अनन्या गुप्ता को निदेशक का स्वर्ण पदक (4-वर्षीय यूजी कार्यक्रम) दिया गया। जबकि जैविक विज्ञान और बायो इंजीनियरिंग विभाग (बीएसबीई) के लक्ष्य रस्तोगी को निदेशक के स्वर्ण पदक (5-वर्षीय यूजी कार्यक्रम) से सम्मानित किया गया। सामग्री विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग (एमएसई) से नंदिता गुप्ता को रतन स्वरूप मेमोरियल पुरस्कार प्राप्त हुआ, और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग (ईई) से विनीत वी को प्रतिष्ठित डॉ. शंकर दयाल शर्मा पदक से सम्मानित किया गया।