बरेली: अंतिम दौर में आकर फिर उलझा रबड़ फैक्ट्री केस

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Published By Vishal Singh
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मुंबई हाईकोर्ट में शुक्रवार को भी नहीं पहुंची अलकेमिस्ट कंपनी, फैसला टला, कोर्ट ने अगली तारीख भी नहीं दी

बरेली, अमृत विचार। फैसला सुनाने के अंतिम दौर में आकर रबड़ फैक्ट्री का केस उलझता सा लगने लगा है। अलकेमिस्ट रिकंस्ट्रक्शन एसेट कंपनी शुक्रवार को भी दस्तावेजी साक्ष्य दाखिल करने मुंबई हाईकोर्ट नहीं पहुंची, लिहाजा हाईकोर्ट में न सुनवाई हुई न फैसला सुनाया जा सका। हाईकोर्ट ने इस बार फैसले की कोई नई तारीख भी नहीं दी, लिहाजा आशंका जताई जा रही है कि रबड़ फैक्ट्री का केस लंबे समय के लिए लटक सकता है।

फतेहगंज पश्चिमी में करीब 22 साल से बंद बड़ी रबड़ फैक्ट्री की 18 सौ करोड़ की जमीन पर स्वामित्व का केस मुंबई हाईकोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार और अलकेमिस्ट रिकंस्ट्रक्शन एसेट कंपनी के बीच चल रहा है। इसमें सुनवाई कई महीने पहले पूरी हो चुकी है, मार्च के बाद अब तक फैसले के लिए तीन बार तारीख मुकर्रर की जा चुकी है लेकिन तीनों बार फैसला टल चुका है। हाईकोर्ट में अब तक हुई सुनवाई के दौरान अलकेमिस्ट कंपनी नियमित रूप से उपस्थिति बनाए हुए थी लेकिन मामला अंतिम दौर में पहुंचने के बाद बुधवार को उसके साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए दो दिन का समय मांग लेने से फैसला टल गया, अब शुक्रवार को वह पेश ही नहीं हुई न ही हाईकोर्ट में साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए और मोहलत के लिए अर्जी दी।

मुंबई हाईकोर्ट के शुक्रवार को फैसले के लिए कोई नई तारीख तय न करने से असमंजस और बढ़ गया है। इस केस में राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिकारी भी अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं कि अब फैसले की तारीख कब निर्धारित होगी। माना जा रहा है कि अलकेमिस्ट का लिखित पक्ष सुनने के बाद ही बॉम्बे हाईकोर्ट फैसले की तारीख घोषित करेगा। इसमें लंबा वक्त लगने की भी आशंका जताई जा रही है। फैसला राज्य सरकार के पक्ष में होने की उम्मीद जताई जा रही थी लिहाजा उसके टलने से राज्य सरकार को फिर करारा झटका लगा है।

जिला प्रशासन की ओर से पैरवी करने मुंबई गए यूपीसीडा के क्षेत्रीय प्रबंधक संतोष कुमार ने अलकेमिस्ट की ओर से लिखित पक्ष रखने कोई नहीं आया। अगली तारीख कब मिलेगी, कुछ मालूम नहीं है। राज्य सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सी सिंह भी केस में पैरवी करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचे थे।

लीज डीड की वजह से राज्य सरकार का पलड़ा भारी
बॉम्बे हाईकोर्ट में पिटीशन संख्या 999/2020 अलकेमिस्ट एसेट्स रिकंस्ट्रक्शन लिमिटेड बनाम मेसर्स सिंथेटिक एंड केमिकल्स लिमिटेड व अन्य में राज्य सरकार की ओर से हस्तक्षेप आवेदन दाखिल है। फतेहगंज पश्चिमी में रबड़ फैक्ट्री के लिए 1960 के दशक में मुंबई के सेठ किलाचंद को 1382.23 एकड़ भूमि तत्कालीन राज्य सरकार ने सिर्फ 3.40 लाख रुपये लेकर लीज पर दी थी। लीज डीड यह शर्त शामिल थी कि अगर कभी फैक्ट्री बंद होगी तो उसकी जमीन पर राज्य सरकार का कब्जा बरकरार रहेगा, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था। फैक्ट्री 15 जुलाई 1999 से बंद है। उसकी जमीन की मौजूदा कीमत 18 सौ करोड़ रुपये से ज्यादा बताई जाती है।

फैक्ट्री कर्मचारियों को भी तगड़ा झटका
फैसला फिर टल जाने से रबड़ फैक्ट्री के उन कर्मचारियों को भी तगड़ा झटका लगा है जो जल्द अपना बकाया भुगतान मिलने की आस लगाए बैठे थे। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के ऑफिशियल लिक्विडेटर (आधिकारिक परिसमापक) ने रबड़ फैक्ट्री के 1432 कर्मचारियों के डाटा को सही माना था। इसके बाद डिप्टी ऑफिशियल लिक्विडेटर की ओर से कर्मचारियों से इस आशय का शपथपत्र मांगा गया है कि फैक्ट्री बंद होने के बाद उन्होंने कहीं दूसरी जगह नौकरी तो नहीं की। करीब 900 कर्मचारियों ने अपने शपथ पत्र रबड़ फैक्ट्री यूनियन के नेता अशोक कुमार मिश्रा के पास जमा किए हैं। बकौल अशोक मिश्रा, वह कर्मचारियों के शपथपत्र लेकर मुंबई जाएंगे। साथ ही रबड़ फैक्ट्री केस की सही स्थिति भी मालूम करेंगे।

कोर्ट के बाहर भी अलकेमिस्ट और राज्य सरकार के बीच चल रही है बातचीत
रबड़ फैक्ट्री प्रकरण का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि मुंबई हाईकोर्ट में यह केस फैसले के दौर में पहुंचने के बाद अलकेमिस्ट रिकंस्ट्रक्शन एसेट कंपनी की राज्य सरकार से अदालत से बाहर भी बातचीत शुरू हुई है। बरेली की कमिश्नर के साथ अलकेमिस्ट के अधिकारियों की एक बैठक हो चुकी है। इसमें लंबी बातचीत के बाद कमिश्नर की ओर से अलकेमिस्ट से कुछ दस्तावेजों की मांग की गई थी। अगली बैठक चार जुलाई को होनी है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अलकेमिस्ट की मुंबई हाईकोर्ट में अनुपस्थिति और बरेली में कमिश्नर के साथ बैठक में कोई संबंध तो नहीं है।

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