हद है! सुन लो, अब तुम दिखना नहीं पुलिस स्टेशन पर...
पुरबिया एक्सप्रेस में लुटेरों के शिकार बने लोको पायलट को जीआरपी उप निरीक्षक की फटकार
16 जून की घटना की रिपोर्ट के लिए रामपुर गया रेलवे कर्मचारी, शातिरों की पहचान कराने के बाद पीड़ित भटक रहा है दर-दर
मुरादाबाद,अमृत विचार। उत्तर रेलवे की ट्रेन और वातानुकूलित डिब्बे में यात्रा की सुरक्षा का सच डरावना है। उससे अधिक असंवेदनशील रवैया है यहां रेलवे पुलिस थाना के वर्दीधारी का। रेलवे कर्मचारी को घटना की रिपोर्ट पंजीकृत कराने में नाकों चने चबाने पड़े। घटना में शामिल शातिरों की पहचान करने के बाद पीड़ित आभूषण के लिए दर-दर भटक रहा है। हद तो यह है कि थाने के निरीक्षक ने पीड़ित को यह कह कर थाने से खदेड़ दिया कि दोबारा यहां पुलिस स्टेशन पर नहीं दिखाई देना।
घटना की पटकथा कुछ इस तरह है, मंडल मुख्यालय पर तैनात गुड्स ट्रेन के लोको पायलट बबलू कुमार पुरबिया एक्सप्रेस में तब लुट गये जब वह 16 जून को बिहार से लौट रहे थे। बबलू पुरबिया एक्सप्रेस के ए-टू कोच में पत्नी और बच्चों के साथ सवार थे। दलपतपुर से कटघर के बीच नाटकीय ढंग से इस रेल कर्मचारी के साथ लूट की घटना अंजाम दी गई। बकौल, बबलू कुमार- कटघर से दलपतपुर के बीच मेरे कोच में अचानक पांच लोग चढ़ गए। जबकि हम बैग सहित और सामान धीरे-धीरे अपने कूपे से बाहर की ओर निकालने लगे। इसमें से दो नौजवान अचानक मेरी मदद को तैयार हो गए। जबकि, मैं कोच के दरवाजे के नजदीक अपना झोला रखकर अंदर ट्राली बैग और सामान लाने चला गया।
शातिरों ने इस बीच दौरान टायलेट के नजदीक रखे ट्राली बैग का ऊपरी चेन में चीरा लगाकर 10,000 की नकदी और 3,00,000 के आभूषण निकाल लिए गए। स्टेशन पर ट्रेन करीब 11 बजे पहुंची, इस दौरान यात्रियों की भीड़ में मदद के लिए खड़े सभी अपरिचित गायब हो गए। ट्रेन से उतरने के बाद मैं अपने आवास चला गया, जहां मुझे 3:30 बजे से ड्यूटी ज्वाइन करनी थी। घर पर पत्नी ने बैग खोला तो सोने के आभूषण और नकदी गायब मिले। जिसकी जानकारी देने में थाना पहुंचा तो यहां से पुलिस ने क्षेत्राधिकार का मामला बताकर रामपुर भेज दिया। 17 जून को मेरी रामपुर में रिपोर्ट दर्ज हुई। उसके बाद मामला यहां थाने को भेज दिया गया। थाना पहुंचा तो यहां पुलिस के जवानों ने हमें कई शातिरों की तस्वीर दिखाई। जिसमें हमने दो की पहचान कर ली।
बबलू कुमार कहते हैं कि घटना के बावत पुलिस के हर सवाल का मैंने जवाब दिया, लेकिन थाने के निरीक्षक उदयवीर सिंह ने मुझे धमकाया। मेरी फरियाद अनसुनी की। बोले, बदमाशों के पकड़े जाने पर सामान वापस हो जाएगा, लेकिन इस बीच थाने पर दिखायी न देना। रेलवे के पुलिस अधीक्षक सीपी शुक्ला कहते हैं कि घटना की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। मामले में पुलिस टीम को कई महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं। जल्द ही इस मामले का पर्दाफाश हो जाएगा। उधर, थाना प्रभारी सुधीर कुमार निरीक्षक उदयवीर सिंह के प्रकरण से अनभिज्ञ हैं। कहते हैं कि अवकाश से लौट आया हूं। सबकी बात सुनता हूं। पीड़ित से बात करुंगा।
वादी को अगर मेरी विवेचना में विश्वास नहीं है तो वह केस ट्रांसफर करवा सकते हैं। दो दिन पहले मुझे जांच मिली है। वादी रेलवे का कर्मचारी है, उसकी नौकरी रेलवे स्टेशन से जुड़ी है। ऐसे में मेरे पर यहां दिखाई ने देने का आरोप गलत है। आरोप कोई कुछ भी लगा सकता है। पीड़ित को घटना की जानकारी यहां नहीं हुई। यह सवाल ही हमने पूछा था। इस मामले में रेलवे के कई कर्मचारी मुझसे पूछने आ गए थे। केस दर्ज कराने वाले ने मीडिया में भी बयान दिया है। मैं थाना नहीं आने और भाग जाने की बात भला क्यों कहूंगा? -उदयवीर सिंह, निरीक्षक जीआरपी
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