प्रदेश के टॉप 10 अपराधियों में शामिल था खान मुबारक, पढ़ाई के दौरान कलम से ज्यादा हथियार को दिया महत्व

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Published By Deepak Mishra
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अंबेडकरनगर/अमृत विचार। एक समय था जब माफिया डॉन खान मुबारक की तूती बोलती थी और उसके पीछे काफिला चलता था। हथियारों का शौकीन और निशानेबाजी में माहिर खान मुबारक ने जरायम की दुनिया में जब कदम रखा तो उसके बाद उसने पीछे मुडक़र नहीं देखा। प्रयागराज में पढ़ाई के दौरान ही खान मुबारक ने कलम से ज्यादा हथियार को महत्व दिया। नतीजा रहा कि वह प्रदेश के टॉप टेन अपराधियों में शामिल हो गया। लगभग सात वर्ष पहले माफिया डॉन खान मुबारक की इलाके में तूती बोलती थी। 

खान मुबारक के पीछे लंबा काफिला चलता था और उसके ठिकाने पर बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ भी जमा रहती थी। व्यापारियों से रंगदारी का मामला रहा हो या फिर जमीन पर कब्जे का खेल खान मुबारक ने जहां भी कदम रखा वहां खौफ के चलते लोग पीछे हटते गए। प्रशासन ने जब शिकंजा कसना शुरू किया तभी एक-एक करके खान मुबारक के साथ रहने वाले लोगों ने दूरी बनाना शुरु कर दिया।

जिस पैतृक गांव में माफिया डान खान मुबारक दरबार लगाता था, उसी गांव में मंगलवार को जब भारी सुरक्षा बल के बीच खान मुबारक का शव पहुंचा तो अगल बगल के लोग खिड़कियों से झांकते नजर आए। रिश्तेदार और अन्य लोग जनाजा लेकर जब कब्रिस्तान की तरफ  बढ़े तो महज दर्जन भर लोगों की भीड़ कब्रिस्तान तक पहुंची। जरायम की दुनिया में मजबूती से पांव जमाने वाले माफिया डॉन खान मुबारक का खामोशी से अंत हो गया।

गिरे घर और जनाजे को देखकर बिलखती रही बहन

मंगलवार को माफिया डॉन खान मुबारक का शव जैसे ही उसके पैतृक गांव हरसम्हार में पहुंचा तो उसकी बहन नाजमीन गांव में प्रशासन द्वारा जमीजोंद किए गए घर तथा भाई के जनाजे को देखकर रोती बिलखती नजर आई। क्षतिग्रस्त घर खुद देखकर बहन बार-बार कहती रही मेरा भाई इसी घर में रहता था, लेकिन आज ना ही घर बचा और ना ही मेरा भाई। अन्य रिश्तेदार और परिवारी जन उसे दिलासा देते नजर आए।

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