अयोध्या: रामपथ पर जनता राम भरोसे, अफसरों को वीआईपी ट्रीटमेंट

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Published By Deepak Mishra
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डीएम चौराहे से कमिश्नर आवास तक सिक्योरिटी के साथ बैरिकेडिंग, रोडवेज से नयाघाट तक अस्तव्यस्त बैरिकेडिंग, सुरक्षा भूल जाइए

अयोध्या/अमृत विचार। सहादतगंज से अयोध्या नयाघाट तक रामपथ निर्माण के लिए लगाई गई एजेंसी ने लापरवाही की पराकाष्ठा पार कर दी है। मंडल और जिले के हाकिमों को सब कुछ आल इज वेल नजर आए इसलिए उसने एक बड़ा खेल कर रखा है। निर्माण एजेंसी के इसी खेल में फंसे हाकिम लोग अयोध्या विकास के पथ पर को लेकर मुदित हो रहे हैं। रामपथ निर्माण की समीक्षा तो साप्ताहिक हो रही है लेकिन मानीटरिंग के नाम पर कुछ नहीं है।

निर्माण एजेंसी ने अफसर की आंखों में इतने करीने से धूल झोंक रखी है कि एजेंसी द्वारा पेश की जाने वाली प्रगति रिपोर्ट के सिवा उन्हें कुछ नजर नहीं आ रहा है। नतीजा जनता जनार्दन रोजाना दंश भोग रही है। निर्माण एजेंसी का खेल देखिये। सहादतगंज से अयोध्या नयाघाट तक करीब 13 किलोमीटर रामपथ बनाया जा रहा है, इस 13 किलोमीटर में करीब एक किलोमीटर सिविल लाइन का वह पाश इलाका है जहां हाकिम लोग निवास करते हैं। 

इस एक किलोमीटर के दायरे में आपको निर्माण के दौरान किए जाने वाली सारी व्यवस्था मिल जायेगी। जी हां डीएम चौराहे से लेकर कमिश्नर आवास तक निर्माण एजेंसी ने अफसरों के बंगलों के निकट की गई खोदाई में न केवल सिस्टम से बैरिकेडिंग लगा रखी बल्कि सिक्योरिटी गार्ड तक तैनात कर रखे हैं। 

इतना ही नहीं सिक्योरिटी गार्ड बैरिकेडिंग तभी हटाते हैं जब अफसरों की गाड़ियों को निकलना होता है जबकि जनसामान्य के वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से प्रतिबंधित है। निर्माण एजेंसी तो वैसे गलियों के मुहाने भी खोद दे रही है लेकिन यहां ऐसा नहीं है, तरीके से आने जाने का रास्ता खुला रखा गया है। एजेंसी की यह सारी कवायद कमिश्नर बंगले से प्रेस क्लब की ओर घूमने वाले रास्ते तक ही सिमटी है। इससे आगे जाने पर न आपको तरीके से बैरिकेडिंग और न ही सिक्योरिटी मिलेगी। 

डीएम चौराहे के ठीक दो कदम बाद सीएमओ का बंगला है, यहां सिक्योरिटी एजेंसी के दो गार्ड मुस्तैद रहते हैं। आगे चले तो आईजी का शिविर कार्यालय है यहां भी दो सिक्योरिटी गार्ड और होमगार्ड की तैनाती की गई है। इसी तरह सीडीओ, नगर आयुक्त आदि के बंगलों के सामने साहब की गाड़ी के आने जाने का रास्ता और गार्ड अपनी ड्यूटी बजाते दिखाई देगें। मजाल है कि आम आदमी भटक कर आ गया हो और उसकी चार पहिया पास हो जाए, घुड़की के साथ उसे लौटा दिया जाता है। 

निर्माण एजेंसी आर एंड सी के जिम्मेदार भी इधर ही घूम फिर कर रहते हैं ताकि अफसरों को लगे कि यह सिस्टम पूरे रामपथ पर है। यहां एजेंसी के इंजीनियर प्रदीप शुक्ला मिले तो पूछा गया निर्माण की क्या स्थिति है, बोले सब बढ़िया चल रहा है। व्यवस्था को लेकर सवाल किया तो बोले प्रोजेक्ट मैनेजर या सेफ्टी इंजीनियर से बात कर लीजिए। वीआईपी इलाके में वीआईपी व्यवस्था से जाहिर है कि एजेंसी खामियां छिपाने के लिए अफसरों का कवच रखना चाहती है।

रोडवेज से अयोध्या नयाघाट तक रामपथ पर सब राम भरोसे
सर्किट हाउस से आगे रोडवेज से लेकर अयोध्या नयाघाट तक घूम लीजिए यह इंतज़ाम नहीं मिलेगा। हनुमानगढ़ी रिकाबगंज पर तो बैरिकेडिंग ही आर्य कन्या गली में रखी है, रिकाबगंज से नियावां रोड पर दो जगह खोदाई वाले स्थल को ही ढाका गया है जबकि शेष खुला है। 

सिक्योरिटी गार्ड तो तलाशे नहीं मिलेंगे। यही हाल नियावां से गुदड़ीबाजार और साहबगंज तक है। गुदड़ीबाजार के आगे रास्ता तो ब्लाक किया गया लेकिन एजेंसी की सिक्योरिटी गार्ड नहीं। साहबगंज में भी चार जगह के अतिरिक्त कहीं सिस्टम से व्यवहार नहीं बनाई गई है। नतीजा आए - दिन हादसे हो रहे हैं।

अब बाईपास से अयोध्या आते-जाते हैं अफसर
जिले के अधिकारियों ने फिलहाल अपना रास्ता बदल दिया है। अब अफसरों का कारवां रिकाबगंज गुदड़ीबाजार होकर नहीं बाईपास से अयोध्या जाता है। लखनऊ से आने वाले मंत्री और उच्च स्तरीय अधिकारियों को भी बाईपास से ही ले आया जाता है। नतीजा रामपथ के जिस क्षेत्र में ज्यादा दुश्वारियां हैं वहां अफसरों की राहगुज़र ही नहीं तो मानीटरिंग क्या हो रही है यह समझना सहज ही है।

बैरिकेडिंग तो लगभग सब स्थानों पर लगी है। कहीं कम ज्यादा जरूर हो सकती है। सिविल लाइन में अधिकारी रहते हैं इसलिए वहां सिक्योरिटी गार्ड लगाए गए हैं। अन्य कुछ स्थानों पर भी होगें। सेफ्टी इंजीनियर को बता रहे हैं जहां नहीं है वहां व्यवस्था करें... हरिश्चन्द्र साहू, प्रोजेक्ट मैनेजर, आर एंड सी, अयोध्या।

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