बरेली: रबर फैक्ट्री केस उलझा, होली के बाद से बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं

केस की स्थिति जानने के लिए मंडलायुक्त ने कमिश्नरी में आज बुलाई है अफसरों की बैठक

बरेली: रबर फैक्ट्री केस उलझा, होली के बाद से बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं

बरेली, अमृत विचार। 18 अरब रुपये से अधिक कीमत की रबर फैक्ट्री की भूमि को बचाने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में राज्य सरकार केस लड़ रही है। लेकिन रबर फैक्ट्री का केस होली से ऐसा उलझा है कि बॉम्बे हाईकोर्ट की नई बेंच में केस ट्रांसफर होने के बाद कोई सुनवाई नहीं हुई है। इससे बरेली से लेकर लखनऊ तक के अधिकारी चिंतित हैं।

पुरानी बेंच में इस केस में फैसला सुनाया जाने वाला था लेकिन अचानक केस की बेंच बदल गई थी। जिला प्रशासन के अफसर लगातार बॉम्बे हाईकोर्ट में पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं के संपर्क में हैं, लेकिन इस केस में कोई अपडेट नहीं मिल रही है। इधर केस की सही स्थिति जानने के लिए मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल ने सोमवार को कमिश्नरी में बैठक बुलाई है। इसमें यूपीसीडा, उद्योग विभाग के साथ जिला प्रशासन के अधिकारी बुलाए गए हैं। वैसे, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व संतोष बहादुर सिंह ही रबर फैक्ट्री केस में पैरवी कराने के लिए नोडल अधिकारी हैं। शासन से लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट के अधिवक्ता के बीच केस से संंबंधित पत्राचार एडीएम फाइनेंस के जरिए तैयार कराकर जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से भेजे जाते हैं।

नई तारीख मिलने की कोई जानकारी नहीं
वहीं, एडीएम फाइनेंस संतोष बहादुर सिंह का कहना है कि बॉम्बे हाईकोर्ट में होली के बाद से कोई सुनवाई नहीं हुई है। न ही नई तारीख मिलने के संबंध में कोई जानकारी मिली है। इधर यूपीसीडा के रीजनल मैनेजर संतोष सिंह ने बताया कि सोमवार को कमिश्नरी में रबर फैक्ट्री केस की स्थिति पर चर्चा करने के लिए मंडलायुक्त ने बैठक बुलाई है। वहीं, रबर फैक्ट्री फैक्ट्री की एसएंडसी कर्मचारी यूनियन के महामंत्री अशोक कुमार मिश्रा ने बताया कि वह हाल ही में मुंबई गए तब वहां पर रबर फैक्ट्री केस से संबंधित अपडेट मालूम किया लेकिन कोई खास जानकारी नहीं मिली। हाईकोर्ट के निर्णय पर ही कर्मचारियों का भला हाेगा।

यह है केस की स्थिति
बॉम्बे हाईकोर्ट में पिटीशन संख्या 999/2020 अलकेमिस्ट एसेट्स रिकंस्ट्रक्शन लिमिटेड बनाम मैसर्स सिंथेटिक एंड केमिकल्स लिमिटेड व अन्य में शासन की ओर से हस्तक्षेप आवेदन दाखिल है। हस्तक्षेप आवेदन पर ही सुनवाई चल रही है। 1960 के दशक में मुंबई के सेठ किलाचंद को फतेहगंज पश्चिमी में 1382.23 एकड़ जमीन उपलब्ध करायी गई थी। 24 साल से फैक्ट्री बंद है।

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