हल्द्वानी: पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ रहे लंपी के मामले, पशु चिकित्सा वाहन और स्टाफ नहीं है पर्याप्त

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Published By Shweta Kalakoti
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280 पशुओं का किया गया उपचार, 138 का टीकाकरण

ओखलकांडा में गठित की गई 6 टीमें संसाधन और स्टाफ की कमी से देरी में पकड़ में आ रहे मामले

हल्द्वानी, अमृत विचार। जनपद के पर्वतीय क्षेत्रों में गौवंशीय पशुओं में होने वाले रोग लंपी के मामले बढ़ रहे हैं। जनपद के ओखलकांडा, नाई, खुरियाखाल, बबियाड़ और सिनकोट में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं।

उप पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ पीएस हयांकी ने बताया कि बीते तीन दिन में 280 पशुओं का उपचार किया गया है जिसमें 138 पशुओं का टीकाकरण किया गया। डॉ. हयांकी ने बताया कि मौसम परिवर्तन के साथ गौवंशीय पशुओं में तीव्र ज्वर के साथ शरीर में दाने होते हैं साथ ही पशु खाना बंद कर देता है तथा कमजोर हो जाता है जिसे लंपी रोग के रूप में जाना जाता है।

इस रोग में दुधारू पशु के दूध का उत्पादन कम हो जाता है। समय पर उपचार न मिलने से पशु की मौत भी हो सकती है। डॉ. हयांकी ने बताया कि ओखलकांडा में 6 टीमें गठित की गई हैं और लंपी के मामले बढ़ते जा रहे हैं जिसके लिए अतिरिक्त टीमें गठित  की जाएंगी। उन्होंने बताया कि डेरी विभाग से एक ही पशु चिकित्सा वाहन उपलब्ध है और पशु सेवा केंद्रों में स्टाफ की कमी है जिस कारण बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बताया कि स्टाफ और संसाधन कम होने से मामले देरी से पकड़ में आ रहे हैं।

हयांकी ने बताया कि पिछले सालों तक यह रोग मैदानी क्षेत्रों में अधिक होता था लेकिन इस बार पर्वतीय क्षेत्रों में संक्रमण अधिक फैल रहा है। उन्होंने बताया कि जिस क्षेत्र में संक्रमण अधिक फैलता है उसे एक एपिक सेंटर के रूप मे घोषित किया जाता है जिसमें 5 किलोमीटर का दायरा शामिल किया जाता है, जहां पशुओं के उपचार के साथ ही टीकाकरण किया जाता है।

बताया कि जनपद में 29 पशु चिकित्सालय हैं। हल्द्वानी ब्लॉक में लालकुआं, फतेहपुर, चोरगलिया, बिंदुखत्ता, कुंवरपुर और एक पशु चिकित्सालय शहर में स्थित है। शहर के पशु चिकित्सालय के चिकित्सक डॉ. आरके पाठक ने बताया कि चिकित्सालय में लंपी के मामले नहीं आए हैं, दूरदराज के गांवों से आने वाले लोग दवा लेने के लिए आ रहे हैं।