अयोध्या निकाय चुनाव: निर्दल और बागियों की दमदारी भविष्य की राजनीति के नए संकेत

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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इंदुभूषण पांडेय, अयोध्या/अमृत विचार। नगरीय निकाय के चुनाव में अयोध्या नगर निगम से लेकर विभिन्न नगर पंचायतों और नगर पालिका में इस चुनाव में बागी और निर्दलीय प्रत्याशी बड़ा करिश्मा करने जा रहे हैं। खास कर ऐसा वार्डों में हो रहा है। यह स्थिति मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा और सपा दोनों दलों में है। टिकट के दावेदारों और कार्यकतार्ओं ने अपने-अपने दल में संगठन और नेतृत्व के खिलाफ इस चुनाव में खुलकर आस्तीनें चढ़ार्इं और ताल ठोकी है। इन दोनों प्रमुख दलों के जिला सांगठनिक नेतृत्व के माथे पर पेशानी के बल ला दिए हैं। 

यह पहला चुनाव है जब सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में नगर निगम में तो बागी मैदान में डटे ही नगर निगम सहित जिले की नगर पंचायतों के विभिन्न वार्डों में दल के टिकट से वंचित लोगों ने बागी बन मैदान संभाल लिया। इसी के साथ बड़ी संख्या में कार्यकतार्ओं ने इस चुनाव में काम करने से अपने को अलग कर लिया। हालात यह बने कि नगर निगम तक की सीट पर नगर से लेकर तमाम मंडल स्तर तक चुनाव संयोजक ही नहीं बनाए जा सके। यही हालात जिले की कई नगर पंचायतों में भी रहे।

प्रत्याशी अपनी राह तो कार्यकर्ता दूसरी राह पर दिखे। थोड़ा इससे कम लेकिन लगभग ऐसा ही नजारा समाजवादी पार्टी में भी दिखा है। यहां टिकट अयोध्या के पूर्व विधायक जयशंकर पांडेय के बेटे को दिया गया। शुरूआती दौर में इसको लेकर कार्यकतार्ओं में बड़ी हताशा दिखी। कुछ बड़े लोग तो दल से ही किनारा कर गए। इस पार्टी में भी पार्टी नेतृत्व न तो बागियों पर अंकुश लगा पाया और न ही कार्यकतार्ओं को एक संगठित तौर पर इस चुनाव में लगा पाया। पूरे चुनाव अभियान में देखने पर यह लगा कि संगठन और पार्टी के कार्यकर्ता अलग और दादा जयशंकर का परिवार अलग चुनावी मुहिम में जुटा दिखा। यहां भी चुनाव अभियान में संगठन का तारतम्य नहीं दिखा।

अब हालात यह हैं कि दोनों प्रमुख दल का नेतृत्व अब दबी जुबान खुद कहने लगा है कि निर्दलीय और बागी प्रत्याशी पार्टी को नुकसान तो पहुंचा ही रहे हैं पूरे दमखम से अलग ही परिणाम देने की स्थिति में दिखे हैं। नगर पंचायत की कुछ सीटें जैसे भरतकुंड भदरसा और सुच्चितागंज को छोड़ दिया जाए तो बागियों और हताश कार्यकतार्ओं का मौन तथा मतदाताओं की इस चुनाव में विशेष चुप्पी कुछ अलग ही चौंकाने वाले परिणाम दिखा सकती है। 

41 गांवों की वोटिंग खतरे की घंटी  
जिले में अयोध्या नगर निगम क्षेत्र में सबसे कम वोटिंग हुई है। इसमें भी भाजपा के लिए खतरे का संकेत यह है कि अयोध्या नगर निगम क्षेत्र ने नए जुड़े उन 41 गांव में अधिक वोटिंग हुई है, जहां पिछले विधानसभा चुनाव में सपा ने ठीकठाक अंतर से भाजपा को हराया था। दूसरी तरफ नगर निगम क्षेत्र में शामिल फैजाबाद और अयोध्या जुड़वा शहरों में अपेक्षाकृत बहुत ही कम वोटिंग हुई है। अभी दिन पूर्व तक जहां लोग अयोध्या नगर निगम के चुनाव को एकतरफा होने की बात करते थे।

आज मतदान के दिन दोपहर बाद अब हर कोई कह रहा है कि टक्कर कांटे की है। वास्तविक परिणाम तो आगामी 13 को पता लगेगा। दूसरी तरफ दोनों मुख्य प्रतिद्वंदी दल भाजपा और सपा के अंदरखाने अब इस बात को लेकर चिंता है कि इस चुनाव में दलीय कार्यकतार्ओं ने पार्टी के निर्णय के खिलाफ जिस तरह से खुलेआम बगावत की है, उन परिस्थितियों से आगे कैसे निपटा जाएगा।

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