हल्द्वानी: जंगलों में अतिक्रमण बताएगी 20 साल पुरानी सैटेलाइट तस्वीरें

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Published By Bhupesh Kanaujia
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अंकुर शर्मा, हल्द्वानी। जंगलों में नया व पुराना अतिक्रमण चिन्हित करने के लिए सैटेलाइट की मदद ली जाएगी। 20 साल पुरानी सैटेलाइट तस्वीर के जरिए जंगलों के अवैध कब्जों का पता लगाया जाएगा। 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सरकारी भूमि खासकर जंगलों में तेजी से हो रहे अतिक्रमण पर नाराजगी जताई थी। इसके बाद शासन ने वन भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए मुख्य वन संरक्षक डॉ. पराग मधुकर धकाते को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।

धकाते ने हाल ही में पश्चिमी वन वृत्त के वन अधिकारियों के साथ वन भूमि पर अतिक्रमण को लेकर मंथन किया था। इधर, जंगलों में अतिक्रमण विशेषकर धार्मिक अवस्थपानाओं की आड़ में अतिक्रमण को लेकर संशय है। इन निर्माण को कोई 100 तो 200 वर्ष पुराना बताता है ऐसे में जंगलात के सामने अवैध कब्जा साबित करना बड़ी चुनौती है। वन विभाग ने इस समस्या का यूनिक समाधान निकाला है।

जंगलों में तेजी से हुए अवैध कब्जों को वैज्ञानिक ढंग से साबित करने के लिए सैटेलाइट की मदद लेने का फैसला किया है। जंगलों की साल दर साल, इस तरह 20 साल पुरानी तस्वीरें सैटेलाइट से निकाली जाएंगी। फिर इन तस्वीरों का अध्ययन करने के जंगलों में पिछले 20 सालों में हुए अतिक्रमण की तस्वीर साफ हो जाएगी। सभी वन डिवीजनों ने इन तस्वीरों का डाटा इकट्ठा करने और अध्ययन के लिए समय मांगा है। संभावना है कि एक माह के भीतर सभी वन डिवीजन  डाटा उपलब्ध करा देंगी तब जंगलों में अवैध कब्जों का सटीक  पता चलेगा।

राज्य के 11,861.35 हेक्टेयर जंगलों पर अतिक्रमण 
राज्य के 11,861.35 हेक्टेयर जंगलों में अतिक्रमण हो चुका है। वर्ष 2017 के आंकड़ों के अनुसार सबसे बड़े वन वृत्त पश्चिमी वृत्त में 8097.06 हेक्टेयर अतिक्रमण था, इसमें 1220 हेक्टेयर वृद्धि का अनुमान है। इस  तरह तराई पश्चिमी, तराई केंद्रीय, तराई पूर्वी, रामनगर और हल्द्वानी वन डिवीजन में कुल 9317.06 हेक्टेयर जंगल अतिक्रमित हो चुके हैं।

ये होंगे फायदे 
= वन विभाग को साल दर साल हुए अवैध कब्जों का सटीक आंकड़ा मिलेगा
= डाटा वैज्ञानिक होने की वजह से सवाल उठने की आशंकाएं खत्म
= शासन के साथ न्यायालयों में भी वैज्ञानिक डाटा मान्य होगा, चुनौती देना होगा मुश्किल 
= रियल डाटा होने पर अतिक्रमण हटाने के लिए कारगर रणनीति बनाने में मिलेगी मदद


वन भूमि में धार्मिक अवस्थापनाओं की आड़ समेत अन्य अतिक्रमण के लिए 20 साल का डाटा जुटाया जा रहा है। इसके लिए सैटेलाइट से पुरानी तस्वीरें निकाली जाएंगी। प्रदेश की सभी वन डिवीजनों ने इसके लिए समय मांगा है, एक माह में रिपोर्ट आने के बाद जंगलों में अतिक्रमण का सटीक आकलन होगा। फिर अतिक्रमण हटाने के लिए ठोस रणनीति बनाई जाएगी।
- डॉ. पराग मधुकर धकाते, सीसीएफ नोडल अधिकारी अतिक्रमण हटाओ अभियान

 

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