लखनऊ : परीक्षा परिणाम के बाद बदल गया है बच्चे का व्यवहार, तो सावधान हो जायें माता-पिता

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Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। जिन बच्चों का हाईस्कूल या फिर इण्टरमीडिएट का परीक्षा परिणाम बेहतर नहीं आया है या फिर जो बच्चे परीक्षा नहीं पास कर सके हैं। ऐसे बच्चों में घबराहट,चिड़चिड़ापन, रोना या फिर अकेले रहने की आदत बन रही हो तो माता-पिता को सावधान हो जाना चाहिए। इसके अलावा उन बच्चों के व्यवहार पर भी ध्यान देना जरूरी होता है, विशेषकर उन बच्चों के माता पिता को जिन बच्चों ने मेहनत की और परिणाम उसके अनुरूप नहीं आया। यह कहना है डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल (सिविल अस्पताल) की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ.दिप्ति सिंह का।

मनोरोग विशेषज्ञ डॉ.दिप्ति सिंह का कहना है कि अपेक्षा के अनुरूप परिणाम न आने पर नींद का न आना, अकेलापन, रोना,घबराहट जैसा लक्षण होना अवसाद की श्रेणी में आता है, लेकिन इस तरह के अवसाद का इलाज तब शुरू होता है। जब लक्षण 15 दिन तक लगातार बना रहे। अवसाद ग्रस्त बच्चों को माता पिता का सपोर्ट मिलता है तो वह जल्द बेहतर महसूस करने लगते हैं। यदि 15 दिन बाद भी बच्चों के लक्षण और व्यवहार में बदलावा नहीं आता है। ऐसे में चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। 

डॉ.दिप्ति ने साफ तौर पर कहा कि वहीं बच्चे ज्यादा परेशान होते हैं जिन्हें अच्छा करने की उम्मीद रहती है और उनके सामने विपरीत परिणाम आ जाता है। ऐसे बच्चों पर माता पिता को जरूर ध्यान देना चाहिए।

डॉ.दिप्ति ने बताया कि अवसाद ग्रस्त बच्‍चे को डांटने से बचना चाह‍िए। ऐसे बच्‍चों के व्‍यवहार को बदलने के ल‍िए सबसे पहले माता- पिता को अपना व्‍यवहार बदलना चाहिए तभी बच्चे अपने मन की बात साझा करेंगे। इसके अलावा बच्‍चे के साथ समय बितायें। इससे बच्चे के व्यवहार को समझने में आसानी होगी।

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