Surya Grahan 2023: कल होगा साल का पहला हाइब्रिड सूर्य ग्रहण, गर्भवती महिलाएं इन बातों का रखें विशेष ख्याल

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Published By Vishal Singh
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Surya Grahan 2023: साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लगने जा रहा है। यह सूर्यग्रहण संकर या हाइब्रिड किस्म का होगा। यह दुर्लभ नजारा आसमान में दिखने वाला है। हालांकि यह ग्रहण भारत में नहीं नजर आएगा। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को अपना विशेष ख्याल रखने की जरूरत है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन राहु और केतु के कारण सूर्य ग्रहण लगता है। ग्रहण के समय सूर्य देव संकट में होते हैं। 

यह चूक गए तो अगला हाइब्रिड सूर्यग्रहण 2031 में आएगा। यानी आठ साल इंतजार करना पड़ेगा। खास बात यह है कि एक क्षेत्र विशेष में यह ग्रहण पूर्ण या खग्रास सूर्यग्रहण होगा। वहीं, कुछ इलाकों में यह एन्यूलर या कुंडलाकार या वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। कुछ इलाकों के लिए आंशिक सूर्यग्रहण होगा। भारतीय खगोलप्रेमी जरूर इस बात से निराश हैं कि यह नजारा वे देश में नहीं देख सकेंगे।  

20 अप्रैल को कब-क्या होगा? 

  • 7:04 बजे आंशिक सूर्यग्रहण का चरण शुरू होगा
  • 9:07 बजे खग्रास/कुंडलाकार सूर्य ग्रहण की शुरुआत होगी
  • 10:47 बजे खग्रास/कुंडलाकार सूर्यग्रहण अपना वास्तविक आकार लेगा
  • 12:29 बजे खग्रास/कुंडलाकार सूर्यग्रहण समाप्त होने लगेगा
  • 1:29 बजे सूर्यग्रहण का आंशिक चरण भी समाप्त हो जाएगा।
     

क्या है हाइब्रिड सूर्य ग्रहण?
पृथ्वी की परिक्रमा करते चांद जब सूर्य और पृथ्वी के बीच आता है तो सूर्यग्रहण होता है। इस दौरान चांद पृथ्वी के नजदीक होता है तो सूर्य को पूरी तरह ढंक लेता है। उस भाग में खग्रास या पूर्ण सूर्यग्रहण दिखता है। यदि चंद्रमा दूर रहता है और सूर्य एक कंगन के रूप में चमकता दिखता है तो इसे वलयाकार या एन्यूलर सूर्यग्रहण कहते हैं। चंद्रमा न ज्यादा दूर हो और न ही ज्यादा पास तो हाइब्रिड सोलर एक्लिप्स की स्थिति बनती है। 

गर्भवती महिलाएं इन बातों का रखें विशेष ख्याल
सूर्यग्रहण जैसे ही प्रारंभ हो गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। सूर्यग्रहण के दुष्प्रभाव का असर शिशु पर हो सकता है। क्योंकि मान्यताओं के अनुसार, सूर्य ग्रहण की छाया तक गर्भ में पल रहे बच्चे पर नहीं पड़नी चाहिए। गर्भवती महिलाओं को सूर्यग्रहण नहीं देखना चाहिए। दरअसल, सूर्य ग्रहण की किरणों का असर उनकी आंखों पर पड़ सकता है।

ग्रहण के समय भोजन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि ग्रहण के दुष्प्रभाव से भोजन भी दूषित हो जाता है। गर्भवती महिलाएं चाहें तो फल को अच्छे से साफ करके खा सकती हैं। सूर्यग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को नुकीली वस्तुओं जैसे सुई, कैंची, चाकू, आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि इससे गर्भ में पल रहे शिशु पर समस्या होने का डर रहता है।

ग्रहण के समय गर्भवती महिला को कढ़ाई बुनाई नहीं करनी चाहिए साथ ही सब्जी भी नहीं काटनी चाहिए। साथ ही गर्भवती महिलाओं को सूर्यग्रहण के समय पैड़ पौधों का स्पर्श भी नहीं करना चाहिए। साथ ही ग्रहण के बाद स्नान करना चाहिए और गंगा जल घर में छिड़कना चाहिए।

सूर्य ग्रहण के शुरू होने से पहले गर्भवती महिलाएं अपनी लंबी यानी कि सिर से पैर तक की लंबाई का एक धागा ले लें। उसके बाद उसे एक स्थान पर टांग दें। पूरे ग्रहण काल में उसे वहीं रहने दें। जैसे ही ग्रहण समाप्त हो जाए उसे जल में प्रवाहित कर दें। ऐसी मान्यताएं हैं कि इस उपाय के करने से गर्भवती महिला और शिशु पर बुरा प्रभाव नहीं होता है।

ग्रहण के समय हो सके तो गर्भवती महिलाओं को रामचरित्र मानस का पाठ करना चाहिए। या फिर कोई भी धार्मिक ग्रंथ पढ़ना चाहिए। सूर्यग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए गर्भवती महिलाएं अपनी जीभ पर तुलसी के पत्ता रखकर हनुमान चालीसा या रामायण का पाठ कर सकती है। याद रखें की तुलसी के पत्ते ग्रहण प्रारंभ होने से पहले ही तोड़ लें।

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