काशीपुर: नौकरी छोड़ डा. कविता किल्मोड़ा और बेडू से तैयार कर रहीं हर्बल उत्पाद
दिल्ली के यूनानी मेडिसन विभाग की पूर्व रिसर्च एसोसिएट ने पलायन रोकने के लिए क्षेत्र के 200 से अधिक किसानों को पेड़-पौधे लगाने को प्रेरित किया
कुंदन बिष्ट, काशीपुर, अमृत विचार। उत्तराखंड में जहां तेजी से पलायन हो रहा वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो उत्तराखंड के फलों और वनस्पतियों से हर्बल उत्पाद बनाकर न केवल राज्य का नाम रोशन कर रहे हैं बल्कि तेजी से हो रहे पलायन को भी किसी हद तक रोकने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ इन्हीं लोगों में शामिल हैं अल्मोड़ा जनपद के द्वाराहाट ब्लॉक की डॉ. कविता नेगी।
डॉ. कविता ने पहाड़ से पलायन रोकने के लिए दिल्ली के यूनानी मेडिसन विभाग में रिसर्च एसोसिएट, लेबल-2 की नौकरी छोड़ फलों और घास से हर्बल उत्पाद बनाने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने 200 पर्वतीय किसानों को जोड़कर उन्हें भी पहाड़ी फलों की खेती करने के लिये प्रेरित किया। अब डॉ. कविता सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई भूमि में प्लांट लगाकर हर्बल उत्पाद के साथ कास्मेटिक उत्पाद बनाने की तैयारी कर रही हैं। उनका यह स्टार्टअप आईआईएम काशीपुर में भी चयनित हुआ है। यहां ट्रेनिंग के बाद उन्होंने स्टार्टअप का स्वरूप बदल दिया है।
द्वाराहाट ब्लॉक के कफड़ा निवासी डॉ. कविता नेगी ने प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद पंतनगर विवि से एमएससी करने के बाद वर्ष 2012 में बॉटनी में पीएचडी की। पीएचडी के बाद उनका चयन दिल्ली के यूनानी मेडिसन विभाग में रिसर्च एसोसिएट लेबल-2 के पद पर हो गया। पहाड़ों से लगातार हो रहे पलायन को देखते हुए उन्होंने वापस गांव जाने और किल्मोड़ा, बेडू, घिंघारु, बिच्छू घास से हर्बल उत्पाद तैयार करने के साथ पर्वतीय किसानों को रोजगार उपलब्ध कराने की ठानी। वर्ष 2021 में डॉ. कविता नौकरी छोड़कर गांव आ गई और गांव में ही एक छोटा प्लांट लगाकर लेमन ग्रास से हार्ट के मरीजों के लिये चाय, किल्मोड़ा की टहनी से एंटी डायबिटिक चाय, लेमन ग्रास के ऑयल और तेज पत्ता, बिच्छु घास से काढ़ा बनाना शुरू किया। उन्होंने बताया कि अभी तक 200 किसान पहाड़ी उत्पादों की खेती कर रहे हैं।
पर्वतीय क्षेत्र के लिये किये जा रहे प्रयासों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने जमीन भी उपलब्ध कराई है। जिसमें बड़ा प्लांट लगाकर स्थानीय उत्पादों से कॉस्मेटिक प्रोडेक्ट की तैयारी की जा रही है। इनका यह स्टार्टअप आईआईएम काशीपुर में भी चयनित हुआ और आईआईएम ने इन्हें दो महीने की ट्रेनिंग भी दी।
मल्टीनेशनल कंपनी में सीनियर मैनेजर की नौकरी छोड़ भूपेंद्र भी जुड़े
डॉ. कविता नेगी के पति कंचन सिंह के साथ ही दिल्ली में एक मल्टीनेशनल कंपनी के प्रोडेक्शन मैनेजर पद पर तैनात भूपेंद्र अधिकारी ने भी नौकरी छोड़ रिवर्स पलायन किया। वे भी डॉ. कविता के साथ जुड़ गये। दोनों ही किमालया नेचुरल्स प्रालि. के को फाउंडर हैं। भूपेंद्र ने बताया कि पहाड़ों में पलायन के कारण घरों और खेती की जमीन खाली होने पर वह भी कंपनी से जुड़ गये।
अच्छा स्टार्टअप है। इससे पहाड़ के उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही किसान इससे जुड़ेंगे और पलायन कम होगा।
-प्रो. वैभव भमोरिया, असि. डीन, आईआईएम, काशीपुर।
