प्रयागराज : हड़ताली अधिवक्ताओं को फटकार लगाते हुए जारी किया नोटिस
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट की 7 जजों की बेंच ने कानपुर बार एसोसिएशन और लॉयर्स एसोसिएशन की लगातार जारी हड़ताल को गंभीरता से लेते हुए एसोसिएशन के पदाधिकारियों को कल कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर, न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल, न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी, न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता, न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा, न्यायमूर्ति डॉ. कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी की पूर्ण पीठ ने यह आदेश वकीलों की हड़ताल को गंभीरता से लेते हुए दिया।
नतीजतन अदालत ने निर्देश दिया कि नरेश चंद्र त्रिपाठी अध्यक्ष,कानपुर बार एसोसिएशन, अनुराग श्रीवास्तव महासचिव, कानपुर बार एसोसिएशन, रविंद्र शर्मा अध्यक्ष, वकील एसोसिएशन, कानपुर नगर और शरद कुमार शुक्ला, महासचिव को पुलिस आयुक्त के माध्यम से नोटिस जारी कर 7 अप्रैल को प्रातः10 बजे न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा एक अंतरिम उपाय के रूप में अदालत ने जिले के वकीलों को निर्देश दिया कि वे अपना काम फिर से शुरू करें और अवमानना को खत्म करें। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी वकील या पदाधिकारी द्वारा कोई बाधा उत्पन्न की जाती है, तो उसे गंभीरता से लिया जाएगा।
ज्ञात हो कि कानपुर जिले के वकील जिला जज, कानपुर नगर के तबादले की मांग को लेकर लगातार हड़ताल पर हैं। प्रारंभ में वे केवल जिला एवं सत्र न्यायाधीश, कानपुर नगर के न्यायालय का बहिष्कार कर रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने 25 मार्च 2023 से कानपुर न्यायाधीश के पूरे न्यायालयों में अपना बहिष्कार बढ़ा दिया। कानपुर के प्रशासनिक न्यायाधीशों ने कानपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं महासचिव के साथ संयुक्त रूप से बैठक कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया। उक्त बैठकों में कानपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व महासचिव ने पूर्व में हड़ताल समाप्त कर काम पर लौटने का आश्वासन दिया था, लेकिन वे अपने आश्वासन से मुकर गए और अब पूरे जिले में हड़ताल फैलाने की धमकी दे रहे हैं। वकीलों द्वारा आहूत हड़ताल से पूरे न्यायिक कार्य में बाधा उत्पन्न होते हुए देखकर पूर्ण पीठ ने सर्वोच्च न्यायालय के मामलों का हवाला देते हुए कहा कि अधिवक्ताओं को न्यायालय में अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और अगर कोई सख्त कार्यवाही करने की आवश्यकता है तो वह भी राज्य द्वारा समर्थित होनी चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा कि अधिवक्ताओं को हड़ताल पर जाने और न्यायिक प्रक्रिया का बहिष्कार करने का कोई अधिकार नहीं है। वह सांकेतिक हड़ताल पर भी नहीं जा सकते। उनकी ऐसी हरकतें न्याय के वितरण में बाधा पैदा कर रही हैं, जो कि अदालतों की अवमानना के अलावा और कुछ नहीं है।
महाधिवक्ता ने आज न्यायालय के समक्ष पेश होकर कहा कि वकीलों द्वारा की गई हड़ताल न केवल अवैध और अनैतिक है, बल्कि इससे न्याय के वितरण में बड़ी बाधा भी आ रही है। उनका आगे कहना था कि इस तरह की हड़ताल पेशेवर कदाचार, अनुबंध का उल्लंघन, विश्वास का उल्लंघन और पेशेवर कर्तव्य का उल्लंघन है। महाधिवक्ता के तर्कों को सुनकर पूर्ण पीठ ने बार और वकील संघों के पदाधिकारियों की उपस्थिति की मांग की और जिले के वकीलों को अपना काम फिर से शुरू करने का आह्वान किया। न्यायालय ने आगे अधिवक्ताओं के लिए निर्देश जारी करते हुए कहा कि महाधिवक्ता इस आदेश की प्रति जिला प्रशासन को भिजवाएं। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल इस आदेश का न केवल कानपुर नगर के वकील समुदाय के बीच, बल्कि मीडिया के माध्यम से भी प्रकाशन सुनिश्चित करें। जिलाधिकारी एवं पुलिस आयुक्त कानपुर नगर को यह आदेश न्यायालय परिसर के अंदर दोनों बार संघों एवं अन्य प्रमुख स्थानों के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करवाने का निर्देश दिया।
यह भी पढ़ें : Good Friday : केजीएमयू में नहीं होगा अवकाश, एसजीपीजीआई और लोहिया संस्थान में बंद रहेंगी ओपीडी सेवायें
