लखनऊ: जज ने एलडीए से ब्याज समेत मांगी रकम, शर्तों के मुताबिक नहीं मिला फ्लैट

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Published By Jagat Mishra
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अमृत विचार, लखनऊ। गोमती नगर में बने लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के पारिजात अपार्टमेंट की गुणवत्ता पर इस बार एक जज ने सवाल उठाए हैं। शर्तों के मुताबिक कब्जा न मिलना व निर्माण अधूरा होने पर उपभोक्ता न्यायालय की शरण ली है। जहां, एलडीए से ब्याज समेत रकम वापस मांगी है। इस मामले पर 6 अप्रैल को सुनवाई होगी।

पारिजात वेलफेयर सोसाइटी के सचिव समर विजय सिंह ने बताया कि ए-2 ब्लॉक में एक जज ने 2012 में एलडीए से फ्लैट खरीदा था। उन्होंने 31,97,700 रुपये जमा किए थे। शर्तों के मुताबिक फ्लैट तैयार कर 2014 में कब्जा देना था और मूलभूत सुविधाएं दी जानी थी। लेकिन, फ्लैट अब तक तैयार नहीं हुआ। इस कारण रजिस्ट्री भी नहीं करा पाए। जो काम कराए गए उसकी गुणवत्ता खराब है। इस कारण जज ने शेष धनराशि जमा नहीं की। जबकि एलडीए की तरफ से बराबर शेष रकम मांगी जाती रही। कई बार समय देने पर फ्लैट तैयार नहीं हुआ तो जज ने आवंटन निरस्त कर जमा किए 31,97,700 रुपये ब्याज समेत वापस मांगे। एलडीए ने 20 प्रतिशत पंजीकरण धनराशि काटकर वापस देने की बात कही। नाराजगी जताते हुए जज उपभोक्ता न्यायालय चले गए। इस मामले पर न्यायालय से कड़ा रुख दिखाया और एलडीए को अपना पक्ष रखने को कहा है। जिसकी सुनवाई 6 अप्रैल को की जाएगी। इस मामले पर अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा ने जानकारी से इंकार किया।

कई और जज को नहीं मिले फ्लैट 
पारिजात अपार्टमेंट में करीब 400 फ्लैट हैं। पूर्व में अधूरा निर्माण व समय पर कब्जा न मिलना व गुणवत्ता के मामले सामने आए हैं। परिजात वेलफेयर सोसायटी के सचिव समर विजय ने बताया कि यहां फ्लैट देने के नाम पर ठगा गया है। लोगों की पूंजी चली गई है। अधिकारी समेत ऐसे कई जज हैं। जिन्हें कब्जा नहीं मिला है और फ्लैट तैयार नहीं हो पाए हैं। अपार्टमेंट में कई ऐसे फ्लैट हैं, जिनके पास एलडीए के फ्लैट या भूखंड अन्य जगह हैं। इस कारण फ्लैट खाली हैं या फिर ताला डालें हैं। रजिस्ट्री तक नहीं कराई जा रही है।

2020 में मिला पूर्णता प्रमाण तो 2014 में कब्जा कैसे
पारिजात अपार्टमेंट तैयार होने के बाद 2020 में पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किया गया है। पूर्णता प्रमाण यानी बिल्डिंग के इस्तेमाल की अनुमति दी गई है। वहीं, 2012 के आवंटियों को 2014 में कब्जा देने की बात आवंटियों के गले से नहीं उतर रही है। इस मामले पर लखनऊ जन कल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर ने भी एलडीए की शर्तों पर सवाल उठाए हैं।

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