समझौते के आधार पर हत्या के मामले को रद्द नहीं किया जा सकता :HC

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Published By Jagat Mishra
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि पीड़िता और आरोपी के बीच हुए समझौते के आधार पर हत्या के प्रयास के मामले को रद्द नहीं किया जा सकता है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की एकल पीठ ने आईपीसी की धारा 307 के तहत नरेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने से इनकार करते हुए दिया। 

गौरतलब है कि इसके पहले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने पीड़िता और अभियुक्त के बीच हुए समझौता आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इस मामले में आरोपी के खिलाफ आरोप जघन्य प्रकृति का है और समझौता करने योग्य नहीं है। इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में समझौता किया जाना चाहिए या नहीं, इस पर निर्णय लेते समय उच्च न्यायालय को चोट की प्रकृति, शरीर के उस हिस्से को, जहां चोट लगी है, ध्यान में रखना चाहिए। इसके अलावा अदालत ने यह भी नोट किया कि बंदूक की चार चोटें अंगों पर लगी थी ना कि शिकायतकर्ता के धड़ या शरीर के किसी महत्वपूर्ण हिस्से पर, हालांकि इस तथ्य का यह मतलब नहीं निकलता है कि अपराध जघन्य प्रकृति का नहीं था या अभियुक्त का इरादा पीड़िता की हत्या का नहीं था। अंत में अदालत ने मौजूदा मामले में मुकदमे को यह कहते हुए खारिज करने से इनकार कर दिया कि विचाराधीन अपराध में समाज की अंतरात्मा शामिल है।

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