Right to Health Bill : राइट टू हेल्थ बिल पर बोले लखनऊ के डॉक्टर, कहा- राजस्थान सरकार जबरन थोपना चाह रही कानून

Right to Health Bill : राइट टू हेल्थ बिल पर बोले लखनऊ के डॉक्टर, कहा- राजस्थान सरकार जबरन थोपना चाह रही कानून

लखनऊ, अमृत विचार। राजस्थान विधानसभा में डॉक्टरों के भारी विरोध के बाद भी राइट टू हेल्थ (Right to Health Bill) बिल को 21 मार्च को पास किया गया है। राजस्थान सरकार के इस कार्य से आईएमए लखनऊ ( Lucknow) राज्य शाखा के सभी सदस्य दुःखी एवं आक्रोशित है। इसी के चलते सोमवार को राजधानी स्थित आईएमए भवन में डॉक्टरों ने बैठक कर इस बिल के खिलाफ एक स्वर में आवाज बुलंद की है और 27 मार्च का दिन विरोध दिवस के रूप में मनाया है।
    
दरअसल, पिछले कई दिनों से राजस्थान के डॉक्टर हड़ताल पर है। ऐसे में लखनऊ के डॉक्टरों का कहना है कि सरकार निजी अस्पताल के डॉक्टरों पर वाटर कैनन से पानी छिड़कर और डंडे चलाकर अगर राइट टू हेल्थ बिल लाई है तो यह कामयाब नहीं होगा।

लखनऊ ( Lucknow) आईएमए के अध्यक्ष  डॉ. जेडी रावत ने बताया कि यह बिल आम जनों को संविधान के धारा-21 के अंतर्गत सरकार द्वारा डॉक्टर्स को राईट टू लीव अधिकार से बंचित करने का प्रयास है। सरकारें स्वास्थ्य क्षेत्र में अपने दायित्व को प्राईवेट सेक्टर पर बिना किसी खर्च फेंक कर उन्हें बर्बाद करने पर उतारू है। किसी न किसी रूप में केन्द्र एवं सभी राज्य सरकारें एक जैसा कदम उठा रही है। राजस्थान सरकार जबतक इस जनविरोधी वाले काला कानून ( (राईट टू हेल्थ बिल)  को वापस नहीं लेती है तब तक आईएमए लखनऊ ( Lucknow) इसका हर स्तर विरोध करना जारी रखेगी।

लखनऊ ( Lucknow) आईएमए के सिक्रेटरी डॉ. संजय सक्सेना ने कहा है कि राजस्थान सरकार द्वारा लागू किया जा रहा राइट टू हैल्थ (आरटीएच) बिल बिना सोचे समझे थोपा जा रहा है, यह हर वर्ग के खिलाफ है। आमजन का स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन सरकार इस जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है और यह जबरन प्राइवेट डॉक्टरों पर थोपना चाह रही है। इस बिल से संबंधित कमेटियों में डॉक्टरों को शामिल नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बिल में बिना सुनवाई के सजा का प्रावधान है, इमरजेंसी की कोई परिभाषा नहीं है, कोई भी डॉक्टर किसी का भी उपचार करेगा। यह किसी भी तरह से व्यवहारिक नहीं है। बिल में व्यावहारिक संशोधन किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस बिल को लेकर डॉक्टर की कोई राय नहीं ली गई। ये पूरी तरह से चुनावी बिल है। आईएमए का मानना है कि मुफ्त का कोई भी सिस्टम स्थायी नहीं है। इस प्रकार का सिस्टम एक समय के बाद बंद होना होता है और बंद होने के बाद आंदोलन होते है।

राष्ट्रीय आईएमए ने दिनांक 27 मार्च को राष्ट्रव्यापी काला दिवस मनाने की घोषणा की थी। इस दिन देश भर में चिकित्सकों ने काली पट्टी बांध कर काम किया। राजस्थान एवं केन्द्र सरकार को अपना ज्ञापन भेंजेगे, आम सभा करेंगे जिसमें राजस्थान के साथियों के समर्थन में प्रस्ताव पारित करेंगे एवं अगर जरूरत पड़ती है, तो भविष्य में राष्ट्रव्यापी हड़ताल के लिए तैयार होंगे। राष्ट्रीय आईएमए द्वारा घोषित 27 मार्च के आंदोलन में आईएमए लखनऊ सभी अन्य चिकित्सीय संगठनों से भी साथ देने की अपील करता है।

भारतीय चिकित्सा संघ के सभी चार लाख सदस्य इस काले कानून और राजस्थान के चिकित्सकों के साथ किये गये अत्याचार के खिलाफ खड़ा है। सांकेतिक काला दिवस मना रहे हैं और अगर हमारा यह शांति पूर्ण आंदोलन राजस्थान सरकार नहीं सुनेगी तो यह आग पूरे देश में फैलेगी और हम आगे की कार्रवाई के लिए बाध्य होंगे।                                   

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