Kanpur News : यज्ञ आहुतियां देकर उगा रहे आर्गेनिक फसले, शुद्ध खाद्य पदार्थों को आम लोगों तक पहुंचाने का लक्ष्य
कानपुर में यज्ञ आहुतियां देकर आर्गेनिक फसले उगा रहे।
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कानपुर में भौतिक विज्ञान के फार्मलू से तैयार हवन कुंड में आहुतियां देकर शुद्ध वातारण व जमीन को उर्वरक बना रहे। आर्गेनिक फसलों से तैयार शुद्ध खाद्य पदार्थों को आम लोगों तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
कानपुर, [अभिनव मिश्रा]। सनातनी परंपरा के अनुसार यज्ञ और हवन करने से वातावरण की शुद्धि होती है, जिससे मन व तन दोनो स्वस्थ्य रहते है। इसी परंपरा को आगे ले जाते हुए आज यज्ञ में आहुतियां व उसके भस्म के मिश्रण से बंजर जमीनों पर आर्गेनिक फसलों का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे आने वाली पीढ़ियां जैविक व डीएपी खाद से पैदा होने वाले खाद्य पदार्थों से बच सकें और उन्हें एक शुद्ध आहार उपलब्ध हो सके। इस सोच के साथ शहर में स्टार्टअप कंपनी की शुरुआत की।
फसलों में जैविक खाद व डीएपी के प्रयोग को कम करने और जमीन को बंजर होने से बचाने के लिए सन् 1991 में सीएसए के डॉ. आर मिश्रा के अग्निहोत्र कृषि पद्धति की शुरूआत की। उन्होंने अपने फार्म में वरूणा राई (सरसों के प्रकार ) की फसल में अग्निहोत्र कृषि पद्धति का प्रयोग किया। जिसमें उन्होंने पाया अमूमन राई में लगने वाला झुलसा रोग इस पद्धति के माध्यम से खेती करने में नहीं लगा और पैदावार भी अच्छी हुई। पिता की राह पर चलते हुए उनके पुत्र पंकज मिश्रा ने कारपोरेट नौकरी छोड़ कर आर्गेनिक खेती के माध्यम से समाज में आने वाली नई पीढ़ी को शुद्ध खाद्य पदार्थ मुहैया कराने की ठानी। पंकज ने बताया कि जैविक व रसायनिक खादों के प्रयोग से पर्यावरण तो असंतुलित होता ही है।
साथ में उपजाऊ भूमि भी धीरे-धीरे बंजर हो जाती है और भूमि पर कैमिकल व यूरिया की परत जम जाती है, जिससे भूमि के नीचे की लाभकारी तत्व फसलों को नहीं मिल पाते। उन्होंने बताया कि किसी भी अच्छी फसल के लिए पांच प्रतिशत जमीन से मिलने वाले तत्वों की आवश्यकता होती है, बाकि 95 प्रतिशत वातावरण से मिलने वाले तत्वों से फसल तैयार होती है। अग्निहोत्र पद्धति के माध्यम से होने वाले हवन से 95 प्रतिशत वातावरण शुद्ध होता है। हवन से तैयार भस्म में गौमूत्र, गोबर, पानी के मिश्रण को तैयार कर खेतों में डाला जाता है, जो कि एनपी के नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश की मात्रा को पूरा करता है।
पंकज ने बताया कि आज वह इस पद्धति के माध्यम से किसानों से खेती करवा कर आर्गेनिक फसलों का उत्पादन कर रहे है और किसानों से आर्गेनिक फसले लेकर स्टार्टअप कंपनी के माध्यम से शुद्ध खाद्य पदार्थ आम जन तक मुहैया कराने का प्रयास कर रहे है। उन्होंने बताया कि पद्धति से प्रभावित किसानों के साथ वह भोपाल समेंत अन्य जगहों पर रवि, खरीफ व जायद की फसलों का उत्पादन के साथ समाज को शुद्ध खाद्य पदार्थ व स्वस्थ्य वातावरण देने का प्रयास कर रहे हैं।
कैसे होती है अग्निहोत्र कृषि पद्धति से खेती
अग्निहोत्र कृषि पद्धति में सनातनी परंपरा के साथ विज्ञान का भी बहुत बड़ा योगदान है। इस पद्धति के द्वारा भौतिक विज्ञान के फार्मूले पर आधारित पिरामिड आकार के हवन कुंड का इस्तेमाल किया जाता है। हवन कुंड में गाय के गोबर से बने उपले, बिना टूटे चावल, गाय का देशी घी व कपूर का प्रयोग किया जाता है। साथ ही बिना टूटे चावल और देशी घी के मिश्रण की आहूति दी जाती है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय दो मिनट के यज्ञ में आहूति के दौरान सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा से तरंगें उत्पन्न होती है। जिनमें से फार्मेला डिहाइड जो वातावरण को शुद्ध करती है, एसीटिलीन आक्साइड जो कि मन में आनंद की अनुभूति प्राप्त कराती है व वीटा प्रोटोलेक्टान जो वातावरण में फैली कार्बनडाइ आक्साइड को दूर करने का काम करती हैं।