नुकसान की भरपाई हड़तालियों के वेतन को रोककर क्यों न की जाए :HC

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Published By Jagat Mishra
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प्रयागराज, अमृत विचार। यूपी सरकार और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के बीच बातचीत के बाद 65 घंटे तक जारी रही हड़ताल वापस तो ले ली गई, लेकिन इसे लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उत्तर प्रदेश बिजली विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ तल्ख टिप्पणी की और कहा कि लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने के लिए कोई भी स्वतंत्र नहीं है। हड़ताल खत्म होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। यह मामला काफी गंभीर है। कोर्ट ने आगे यह भी पूछा कि 600 एफआईआर और वारंट होने के बावजूद खिलवाड़ करने वालों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने अपर महाधिवक्ता से भी दोषी कर्मचारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में पूछा।

राज्य सरकार को हड़ताल के कारण हुए आर्थिक नुकसान के बारे में अवगत कराने को कहा है, जिसके जवाब में सरकार की ओर से बताया गया कि 20 करोड़ का नुकसान हुआ है। इस पर कोर्ट ने कहा कि नुकसान की भरपाई हड़तालियों के वेतन को रोककर क्यों न की जाए। 

गौरतलब है कि पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के खिलाफ उसके आयोजक शैलेंद्र दूबे और कई अन्य लोगों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया और उन्हें 20 मार्च को सुबह 10 बजे अदालत में पेश होने के लिए कहा था, जिसके अनुपालन में सभी पदाधिकारी कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत हुए और उन्होंने हड़ताल न करने का आश्वासन दिया। दिनांक 16 मार्च की रात 10 बजे हड़ताल शुरू करने वाले कर्मचारियों ने रविवार दोपहर करीब तीन बजे हड़ताल खत्म कर दी। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों का सम्मान करते हुए ऊर्जा मंत्री के साथ सकारात्मक संवाद और हाईकोर्ट का सम्मान करते हुए हमने व्यापक जनहित को देखते हुए एक दिन पहले अपने 72 घंटे के सांकेतिक विरोध को वापस लेने का फैसला किया है। उक्त बातें विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दूबे ने हड़ताल वापस लेने की घोषणा करते हुए कही।

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