आखिर क्यों जारी हुआ था जीरो रुपये का नोट?, जाने पूरी कहानी
नई दिल्ली। मोदी सरकार में की गई नोटबंदी के बाद से नोटों की तस्वीर बिल्कुल बदल गई थी। हमें पहली बार 2000 का नोट देखने को मिला था। आज हम लोग 1 रुपये, 5 रुपये, 50 रुपये और 500 रुपये का नोटों का इस्तेमाल करते हैं। अगर हम आप से कहें कि एक नोट ऐसा भी है जिस का मूल्य शून्य है। जी हां 0 रुपये का नोट। भारत में एक समय में था जब 0 रुपये का नोट भी जारी किया गया था।
भारत में 0 रुपये के नोट चल रहे हैं, पर सभी लोग इस के बारे में नहीं जानते इन नोटों को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी नहीं किया गया था। दरअसल, इन नोटों का उद्देश्य किसी भी प्रकार की रिश्वत को रोकना है। यदि कोई सरकारी अधिकारी रिश्वत का अनुरोध करता है, तो नागरिकों से जीरो रुपये के नोटों के साथ भुगतान करने के लिए कहा जाता है।
इन नोटों पर लिखा होता है "सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार को खत्म करो" और "मैं न तो स्वीकार करने और न ही रिश्वत देने का वादा करता हूं" इस के साथ ही और भ्रष्टाचार विरोधी नारे लिखे होते थे। नोट में नोट विभिन्न भाषाओं जैसे हिंदी, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम में छापे गए हैं, और इसके स्वयंसेवक इन नोटों को सार्वजनिक स्थानों जैसे रेलवे स्टेशनों, बस स्टेशनों और बाजारों में वितरित करते हैं। इस नोट का लक्ष्य रिश्वतखोरी के बारे में जागरूकता और भ्रष्टाचार उन्मूलन को साझा करना है।
यह था 0 रुपये के नोटों को छापने का मकसद, जाने पूरी कहानी
यु तो रिश्वतखोरी एक अपराध है पर कही लोंग यह अपराध करने से नही चुकते है और आम जन को परेशान करते हैं। इस लिए तमिलनाडु के एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा रिश्वतखोरी और व्यवस्थित राजनीतिक भ्रष्टाचार से निपटने के यह 0 रुपये के नोट छापे गए थे। इसे 5 वां स्तंभ कहा जाता है और इसे भारत के मानक 50 रुपये के बैंक नोटों की तरह डिजाइन किया गया है।
यह नोट करीब 14 साल पहले साल 2007 में पेश किया गया था। जब लोग भ्रष्ट अधिकारियों को घूस के बदले जीरो रुपये का नोट दिखाने का साहस करते हैं तो भ्रष्ट लोग डर जाते हैं। ऐसा करने के पीछे NGO का मकसद है घूस मांगने वालों के खिलाफ पैसों की जगह यह जीरो रुपये का नोट देकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाना। यानी जब भी कोई भ्रष्ट सरकारी अधिकारी रिश्वत मांगता है तो NGO ने नागरिकों को जीरो रुपये के नोट का भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित किया।
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