जम्मू-कश्मीर के डोडा में सेना ने 100 फुट की ऊंचाई पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया 

जम्मू-कश्मीर के डोडा में सेना ने 100 फुट की ऊंचाई पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया 

डोडा (जम्मू-कश्मीर)। भारतीय सेना ने बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर के पर्वतीय डोडा जिले में 100 फुट की ऊंचाई पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस प्रयास को उन अनगिनत सैनिकों को उचित श्रद्धांजलि करार दिया, जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया।

चिनाब घाटी क्षेत्र में सेना द्वारा इतनी ऊंचाई पर फहराया गया यह दूसरा राष्ट्रीय ध्वज है। यह क्षेत्र एक दशक से पहले तक कभी आतंकवाद का गढ़ हुआ करता था। पिछले साल जुलाई में, पास के किश्तवाड़ शहर में भी 100 फुट की ऊंचाई पर राष्ट्रीय ध्वज लगाया गया था।

सेना के डेल्टा फोर्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल अजय कुमार ने डोडा स्पोर्ट्स स्टेडियम में सबसे झंडा फहराया। उनके साथ राष्ट्रीय राइफल्स के सेक्टर-नौ के कमांडर ब्रिगेडियर समीर के पलांडे, डोडा के उपायुक्त विशेष पॉल महाजन एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अब्दुल कयूम मौजूद थे।

मेजर जनरल कुमार ने राष्ट्र की सेवा में शहीद हुए सैनिकों के परिजनों को सम्मानित किया और नागरिक समाज के उन सदस्यों को भी सम्मानित किया, जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जीओसी ने कहा, सबसे ऊंचा ध्वज चिनाब घाटी क्षेत्र के उन अनगिनत सैनिकों को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने राष्ट्र की एकता और अखंडता की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है।

उन्होंने कहा कि डोडा में अपनी तरह का पहला, 100 फुट की ऊंचाई पर राष्ट्रीय ध्वज न केवल सेना के लिए, बल्कि इस पर्वतीय जिले के सभी निवासियों के लिए गर्व का क्षण है।

मेजर जनरल कुमार ने कहा, राष्ट्रीय ध्वज को दूर से देखा जा सकता है और यह हर नागरिक को देश के लिए गर्व महसूस कराएगा। इस कार्यक्रम को देखने बड़ी संख्या में जुटे स्थानीय लोगों, विशेष रूप से छात्रों और 'वीर नारियों', ने सेना के प्रति आभार व्यक्त किया। भारतीय सैन्य इतिहास में सबसे अलंकृत नायब सूबेदार चुन्नी लाल की पत्नी चिंता देवी ने कहा, इस कार्यक्रम में हमें आमंत्रित करके सेना ने मुझे मेरे शहीद पति की उपलब्धियों पर गर्व महसूस कराया है।

यह हमारी सेना की खासियत है कि वे सैनिकों और उनके परिवारों के बलिदान को कभी नहीं भूलते हैं। डोडा की एक छात्रा सिमरन शर्मा (14) ने कहा कि वह इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने के लिए खुद को भाग्यशाली मानती हैं। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाली एक मंडली की सदस्य सिमरन ने कहा, “मैं इस ऐतिहासिक मौके पर मुझे प्रदर्शन करने का अवसर देने के लिए सेना की भी आभारी हूं। यह गर्व की भावना हमेशा मेरे साथ रहेगी।

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