साहित्य राष्ट्रीय एकता को अक्षुण्ण रखने का माध्यम : डॉ. विकास दवे
दतिया। साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश के निदेशक डॉ. विकास दवे ने साहित्यकारों से आग्रह किया है कि वह साहित्य को देश की अखंडता से संबद्ध करें। साहित्य राष्ट्रीय एकता को अक्षुण्ण बनाए रखने का सशक्त माध्यम है। डॉ दवे सुप्रसिद्ध बुंदेली साहित्यकार डॉ शंकरलाल शुक्ल की स्मृति में आयोजित अखिल भारतीय बुंदेली समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में साहित्यकार सुनील सेन, डॉ सुरेश सम्राट व मोहन योगी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ कामिनी ने की। कार्यक्रम का आयोजन डॉ शंकर लाल शुक्ल बुंदेली शोध एवं साहित्य संस्थान व पाठक मंच के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
इस अवसर पर प्रख्यात बुंदेली साहित्यकार डॉ श्याम विहारी श्रीवास्तव (सेंवढ़ा) तथा बालाप्रसाद यादव (झांसी)को राष्ट्रीय बुंदेली सम्मान सहित डॉ देवेंद्र तोमर मुरैना को हिंदी गीत सम्मान, डॉ साफिया खान ओरछा को साहित्य भूषण सम्मान, कमलकातं शर्मा दतिया को बुंदेली रत्न सम्मान, माता प्रसाद शुक्ल ग्वालियर एवं रामसेवक पंकज को को साहित्य सम्मान, डॉ कुंती हरीराम झांसी एवं दुर्गोबद्र्धन कुशवाह को गीत सम्मान एवं मंजूरे आलम कसक को ईद खां दर्द सम्मान से सम्मानित किया गया। समारोह में खेलो इंडिया के पदक विजेता शिवकांत दांगी, सत्यम दांगी व यश जाट सहित आठ खिलाडिय़ों को बुंदेलखंड गौरव से सम्मानित किया गया।
समारोह का संचालन बाल कृष्ण अग्रवाल ने एवं आभार डॉ सरोज शुक्ल ने किया। कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती एवं डॉ शुक्ला के चित्र पर माल्यार्पण किया। समारोह में साहित्यकार डॉ राम शंकर भारती(झांसी)ने डॉ शुक्ल का बुंदेली के विकास में योगदान विषय पर व्याख्यान दिया।
ये भी पढ़ें- साहित्य कुंभ : राजस्थान साहित्य उत्सव 25 से 27 मार्च तक जोधपुर में होगा, 13 सत्र किए जाएंगे आयोजित
