गदरपुरः गोदाम में आग लगने से लाखों रुपए के नुकसान का आशंका
गदरपुर, अमृत विचार। माचिस और गुटके के गोदाम में अचानक आग लगने से हड़कंप मच गया। आग से गोदाम में रखा भारी मात्रा में तंबाकू गुटका और माचिस की पेटियां जलकर राख हो गई। घटना के दौरान गोदाम की दूसरी मंजिल पर गोदाम स्वामी का पूरा परिवार बेखबर सो रहा था। गनीमत रही कि समय रहते पूरे परिवार को बाहर निकाल लिया गया जिससे कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।
सोमवार को सर्राफा बाजार में अज्ञात कारणों के चलते एक माचिस व तंबाकू सहित अन्य सामान के गोदाम में आग लग गई। आग लगने से गोदाम में रखा भारी मात्रा में गुटका, तंबाकू, माचिस की पेटियां जलकर पूरी तरह से राख हो गई।
आबादी के बीचों-बीच बने इस गोदाम में भारी मात्रा में माचिस की पेटियों सहित अन्य सामान रखा हुआ था। माचिस की पेटियों से भरे गोदाम में दूसरी बार आग लगने से दमकल विभाग भी सवालों के घेरे में है। लोगों का कहना है कि गोदाम के अन्य हिस्सों में भारी मात्रा में रखी माचिस की अन्य पेटियों तक अगर आग पहुंच जाती तो गोदाम की दूसरी मंजिल पर बेखबर सो रहे परिवार को बचाना मुश्किल होता।
गोदाम व्यापारी संजय डाबर का बताया जा रहा है। संजय डाबर गुटका, तंबाकू, माचिस सहित अन्य सामानों के थोक विक्रेता हैं और भवन के निचले तल पर संजय ट्रेडर्स नाम से होलसेल की दुकान चलाते हैं। आग लगने की सूचना पर व्यापार मंडल अध्यक्ष दीपक बेहड़ एवं भाजपा के मंडल अध्यक्ष सुरेश खुराना ने घटनास्थल पर पहुंचकर पीड़ित कारोबारी को ढांढस बंधाया।
क्षेत्रीय पटवारी ने भी गोदाम का निरीक्षण कर नुकसान का आकलन किया। पटवारी सतपाल बाबू का कहना है कि पीड़ित कारोबारी के अनुसार आग से करीब 18 लाख रुपए के नुकसान का अनुमान है जबकि, कारोबारी संजय का कहना है कि आग लगने से उन्हें करीब 20 लाख रुपए का नुकसान हुआ है।
दूसरी मंजिल पर मौजूद थे परिवार के सात सदस्य
घटना के वक्त दूसरी मंजिल पर पीड़ित कारोबारी संजय डाबर, पिता तिलक राज डाबर, माता सीमा रानी, पत्नी सिमरन के अलावा बड़ी बेटी अंशिका, मानवी और 6 साल का बेटा पुष्कर राज डाबर मौजूद थे।
पिछली घटना से भी नहीं लिया सबक
संजय ट्रेडर्स में आग लगने का यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी 28 मार्च 2018 में आग लगने की एक बड़ी घटना घटित हो चुकी है जिसमें भीषण आग और धुएं के गुबार में फंसे परिवार के सदस्यों को कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया था। जिसमें बुजुर्ग पिता की जान पर बन आई थी। हैरत की बात तो ये है कि भीषण अग्निकांड के बावजूद कारोबारी ने कोई भी सबक नहीं लिया। यदि समय रहते परिवार को पड़ोस के घर में छत से न भेजा जाता तो किसी भी अनहोनी की घटना से इनकार नहीं किया जा सकता।
