बेरोजगारी दर की सीमाएं
देश की अर्थव्यवस्था मजबूती से आगे बढ़ रही है। आम जनता को नौकरी के व्यापक अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। इसी के चलते बेरोजगारी दर में कमी दर्ज हुई है। भारत में बेरोजगारी दर जनवरी 2023 में कम होकर 7.1 प्रतिशत रह गई। जबकि दिसंबर में बेरोजगारी दर लगभग 8.3 प्रतिशत थी। यह शहरी भारत में 10.09 प्रतिशत और ग्रामीण भारत में केवल 7.44 प्रतिशत रही है।
ताजा आंकड़ों के अनुसार यह दर न केवल दिसंबर के स्तर से बल्कि इससे पहले दो महीनों के स्तरों से भी एक बड़ी गिरावट मानी जा सकती है। हालांकि कमी दर्ज होने के बावजूद यह दर ऊंचे स्तर पर बनी हुई है। जानकारों के मुताबिक बिना नौकरी वाले लोगों का प्रतिशत बेरोजगारी दर के रूप में जाना जाता है। अर्थव्यवस्था की स्थिति के अनुसार बेरोजगारी दर में उतार-चढ़ाव होता रहता है। अगर अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है और कम नौकरियां उपलब्ध हैं तो बेरोजगारी दर बढ़ेगी। देश की जटिल आबादी और बदलते कार्य बाजार ने बेरोजगारी को एक बड़ी चिंता बना दिया है।
बेरोजगारी दर के बारे में अधिक जानने से नीति निर्माताओं को यह गारंटी देने के लिए सही उपाय करने में मदद मिल सकती है कि काम की तलाश करने वाले हर व्यक्ति को वह रोजगार मिले जिसके लिए वे योग्य हैं। ऐसे में बेरोजगारी दर की सीमाएं और जनवरी 2023 में इसमें गिरावट के सही अर्थ को समझना भी जरूरी हो जाता है।
दिसंबर 2022 की तुलना में जनवरी 2023 में बेरोजगारी दर में गिरावट संभवतः मोटे तौर पर अस्थायी कारकों का नतीजा हो सकता है। असंगठित क्षेत्रों में अनौपचारिक रोजगार की हिस्सेदारी अधिक रहने से यह उतार-चढ़ाव दिखा है। 2024 चुनाव के मद्देनजर बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार विपक्ष के निशाने पर रहेगी।
भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी इस ओर इशारा कर चुके हैं। उन्होंने सलाह भी दी कि भारत सरकार को सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय युवाओं के कौशल का इस्तेमाल कर रोजगार देने, स्वदेशी वस्तुओं का निर्यात बढ़ाने और विकास की संभावनाओं के साथ उत्पादन क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। कुल मिलाकर सरकार एक सार्वजनिक रोजगार कार्यक्रम का निर्माण कर सकती है जो नौकरी की स्थिरता बनाने के लिए न्यूनतम वेतन स्तरों पर पूर्णकालिक रोजगार पैदा करती है।
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