जरूरी शिक्षकों, सुविधाओं के बिना चल रहे मेडिकल कॉलेजों पर कार्रवाई होगी: सरकार
नई दिल्ली। लोकसभा में शुक्रवार को द्रविड़ मुनेष कषगम (द्रमुक) के सदस्यों के साथ नोक-झोंक के बीच स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि सरकार ऐसे मेडिकल कालेजों पर कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है जो न्यूनतम शिक्षक बल, बुनियादी ढांचा और सम्बद्ध अस्पताल में न्यूनतम मरीज की कसौटी को पूरा नहीं करते हैं।
मांडविया ने लोकसभा में प्रश्न काल के दौरान सदस्यों के अनुपूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए यह भी कहा कि केंद्र ने नए मेडिकल कालेज खोलने के लिए राज्य या निजी क्षेत्र पर कोई पाबंदी नहीं लगा रखी है और इस संबंध में कुछ शर्तें ढीली भी की हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अपनी ओर से किसी राज्य या निजी क्षेत्र के किसी व्यक्ति को नए मेडिकल कॉलेज खोलने से मना नहीं किया है। वे यदि इन्फ्रास्ट्रक्चर, फैकल्टी (शिक्षक) , 300 बिस्तर के अस्पताल और न्यूनतम 700 विद्यार्थियों की कसौटी को पूरा करने को तैयार हो तो उन्हें कॉलेज खोलने की मंजूरी देने में कोई दिक्कत नहीं है।
प्रश्न काल के दौरान द्रमुक के टीआर बालू ने सरकार से सवाल किया कि इस समय देश में कितने कॉलेज बिना बुनियादी ढांचे के चल रहे हैं और ऐसे कितने कॉलेज हैं जिनका शिलान्यास प्रधानमंत्री ने कर रखा है, लेकिन उन पर काम शुरू नहीं हुआ है। इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह सवाल प्रकारांतर से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) मदुरै को लेकर है जहां परिसर के निर्माण में देरी राज्य सरकार की ओर से समय पर जमीन की व्यवस्था नहीं किए जाने के कारण हुई है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मदुरै एम्स चल रहा है, वहां निदेशक भी है। उन्होंने द्रमुक सदस्यों के विरोध के बीच कहा कि इनका गुस्सा मदुरै एम्स को लेकर नहीं बल्कि नियम विरुद्ध चल रहे मेडिकल कालेजों पर कार्रवाई को लेकर है। उन्होंने कहा, “कई कालेज कम शिक्षकों में काम कर रहे हैं। मोदी सरकार उन पर शिकंजा कस रही है। यह प्रतिक्रया उसको लेकर है। तमिलनाडु में 19000 करोड़ रुपये खर्च कर के मदुरै में एम्स के निर्माण का काम चल रहा है।” इस पर द्रमुक के सदस्य खड़े हो गए। अध्यक्ष ओम बिड़ला ने उन्हें शांत करते हुए कहा कि “सदन में आलोचना तो हो सकती है लेकिन आरोप नहीं लगाया जा सकता। मैं कार्यवाही का रिकॉड देख लूंगा।”
मांडविया ने कहा कि केंद्र ने देश भर में मेडिकल काॅलेजों का विस्तार करने की पहले तीन चरण की योजना में कुल 157 काॅलेज के लिए अनुदान देने का निर्णय कर रखा है। उसके पूरे होने के बाद नए काॅलेजों के लिए अनुदान पर विचार किया जाए। उन्होंने कहा कि इस समय केंद्रीय अनुदान से जिन 157 मेडिकल कालेजों का निर्माण हो रहा है उनमें 84 की अवसंरचना सुविधाएं खड़ी हो चुकी हैं।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश में मेडिकल कालेज की संख्या 655 हो गयी है जबकि 2014 में मोदी सरकार के बनने के समय यह संख्या 387 थी। महाराष्ट्र के गोंदिया में मेडिकल कालेज की स्वीकृति के बावजूद उस पर काम शुरू न होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि राज्य से जमीन आदि मिलने में देरी और अन्य स्थानीय मुद्दों के चलते ऐसा हुआ है।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. मांडविया ने कहा कि केंद्र के पास नए मेडिकल कालेजों के लिए ऐसे 37 अवेदन मिले हैं जिनका निरीक्षण परीक्षण किया जा रहा है। बिहार में कटिहार में मेडिकल कॉलेज की मंजूरी की दुलाल चंद गोस्वामी की मांग पर उन्होंने कहा कि पहले तीन चरणों में राज्य सरकार के प्रस्तावों को ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर तय किया जा चुका है।
सदस्य केसी श्रीनिवासन के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य सरकारों से बच्चों और महिलाओं में रक्त की कमी से निपटने की योजना का पैसा उपयोग करने को लगातार कहा जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने राजीव प्रताप रुडी के एक सवाल के जवाब में कहा कि सरकार ‘आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना’ को रोगी के लिए और अधिक सुविधाजनक बनाने को तैयार है ताकि उन्हें अस्पताल में दाखिले में दिक्कत नहीं हो।
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