Earthquake: किस वजह से तुर्की और सीरिया में आया भीषण भूकंप?...जवाब यहां हैं
अंकारा। तुर्किये और सीरिया में आए भीषण भूकंप के कारण मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 4,000 से अधिक हो गई है। वहीं, भूकंप के चलते हज़ारों की संख्या में लोग घायल हुए हैं और बचावकर्मी प्रभावित इलाकों में मलबे में फंसे लोगों की तलाश में जुटे हैं। अधिकारियों ने बताया कि मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
सीरिया में सोमवार को आए भीषण भूकंप से हुई तबाही का ड्रोन फुटेज सामने आया है जिसमें इमारतों का मलबा दिख रहा है। सीरिया में सरकारी नियंत्रण वाले क्षेत्र में भूकंप के कारण अब तक 430 से अधिक लोगों जबकि सरकार के ना नियंत्रण वाले क्षेत्र में कम-से-कम 380 लोगों की मौत हो चुकी है।
तुर्किये के गाज़ियानटेप शहर के एक फूलदान स्टोर का वीडियो सामने आया है जिसमें कथित तौर पर दिख रहा है कि 7.8 तीव्रता का भूकंप 90 सेकेंड से अधिक समय तक रहा। वीडियो में भूकंप के कारण फूलदान ज़मीन पर गिरते दिख रहे हैं। तुर्किये और सीरिया में भूकंप के कारण 4,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
तुर्किये की आपदा और आपातकालीन प्रबंधन एजेंसी (एएफएडी) के मुताबिक, तुर्किये में सोमवार को 7.8 तीव्रता वाले शक्तिशाली भूकंप आने के बाद कम-से-कम 120 झटके (आफ्टरशॉक) महसूस किए गए। बकौल एएफएडी, तुर्किये में भूकंप के कारण कम-से-कम 1,498 लोगों की मौत हो चुकी है और 8,533 लोग घायल हुए हैं। वहीं, तुर्किये में भूकंप से 2,834 इमारतें नष्ट हुई हैं।
तुर्किये में भूकंप के बाद हुई भीषण तबाही के बाद राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोआन ने 7 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है।राष्ट्रपति एर्दोआन ने ट्वीट किया, 12 फरवरी को सूर्यास्त तक देश व विदेश में हमारे दूतावासों में ध्वज आधा झुका रहेगा।" तुर्किये और सीरिया में भूकंप के कारण 4,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
यूरोपियन मेडिटरेनियन सिस्मोलॉजिकल सेंटर के मुताबिक, तुर्किये में सोमवार को तीन बार आए भीषण भूकंप के बाद मंगलवार को भी 5.6 की तीव्रता का भूकंप आया। दरअसल, तुर्किये और सीरिया में 7.8 की तीव्रता के भीषण भूकंप के कारण अब तक 4,000 लोग जान गंवा चुके हैं जबकि हज़ारों लोग घायल हैं। भारत ने तुर्किये को राहत सामग्री भेजी है।
तुर्किये में भूकंप से भीषण तबाही के बाद भारत सरकार ने वहां राहत व चिकित्सा सामग्री, एनडीआरएफ की टीम और डॉग स्क्वॉड को भेजा है। बकौल सरकार, भूकंप राहत सामग्री के पहले बैच के साथ ड्रिलिंग मशीन और अन्य आवश्यक उपकरण भी भेजे गए हैं। तुर्किये व सीरिया में भूकंप के चलते मौतों की संख्या बढ़कर 4,000+ हो गई है।
तुर्किये में भूकंप से भीषण तबाही के बीच भारत द्वारा वहां राहत सामग्री भेजने को लेकर भारत में तुर्किये के राजदूत फिरात सुनेल ने आभार जताया है। उन्होंने ट्वीट किया, टर्किश व हिंदी भाषा में 'दोस्त' समान शब्द है। उन्होंने एक टर्किश कहावत शेयर की जिसका मतलब है कि ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है।
सीरिया में भूकंप से ढही इमारत से 18-महीने की बच्ची को जीवित निकाला गया है। इसमें बच्ची की गर्भवती मां, 5-वर्षीय बहन और 4-वर्षीय भाई की मौत हो गई है। उसके चाचा ने बताया कि बच्ची के पिता की कमर टूटने की आशंका है और इमारत से एक अन्य परिवार की महिला व उसके तीन बच्चों को बचाया गया है।
भूकंप आने का क्या कारण है?
तुर्किये और सीरिया में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप का केंद्र पूर्वी अनातोलियन फॉल्ट पर ज़मीन से 18 किलोमीटर नीचे था और इसकी वजह स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट है। इसमें धरती के अंदर मौजूद प्लेट्स के खिसकने से होने वाला तनाव अत्यधिक होने पर एक प्लेट दूसरी प्लेट पर चढ़ जाती है जिससे सतह पर भी बहुत हलचल होती है।
धरती का अंदर का भाग अलग-अलग प्लेटों से बना होता है, जो एक दूसरे से सटी होती हैं। अक्सर ये प्लेटें खिसकती हैं और पास की प्लेटों से घर्षण होता है। कभी कभार तनाव इतना बढ़ जाता है कि एक प्लेट, दूसरी पर चढ़ जाती है जिससे सतह पर भी हलचल होती है। इस मामले में अरेबियन प्लेट उत्तर की ओर खिसक रही है और एनातोलियन प्लेट से इसका घर्षण हो रहा है। प्लेट के बीच घर्षण ही अतीत में भी विनाशकारी भूकंपों का कारण रहा है।
इसकी वजह से 13 अगस्त 1822 को 7.4 तीव्रता का भूकंप आया था जो सोमवार को आए 7.8 तीव्रता के भूकंप से काफी कम है। यहां तक कि 19वीं शताब्दी में आए भूकंप से इस इलाके के कस्बों में भारी तबाही मची थी, जिसमें सिर्फ़ अलेप्पो में ही 7,000 लोगों की मौत दर्ज की गई थी।
इसके बाद भी साल भर तक नुकसान पहुंचाने वाले ऑफ़्टरशॉक आते रहे थे। इस ताजा भूकंप के बाद भी लगातार आफ्टरशॉक आ रहे हैं और वैज्ञानिक अनुमान लगा रहे हैं कि इस क्षेत्र में पहले आए बड़े भूंकप की तरह ही आफ्टरशॉक आएंगे।
अब भूकंप मूमेंट मेग्निट्यूड स्केल पर मापे जाते हैं। 2.5 या उससे कम तीव्रता का भूकंप तो महसूस ही नहीं होता, लेकिन उपकरणों से उसे भी मापा जा सकता है। करीब पांच की तीव्रता वाले भूकंप महसूस किए जा सकते हैं और उनसे मामूली नुकसान ही होता है, लेकिन तुर्की में आये भूकंप की तीव्रता 7.8 थी। इसे बड़ा भूकंप कहा जाता है और इसके अक्सर विनाशकारी परिणाम होते हैं और तुर्की में भी ऐसी ही हुआ है।
आठ से ऊपर की तीव्रता वाले भूकंप भयानक तबाही मचाते हैं और उनकी चपेट में आए समुदाय पूरी तरह से तबाह हो जाते हैं। जापान के तट पर साल 2011 में आये भूकंप की तीव्रता 9 थी। इससे जापान में भारी तबाही हुई। बाद में भूकंप के वजह से सूनामी की लहरें उठीं और तबाही मचाती गईं। इसकी वजह से जापान का एक परमाणु संयंत्र भी ख़तरे की ज़द में आ गया था। अब तक का सबसे भूकंप चिली में 1960 में दर्ज किया गया है। इसकी तीव्रता 9.5 बताई गई थी।
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