विपक्ष ने अडानी समूह के खिलाफ JPC जांच की मांग को लेकर संसद के बाहर किया प्रदर्शन
नई दिल्ली। विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद भवन के बाहर गांधी प्रतिमा के सामने जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) या सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में अडानी समूह के खिलाफ जांच की मांग को लेकर प्रदर्शन किया है। प्रदर्शन में कांग्रेस, टीएमसी व आप समेत अन्य दलों के विपक्षी नेता शामिल हुए। सांसद सेव एसबीआई व 'सेव एलआईसी का पोस्टर थामे नज़र आए।
कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने अडाणी समूह के खिलाफ 'हिंडनबर्ग रिसर्च' द्वारा लगाए गए आरोपों से जुड़े मामले को लेकर संसद भवन के परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन किया तथा संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने या उच्चतम न्यायालय की निगरानी में इसकी जांच कराए जाने की मांग की। कांग्रेस का कहना है कि इस विषय पर सदन में चर्चा भी होनी चाहिए और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जवाब देना चाहिए। प्रदर्शन कर रहे इन नेताओं ने एक बड़ा बैनर भी ले रखा था जिस पर लिखा था अडाणी स्कैन्डल की जेपीसी जांच या उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच हो।
इस प्रदर्शन से पहले राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के कक्ष में बैठक कर विपक्षी नेताओं ने साझा रणनीति पर चर्चा की। बैठक के बाद विपक्षी सदस्यों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया। विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति, आम आदमी पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), द्रमुक, समाजवादी पार्टी, शिवसेना (उद्धव ठाकरे), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और कुछ अन्य दलों के नेता शामिल हुए। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य विपक्ष की बैठक में शामिल नहीं हुए थे, लेकिन संसद परिसर में हुए प्रदर्शन में वे शामिल हुए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने संवाददाताओं से कहा, लाखों करोड़ रुपये डूब गए। क्या यह विषय सदन में चर्चा के लायक नहीं है? राज्यसभा में नियम 267 का प्रावधान क्यों किया गया है? क्या यह विषय नियम 267 के तहत नहीं आता? संप्रग सरकार में भारतीय जनता पार्टी को अनेक विषयों पर चर्चा की अनुमति दी गई थी। उन्होंने यह भी कहा, सभापति महोदय (जगदीप धनखड़) इसी आधार पर (नोटिस) निरस्त कर देते हैं कि (राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के माध्यम से) आपके पास अपनी बात रखने का अवसर है। हम प्रधानमंत्री जी से इस प्रकरण पर जवाब चाहते हैं।
सिंह ने बताया कि 17 राजनीतिक दलों ने मिलकर तय किया है कि वे अडाणी समूह से जुड़े मामले पर नियम 267 के तहत चर्चा चाहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि एक व्यक्ति को बचाने के लिए सारा खेल रहा है। सिंह ने कहा, जब तक नरेन्द्र मोदी जी चर्चा के लिए तैयार नहीं होंगे, हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्यों प्रमोद तिवारी, सैयद नासिर हुसैन और अमी याग्निक ने अडाणी समूह से जुड़े प्रकरण की पृष्ठभूमि में सदन में नियम 267 के तहत प्रश्नकाल और दूसरे विधायी कार्यों को स्थगित कर चर्चा कराए जाने की मांग की थी।
इस विषय पर गत सप्ताह दोनों सदनों में विपक्षी सदस्यों ने जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने और चर्चा कराए जाने की मांग को लेकर हंगामा किया था जिस कारण दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई थी। संसद का बजट सत्र गत मंगलवार, 31 जनवरी को आरंभ हुआ है। सत्र का पहला भाग 13 फरवरी तक होगा। 14 फरवरी से 12 मार्च तक सदन की कार्रवाई नहीं होगी और इस दौरान विभागों से संबंधित संसदीय स्थायी समितियां अनुदान मांगों की समीक्षा करेंगी और अपने मंत्रालयों और विभागों से संबंधित रिपोर्ट तैयार करेंगी। बजट सत्र का दूसरा भाग 13 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल तक चलेगा।
झारखंड मुक्ति मोर्चा की सांसद महुआ माजी ने कहा कि पीएम मोदी क्यों नहीं आना चाहते और इसका सामना करना चाहते हैं? हर चीज का धीरे-धीरे निजीकरण किया जा रहा है। आप देख सकते हैं कि देश किस ओर जा रहा है। पूरा विपक्ष एकजुट है, हम विरोध कर रहे हैं। हमें जवाब चाहिए।
ये भी पढ़ें- तेलंगाना का 2.90 लाख करोड़ रुपये के व्यय का बजट पेश, दलित बंधु योजना को 17700 करोड़
