नैनीताल : उत्तराखंड की इस जगह को कहते हैं त्रि -ऋषि सरोवर ।
नैनीताल, अमृत विचार। देवभूमि उत्तराखंड की प्रत्येक जगह के पीछे कोई ना कोई पौराणिक कथा जरूर जुड़ी होती है। नैनीताल आधुनिक काल में 'लेक सिटी' के नाम से प्रसिद्ध है लेकिन 'स्कन्द पुराण' में 'मानस खंड' के अनुसार नैनीताल को त्रि-ऋषि सरोवर भी कहा जाता है क्योंकि माना जाता है 'सप्तऋषि' के अत्रि, पुलसत्य और पुलह नामक तीन ऋषि अपनी प्रायश्चित तीर्थ यात्रा करते हुए यहाँ पहुचे थे। वह काफी प्यासे थे लेकिन आस-पास प्यास बुझाने के लिए कोई जल श्रोत नहीं था। इसके पश्चयात तीनों ने मिलकर एक गड्ढा खोदा और तिब्बत स्थित मानसरोवर झील से जल प्रभाव को नैनीताल की ओर अग्रसित किया।

नैनीताल दो शब्द के संगठन से बना है: नैनी और ताल। माना जाता जब भगवान शिव, माता सती का जलता शरीर लेकर गुस्से और अत्यंत दुख में भारत की भूमि पर भाग रहे थे, तो माता सती का बायां नेत्र , नैनीताल मे गिर गया था। इसलिए 64 शक्तिपीठ में से एक नैना देवी माता मंदिर को माना जाता है। नैना देवी मंदिर झील के पूर्वीय भाग पर स्थित है। नैना देवी को नैनीताल की कुल देवी भी माना गया है और ऊंचाई से देखने पर झील का आकार भी हरी आंखों जैसा प्रतीत होता है।
