मोरबी ब्रिज हादसे में ओरेवा ग्रुप के जयसुख पटेल को न्यायिक हिरासत में भेजा गया
गांधीनगर। मोरबी ब्रिज हादसे में ओरेवा ग्रुप के जयसुख पटेल को न्यायिक हिरासत में भेजा गया। इससे पहले उसने मोरबी में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में आत्मसमर्पण किया था।
बता दें कि मोरबी पुल हादसा मामले में आरोपी बनाए गए ओरेवा ग्रुप के एमडी जयसुख पटेल ने मंगलवार को मोरबी कोर्ट में सरेंडर किया। वहीं इस मामले में 1,262 पन्नों की चार्जशीट दायर की गई थी। चार्जशीट में आरोपी के तौर पर ओरेवा ग्रुप के जयसुख पटेल का नाम शामिल किया गया था।
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पुलिस द्वारा कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में 10 लोगों को आरोपी बनाया गया था। जिसमें से 9 लोगों पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका था, लेकिन ओरेवा ग्रुप के निदेशक फरार चल रहे थे। पुलिस ने प्रबंधक दीपक पारेख, दिनेश दवे, तीन सुरक्षा गार्ड, दो टिकट क्लर्क और इतने ही निजी संविदा कर्मियों को गिरफ्तार किया गया है और वे न्यायिक हिरासत में हैं।
ओरेवा समूह के खिलाफ प्रमुख आरोप यह है कि उचित फिटनेस प्रमाण पत्र के बिना उन्होंने झूला पुल जनता के लिए खोल दिया। इस मामले में नगर पालिका ने कहा कि हमने कंपनी को कोई फिटनेस प्रमाणपत्र जारी नहीं किया था, और इसने हमें यह भी सूचित नहीं किया है कि यह लोगों के लिए झूला पुल खोल रहे हैं। हादसे की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित एक विशेष जांच दल ने फर्म की ओर से कई चूक होने का जिक्र किया है।
वहीं गुजरात हाई कोर्ट मोरबी पुल हादसे के पीड़ितों को मुआवजा देने के ओरेवा समूह की पेशकश पर बुधवार को सहमत हो गया, लेकिन कोर्ट ने कहा कि यह उसे किसी दायित्व से मुक्त नहीं करेगी। पिछले साल 30 अक्टूबर को हुए इस हादसे में 135 लोगों की जान चली गई थी और कई अन्य घायल हो गये थे। मच्छु नदी पर स्थित और ब्रिटिश शासन काल के दौरान बने इस केबल पुल के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी ओरेवा समूह (अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड) को दी गई थी।
मामले में पक्षकार बनाई गई कंपनी ने 135 मृतकों,56 घायलों के परिजनों और अनाथ हुए सात बच्चों को मुआवजा देने की पेशकश की है। इस पर, अदालत ने उसे एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि इस तरह का कार्य ‘‘उसे किसी दायित्व से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मुक्त नहीं करेगा।’’
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