बरेली: एंटीबायोटिक नहीं हो रहीं कारगर, एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स विकल्प
बरेली, अमृत विचार। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के पशु जैव प्रौद्योगिकी विभाग में बुधवार को एंटीबायोटिक के विकल्प के लिए एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स पर 21 दिवसीय शीतकालीन पाठ्यक्रम की शुरुआत हुई। इसमें तमिलनाडु, असम, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, पश्चिमी बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मणिपुर के 25 वैज्ञानिक व शिक्षक प्रतिभाग कर रहे हैं। पाठ्यक्रम से संबंधित एक कंपेडियम का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि आईवीआरआई के पूर्व निदेशक व कुलपति डा. आरके सिंह मौजूद रहे। यह कार्यक्रम हाइब्रिड ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से आयोजित किया गया।
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कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डा. आरके सिंह ने बताया कि सभी प्रशिक्षाणर्थी एंटीबायोटिक के विकल्प रूप में विभिन्न मॉलिक्यूल की खोज करने के लिए शोध योजनाओं का संचालन करेंगे। विशिष्ट अतिथि सीएआरआई के निदेशक डा. एके तिवारी ने कुक्कुट के क्षेत्र में प्रयोग में लाए जाने वाली विभिन्न टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी साझा की। बताया कि एंटीबायोटिक्स के अधिक उपयोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है और बहुत से एंटीबायोटिक कारगर सिद्ध नहीं हो रहे हैं। इसलिए नए विकल्प खोजने की आवश्यकता अधिक है। संस्थान के निदेशक व कुलपति डा. त्रिवेणी दत्त ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बताया कि आईवीआरआई की बायोसेंसर प्रयोगशाला में शोध करने की समुचित उपकरण मौजूद हैं।
पाठ्यक्रम निदेशक डा. समीर श्रीवास्तव ने बताया कि बहुत से जीवाणुओं ने वर्तमान में प्रयोग में लाई जाने वाली एंटीबायोटिक्स से बचाने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बना ली है, जिस कारण कई एंटीबायोटिक कारगर साबित नहीं हो रही है। इसलिए एंटीबायोटिक के विकल्प में एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स पर शोध कार्य निरंतर किया जा रहा है। इसके लिए प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण में बेंगलुरु व मुक्तेश्वर कैंपस से प्रभारी, संयुक्त निदेशक व वैज्ञानिकों की ओर से प्रतिभाग किया गया। इस अवसर पर कंपेडियम का भी विमोचन किया गया। एंटीबायोटिक प्रतिरोध से लड़ने के लिए विभिन्न वैकल्पिक विषयों पर चर्चा की गई। समारोह में सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डा. सतीश कुमार का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन डा. सोनल सक्सेना ने किया।
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