मिशन 2024 के मद्देनजर चुनावी रणनीति में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में भाजपा

मिशन 2024 के मद्देनजर चुनावी रणनीति में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में भाजपा

  • समाज के सभी वर्गों, खासकर मुस्लिम समाज तक पहुंच बनाने की मंशा
  • पार्टी की नजर प्रवासी भारतीयों को भी यहां के चुनाव से जोड़ने की

अमृत चिचार, नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (BJP) का राष्ट्रीय नेतृत्व मिशन 2024 के मद्देनजर चुनावी रणनीति में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। इस बार के आम चुनाव में पार्टी का हिदुत्व एजेंडा अपनी व्यापक परिभाषा के साथ सर्वसमाज को जोड़ने जा रहा है। भाजपा से जोड़ो अभियान की मंशा यही होगी।

इसे कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का प्रभाव कहें या समय की मांग, इस बार भाजपा समाज के सभी वर्गों खासकर मुस्लिम समाज तक पहुंच बनाने को तैयार हैं। इतना ही नहीं भाजपा की नजर प्रवासी भारतीयों को भी यहां के चुनाव से जोडऩे की है। एक बात तो तय है कि भाजपा नेताओं का सत्तासुख वाले कम्फर्ट जोन से बाहर आना मजबूरी होगी।

नई दिल्ली से अजय दयाल और शोभित मिश्र की रपट-

यह लब्बो-लुआब मंगलवार को समाप्त हुई भाजपा की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकल कर सामने आया है। कार्यकारिणी के समापन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मार्गदर्शन संबोधन था। इसी संबोधन से भाजपा के मिशन 2024 समेत नौ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव का रास्ता निकलना तय था। नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर से सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की मंशा को स्पष्ट किया। यह मंत्र उन्होंने 2019 में सत्ता संभालने के बाद दिया था।

भाजपा ही नहीं नरेन्उ्र मोदी भी जानते हैं कि तीसरी बार पार्टी की सत्ता में वापसी की डगर पिछली बार के मुकाबले कठिन है। इसलिए उन्होंने इस बार के चुनाव में खासतौर से मुस्लिम वर्ग को भी साथ लाने की पुरजोर हिमायत की। नरेन्द्र मोदी सभी राज्यों की सरकारों और संगठनों के मुखिया को यह बताने का प्रयास किया कि केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ बगैर भेदभाव सभी वर्गों को दिया जा रहा है।

इसके साथ ही भाजपा सरकारों में एक भी ऐसी मिसाल नहीं मिली जिससे यह जाहिर होता हो कि मुस्लिमों के साथ अलग व्यवहार किया गया हो। तो फिर क्या कारण है कि हम मुस्लिम वर्ग का साथ नहीं ले पा रहे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री ने अपने मार्गदर्शन भाषण में इस बात पर जोर दिया कि लोकसभा चुनाव के बचे 400 दिन में सभी वर्गों के बीच जाकर संवाद और संपर्क बनाएं और मुस्लिम वर्ग का विश्वास जीतकर उन्हें अपने साथ लेकर आगे बढ़ें।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस बात से भलीभांति वाकिफ है कि अगर पिछली बार की तरह या उससे ज्यादा सीठटें लोकसभा में लानी हैं तो 40 से 45 फीसदी वोट हासिल करने से काम नहीं चलेगा। बल्कि इसका दायरा कम से कम 60 फीसद तो जाना ही चाहिये। भाजपा हाईकमान यह भी देख रहा है कि किस तरह से राज्यों में विपक्षी सरकारें बन रहीं हैं या फिर दोबारा सरकार पर काबिज हो रहीं हैं।

मसलन हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने भाजपा को पदच्युत करके अपनी सरकार बनायी। पश्चिम बंगाल में भाजपा की लाख कोशिशों के बावजूद ममता तीन चौथायी बहुमत से सरकार बनाने में कामयाब रही। दिल्ली, पंजाब में अरविंद केजरीवाल की प्रचंड बहुमत से सरकार बनी तो उनका नगर निगम पर भी कब्जा हो गया।  

उधर, झारखण्ड और बिहार तो भाजपा के हाथ से निकल ही गया है। इधर, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को मिल रहे आपार जनसमर्थन ने भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व की पेशानी पर बल ला दिये हैं। ऐसी स्थिति में अब देखना यह है कि पिछली बार 42 फीसद वोट हासिल कर 303 सीट लाने वाली भाजपा क्या दोबारा इस लक्ष्य को हासिल करेगी? यह तो वक्त ही बताएगा।

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