Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति का पर्व मनाने के पीछे मौजूद हैं कई कारण, जरूर जानें
Makar Sankranti 2023: हिंदू धर्म में कई सारे त्योहार मनाए जाते हैं। जिनका अपना विशेष सामाजिक और धार्मिक महत्व मौजूद है। इसी तरह से मकर संक्राति का त्योहार भी बेहद उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। इस दिन विशेष तौर पर दान-पुण्य और गंगा स्नान आदि किया जाता है।
मकर संक्रांति वाले दिन खिचड़ी भोज का आयोजन भी होता है। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे सूर्य का उत्तरायण होना कहते हैं। इस दिन संपूर्ण उत्तर भारत में खिचड़ी भोज का आयोजन होता है, जबकि कई लोग मकर संक्रांति वाले दिन पंतग भी उड़ाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मकर संक्रांति का पर्व हिंदू धर्म में क्यों मनाया जाता है, यदि नहीं। तो चलिए जानते हैं...
इस वजह से मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति वाले दिन सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, यानि सूर्यदेव अपने पुत्र शानिदेव के घर जाते हैं और करीब एक महीने तक रहते हैं। जिस कारण सूर्य के उत्तरायण के चलते मकर संक्राति का पर्व मनाया जाता है। मकर संक्रांति वाले दिन से ही देवी-देवताओं के दिन शुरू हो जाते हैं, यानि सूर्य के उत्तरायण के चलते शुभ दिन आरंभ हो जाते हैं। मकर संक्राति के बाद से ही मांगालिक कार्यों का आयोजन किया जाता है।
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मकर संक्रांति वाले दिन ही गंगा मैया भागीरथ के साथ धरती पर आई थी और जाकर सागर में मिल गई थी। तभी से मकर संक्राति वाले दिन गंगासागर में मेले का आयोजन होता है। साथ ही इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। भगवान विष्णु ने इस दिन असुरों को युद्द में हराया था, तब से ही मकर संक्राति को बुराई के अंत का दिन माना जाता है।
इसी दिन पितामह भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने के बाद अपने शरीर का त्याग किया था, इसलिए मकर संक्राति के दिन पूर्वजों के तर्पण की प्रथा निभाई जाती है। मकर संक्रांति के दिन खरीफ की फसलों को उगाया जाता है, इसलिए इसे नई फसल और अन्न की पूर्ति के पर्व के तौर पर भी मनाया जाता है।
