RTI के तहत तीस दिन के भीतर सूचना देना अनिवार्य, उल्लंघन करने पर कर्मचारी दंड के भागी

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
On

देवरिया। यूपी के देवरिया में बुधवार को राज्य सूचना आयुक्त सुभाष चंद्र सिंह ने कहा कि सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों के अनुसार 30 दिन के अन्दर सूचना देना अनिवार्य है। इस अवधि में सूचना ने देने वाले अधिकारी, कर्मचारी दण्ड के भागी होंगे।

राज्य सूचना आयुक्त सुभाष चंद्र सिंह आज यहां कलेक्ट्रेट सभागार में आरटीआई प्रकरणों की सुनवाई करते हुए कहा कि समस्त जन सूचना अधिकारियों को जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की मूल भावना के तहत आरटीआई आवेदनों का निस्तारण करना होगा। उन्होंने कहा कि ससमय सूचना देने से पारदर्शिता एवं जवाबदेही में वृद्धि के साथ ही भ्रष्टाचार में भी कमी आती है, जिसका लाभ अंततः सुशासन के रूप में नागरिकों को मिलता है।

सूचना आयुक्त ने कहा कि सूचना अधिकार अधिनियम 2005 में निहित प्राविधानों के अनुसार 30 दिन के भीतर सूचना देना अनिवार्य है और इसे लक्ष्मण रेखा माना जाए। इस अवधि में सूचना न देने पर अधिकारी और कर्मचारी दंड के भागी होंगे। उन्होंने कहा कि समस्त कार्यालयों में जनसूचना अधिकारी नामित होने चाहिए।

उन्होंने कहा कि अक्सर यह देखने में आता है कि जन सूचना अधिकार के तहत दिए जाने वाले आवेदन सही कार्यालय में नहीं पहुंचते है, जिससे सूचना मिलने में समस्या आती है।
ऐसे आवेदनों का अंतरण पांच दिन की अवधि में संबंधित विभाग को देना चाहिए। सूचना देते समय व्यापक लोकहित का ध्यान रखा जाए।

राज्य सूचना आयुक्त सुभाष चंद्र सिंह ने आज 51 प्रकरणों की सुनवाई की जिसमें से 21 प्रकरणों का निस्तारण किया गया। अवशेष प्रकरणों को गुणदोष के आधार पर निस्तारित करने के लिए सुरक्षित रखा गया है। राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि वह माह में कम से कम 10 दिन जनपदों में सुनवाई करेंगे।

देवरिया से आज यह प्रारंभ हुआ है। गुरुवार को गोरखपुर में एवं शुक्रवार को महराजगंज जनपद में आरटीआई प्रकरणों की सुनवाई करेंगे। राज्य सूचना आयुक्त सुभाष चंद्र सिंह 18 से 20 जनवरी तक बहराइच जनपद में सुनवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि जनपदों में सुनवाई करने से आरटीआई प्रकरणों के गुणवत्तापूर्ण निस्तारण में तेजी आएगी।

यह भी पढ़ें:-बरेली : कटरी की जमीन पर कब्जे को लेकर कई बार गरजीं हैं बंदूकें, खूब हुआ खूनी खेल

संबंधित समाचार