हर धर्म का अपना सेंसर बोर्ड हो, 'बेशरम रंग’ विवाद पर जावेद अख्तर का बड़ा बयान

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Published By Sakshi Singh
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मुंबई। केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के शाहरुख खान अभिनीत फिल्म पठान के निर्माताओं से फिल्म के गाने बेशरम रंग के दृश्यों में बदलाव करने के लिए कहे जाने की खबरों के बीच गीतकार-लेखक जावेद अख्तर ने कहा कि फिल्म निर्माताओं को फिल्म प्रमाणन निकाय में भरोसा करने की जरूरत है, जिसके पास यह तय करने का अधिकार है कि फिल्म का अंतिम रूप क्या होगा। 

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सिद्धार्थ आनंद द्वारा निर्देशित फिल्म पठान का ट्रेलर जारी होने से एक दिन पहले अख्तर ने यह बयान दिया है। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को केंद्र सरकार के अधीन एक विभाग के रूप में संदर्भित करते हुए अख्तर (77) ने सोमवार को कहा कि मैं यह फैसला नहीं कर सकता कि गीत गलत है या सही। इसके लिए हमारे पास एक एजेंसी है।

 सरकार और समाज के कुछ लोग हैं जो फिल्म देखते हैं और तय करते हैं कि क्या दिखाया जाना चाहिए और क्या नहीं। अख्तर ने कहा कि मुझे लगता है कि हमें उनके द्वारा फिल्म को दिए जाने वाले प्रमाण पत्र, हटाए गए दृश्यों और अंतिम फैसले पर भरोसा करना चाहिए। खबरों के अनुसार, सीबीएफसी ने फिल्म निर्माण कंपनी यश राज फिल्म्स को गीत बेशरम रंग में बदलाव करने और भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ और प्रधानमंत्री कार्यालय के सभी उल्लेखों को फिल्म से हटाने का सुझाव दिया है।

फिल्म पठान 25 जनवरी को रिलीज होने वाली है। गीत बेशरम रंग में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के भगवा रंग के कपड़े पहनने को लेकर कई लोगों के नाराजगी जाहिर करने और इसे धार्मिक भावनाओं को कथित रूप से आहत करने वाला बताने के बाद से ही फिल्म को लेकर विवाद जारी है।

विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने पिछले सप्ताह ही अहमदाबाद के वस्त्रपुर इलाके में स्थित एक मॉल में हंगामा किया था और फिल्म पठान के पोस्टर फाड़ दिए थे। फिल्म के खिलाफ कुछ असामाजिक तत्वों के इस तरह के विरोध पर किए सवाल के जवाब में अख्तर ने कहा कि यह असामाजिक तत्व नहीं बल्कि नेता थे जिन्होंने गीत पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि कोई असामाजिक तत्व नहीं हैं, मंत्री ऐसी बातें कर रहे हैं। असामाजिक तत्वों के बारे में भूल जाओ। मध्य प्रदेश के गृह मंत्री ने यह कहा है।

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने गीत में दीपिका पादुकोण के एक दृश्य को पिछले महीने आपत्तिजनक करार दिया था और कहा था कि सरकार इस बात पर विचार करेगी कि फिल्म के प्रदर्शन की अनुमति दी जाए या नहीं। मध्य प्रदेश उलेमा बोर्ड ने भी इस्लाम को गलत तरीके से पेश करने के लिए फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।

अख्तर ने कहा कि अगर वह (मंत्री) सोचते हैं कि मध्य प्रदेश के लिए एक अलग सेंसर बोर्ड होना चाहिए, तो उन्हें अलग से फिल्म देखनी चाहिए। अगर वे केंद्र के फिल्म प्रमाणन से नाखुश हैं, तो हमें इस पर कुछ नहीं बोलना चाहिए। यह उनके और केंद्र के बीच की बात है। हाल ही में गठित धर्म सेंसर बोर्ड के बारे में पूछे जाने पर लेखक ने कहा कि हर धर्म का अपना सेंसर बोर्ड होना चाहिए।

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