लखनऊ : शीतलहर की छुट्टियों में स्मॉर्ट फोन फिर बना मुसीबत
शीतलहर की छुट्टियां घोषित होने के बाद शैक्षिक संस्थानों ने शुरू की ऑनलाइन क्लासेज
जिन अभिभावकों के एक से ज्यादा बच्चे तो क्लासे करवाने में हुए असमर्थ
पहला केस :
आलमबाग की रहने वाली नूपुर बनर्जी की बड़ी बेटी अदिति कक्षा-6 और छोटी बेटी इंद्राणी कक्षा-5 की छात्रा है। नूपुर के मुताबिक दोनों बेटियां आलमबाग के सेंट एंथोनी पब्लिक स्कूल में पढ़ती हैं। शीतलहर की छुट्टी घोषित होने के बाद स्कूल प्रशासन की ओर से ऑनलाइन क्लासे शुरू करा दी गई हैं। अब उनके घर मे एक ही स्मॉर्ट मोबाइल है। जिसके कारण दोनों बच्चों को दिक्कत होती है। नूपुर के मुताबिक उनके पति की कोविड से मौत हो चुकी है। लिहाजा उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि दूसरा मोबाइल खरीद सके। बच्चों की पढ़ाई भी सीएम बाल योजना के तहत हो रही है।
दूसरा केस:
विकासनगर की रहने वाली साइना ने बताया कि उनकी बेटी लीना फातिमा कक्षा-7 और बेटा मोहम्मद अली कक्षा- दो का छात्र है। दोनों कुर्सी रोड के गौरबाग स्थिति जीवनधारा कान्वेंट में पढ़ते हैं। छुट्टियां घोषित होने के बावजूद ऑनलाइन क्लास का दबाव बनाया जा रहा है। दोनों बच्चों को स्मॉर्ट फोन देना उनके लिए संभव नहीं हो पा रहा है। लिहाजा एक बच्चे की क्लास छूट जाती है।
अमृत विचार, लखनऊ। ये दो उदाहरण सिर्फ बानगी भर है। राजधानी में ऐसे हजारों अभिभावक हैं जो निजी स्कूलों की मनमानी से परेशान हैं। मौसम विभाग की ओर से शहर में कड़ाके की ठंड को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। इसके बाद जिलाधिकारी ने चार से 7 जनवरी तक 12वीं तक के स्कूल बंद करने के आदेश दिए हैं। जबकि प्राइमरी से कक्षा- 5 तक के स्कूल 31 दिसंबर से 14 जनवरी तक बंद करने के पूर्व में ही आदेश जारी किया गया था।
सूत्रों का कहना है स्कूल संचालकों की तरफ से दबाव बनाकर जिलाधिकारी के आदेश को मंगलवार को संशोधित कराया गया। जिसके मुताबिक टीचरों व अन्य स्टाफ को स्कूल बुलाया जा सकेगा। इस आदेश के जारी होने के बाद स्कूल प्रशासन टीचरों को अनिवार्य रूप से स्कूल आने का आदेश दिया है। इसके बाद स्कूल प्रशासन ऑनलाइन क्लासे कराने का दबाव बनाना शुरू कर दिया।
मंगलवार से ही अभिभावकों के मोबाइल पर मैसेज भेज कर जानकारी दी जा रही है। इतना ही नहीं बुधवार से ऑनलाइन क्लासे भी शुरू हो गई हैं। अभिभावकों का कहना है कि स्कूल प्रशासन का तर्क है कि यदि क्लासे अटेंड नहीं कराई तो बच्चा कोर्स पूरा करने में पिछड़ जाएगा। ऐसे में अभिभावक स्मॉर्ट फोन को लेकर परेशान हैं।
कोविड के समय स्मॉर्ट फोन की बढ़ी थी मांग
अभिभावकों का कहना है कि ऐसी स्थिति कोविड के समय भी बनी थी। जैसे तैसे वह समय काटा गया अब शीतलहर की छुट्टियां होने के बाद एक बार फिर अभिभावक स्मॉर्ट फोन के खर्चे को लेकर परेशान हैं। कोविड के समय तो ज्यादातर अभिभावक भी वर्क फ्रॉम होम कर रहे थे, जिससे उनके मोबाइल का इस्तेमाल बच्चे अपनी पढ़ाई में कर लेते थे, लेकिन अब आज की स्थिति में एक से अधिक मोबाइल रखना संभव नहीं होगा।
इस सम्बन्ध में अभिभावक कल्याण संघ के अध्यक्ष प्रदीप श्रीवास्तव का कहना हैकि स्कूल प्रबंधकों की मनमानी के चलते अभिभावक परेशान हो रहे हैं, यदि छुट्टियों में कक्षाएं नहीं होंगी तो पढ़ाई में कोई बड़ी हानि नहीं होने वाली है, इस मामले को संबंधित अधिकारियों के समक्ष उठाया जाएगा।
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