अयोध्या : बकायेदारी के बोझ तले दबा नगर निगम, 35 करोड़ की देनदारी
राज्य वित्त से मिले 5 करोड़ 43 रुपये से भी कार्यदायी संस्थाओं को भुगतान में फंसा पेंच
दो से तीन साल पुराने कार्य का भी नहीं हो रहा भुगतान, अब काम कराने में छूट रहे पसीने
अमृत विचार, अयोध्या। अयोध्या महानगर के विकास को लेकर जहां प्रदेश सरकार अपना खजाना खोलने की बात कर रही है। वहीं दूसरी ओर से रामनगरी की स्वच्छता, सुंदरता और विकास की बागडोर संभाल रहा नगर निगम अयोध्या बकायेदारी के बोझ तले दबा है। अयोध्या में राष्ट्रपति का दौरा रहा हो या प्रधानमंत्री का।
बड़े-बड़े वीआईपी का अयोध्या में आए दिन आगमन होता रहता है। इस दौरान अयोध्या साफ-सफाई सहित अन्य निर्माण कार्यों को करने के लिए दर्जनो कार्यदायी संस्थाएं लगी हुई है। लेकिन नगर निगम इन कार्यदायी संस्थाओं के भुगतान कर पाने सक्षम नहीं बन पा रहा है। निगम पर कार्यदायी संस्थाओं का करीब 35 करोड़ रुपये की देनदारी हो गयी है।
वर्ष अगस्त 2020 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रामजन्मभूमि का शिलान्यास करने आए थे। उस समय विभिन्न ठेकेदारों ने सड़क व नाला-नाली निर्माण, सफाई सहित कई कार्य कराये गये थे। इस दौरान कराये गये कार्यों का अभी तक नगर निगम पर करोड़ों रुपये का भुगतान लम्बित है। इसके अलावा 2021 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का दौरा हुआ था। उस समय भी करोड़ों रुपये का कार्य कार्यदायी संस्थाओं ने कराया था।
राज्य वित्त व निगम निधि से कराये गये कार्यों का संस्थाओं का अभी काफी भुगतान लम्बित है। इसी प्रकार से दीपोत्सव व अन्य वीआईपी दौरे के समय कराये गये कार्यों का भुगतान लम्बित है। कार्यदायी संस्थाएं भुगतान के लिए निगम के चक्कर काट रही हैं। लेकिन बजट कम होने का झुनझुना थमाकर अधिकारी अपना पल्लू झाड़ लेते हैं। निगम सूत्रों का कहना है कि कोरोना काल के पहले निगम को राज्य वित्त से हर माह 6 करोड़ से अधिक का अनुदान मिलता था उसी से निर्माण कार्य भी होते थे। लेकिन कोराना के बाद यह घट गया। कोरोना काल के बाद से कभी साढ़े चार करोड़ तो भी पांच करोड़ मिल रहा। नये साल में भी निगम को राज्य वित्त से 5 करोड़ 43 लाख ही अनुदान मिला है।
इसमें वेतन और गाड़ियों के तेल पर सर्वाधिक खर्च हैं। अब निगम को यह नहीं समझ में आ रहा है कि वह बकाया भुगतान करे या नये कार्यों का वर्क आर्डर जारी करे। विगत दिनों नगर आयुक्त विशाल सिंह ने नगर निगम के फिजूल खर्चे पर लगाम लगाने के आदेश भी दिये। यहां तक कि आउटसोर्स पर रखे गये कर्मचारियों की छटनी का भी आदेश हुआ लेकिन कार्रवाई फाइलों में ही कैद है। अब निगम को कम बजट में सफाई, निर्माण और अन्य कार्यों को कराने के लिए पर्याप्त धनराशि के लाले पड़े हुए हैं। फिलहाल 15वें वित्त से मिलने वाले अनुदान से निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
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