बाराबंकी: सीमा विवाद में फंसी फर्जी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई
इंजेक्शन के ओवरडोज से बच्ची की मौत का मामला
अमृत विचार, हैदरगढ़/ बाराबंकी। हैदरगढ़ थाना क्षेत्र के लाही बॉर्डर पर इंजेक्शन का ओवरडोज देकर दो साल की बच्ची को मौत की नींद सुला देने वाले कथित डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई का मामला सीमा विवाद में फंस गया है। बाराबंकी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा गठित की गई टीम ने डॉक्टर को ना केवल लापरवाही का दोषी पाया था। बल्कि उसके पास कोई डिग्री भी नहीं मिली थी। अब कार्रवाई के लिए जांच रिपोर्ट रायबरेली भेजी जाएगी।
लाही बॉर्डर बाराबंकी और रायबरेली जिले का बॉर्डर है। इस स्थिति का लाभ उठाकर फर्जी डॉक्टरों ने यहां कई क्लीनिक खोल लिए हैं। इनमें बच्ची को इंजेक्शन का ओवरडोज देकर मौत की नींद सुला देने वाला कथित डॉक्टर बराती लाल भी शामिल है। शासन के निर्देश पर इस डॉक्टर के क्लीनिक पर सीएचसी प्रभारी त्रिवेदीगंज डॉक्टर प्रणव श्रीवास्तव की टीम बुधवार को क्लीनिक सील करने गई थी।लेकिन सीमा विवाद के चलते वापस आ गई। प्रणव श्रीवास्तव का कहना है कि जहां पर क्लीनिक खुली है। वह क्षेत्र रायबरेली जिले में आता है इसलिए बाराबंकी सीएमओ को पत्राचार करेंगे और वह सीएमओ रायबरेली को क्लीनिक सील करके मुकदमा लिखने की कार्रवाई कराएंगे।
इस डॉक्टर के खिलाफ जांच में शामिल डॉ विकास वासवास शिक्षक राघवेंद्र ने जांच में डॉक्टर को दोषी पाया था। डॉक्टर के खिलाफ रेल गांव निवासी सत्यनाम व गुड्डू रावत ने रविवार को शिकायत दर्ज कराई थी कि उनकी मासूम बच्ची पुष्पा का संबंधित डॉक्टर द्वारा इलाज किया गया इलाज के दौरान झोलाछाप डॉक्टर ने निमोनिया की बीमारी बताकर 7 इंजेक्शन बच्ची को लगा दिए थे। जिसे कथित डॉक्टर ने स्वयं भी स्वीकार किया। डॉक्टर के पास कोई डिग्री भी नहीं है लेकिन वह अब सीमा विवाद का लाभ उठाकर बच निकलने की जुगत में है। किसी और मरीज की जान भी जा सकती है। क्योंकि डॉक्टर का क्लीनिक अभी भी चल रहा है।
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