बरेली: मशरूम की खेती कर किसानों के लिए प्रेरणा बने लालबहादुर
बरेली, अमृत विचार। पहाड़ी क्षेत्र की फसल मानी जाने वाली मशरूम की खेती अब जिले में भी होने लगी है। बड़ी संख्या में किसान अलग-अलग प्रजातियों के मशरूम का उत्पादन कर मुनाफा कमा रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से भी ग्रामीण इलाकों में किसानों को प्रशिक्षण देकर उनकी सहायता की जा रही है, ताकि उनकी आजीविका बेहतर हो सके। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के परामर्श से मशरूम की खेती करने वाले फरीदपुर के किसान लालबहादुर वर्तमान में क्षेत्र के किसानों के लिए मिसाल बन गए हैं। मशरूम की खेती ने उनके लिए तरक्की राह खोली है।
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गांव किशुर्रा निवासी लालबहादुर ने बताया कि उनके पास दो एकड़ भूमि है, जिसमें धान, गेहूं, गन्ना एवं सब्जी फसलों की खेती कर गुजर-बसर करते थे। 2014 में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की ओर से बागवानी के विभिन्न उद्यमों के बारे में जानकारी प्राप्त की, जिसमें वैज्ञानिकों की ओर से सलाह दी गई कि मशरूम उत्पादन दूरदराज गांव के क्षेत्रों के लिए बहुत अच्छा उद्यम है, इसको करके आप कम लागत में अधिक आय अर्जित कर सकते हैं।
इन सब बातों को ध्यान में रखकर उन्होंने मशरूम उत्पादन की तकनीकी जानकारी प्राप्त की और गांव में वर्ष 2014 से मशरूम उत्पादन की एक छोटी इकाई स्थापित की। शुरुआत में लागत के अनुपात में लाभ कम प्राप्त हो रहा था। इसके लिए नियमित रूप से कृषि विज्ञान केंद्र एवं आसपास के प्रगतिशील कृषकों से संपर्क बनाए रखा। वर्ष 2021 में पंद्रह सौ क्विंटल भूसे पर मशरूम की कंपोस्ट तैयार की है। जिसमें खर्च अधिक आया और लाभ कम हुआ। इस पर उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क किया एवं खर्च कम करने के तरीके सीखे। बीते वर्ष उत्पादन सामग्री को सुरक्षित रखा। दो एकड़ में 700 क्विंटल मशरूम का उत्पादन किया।
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