जिंदगी की जंग हार गया 'द किलर टाइगर' किशन, लखनऊ प्राणी उद्यान में शुक्रवार को तोड़ा दम
अमृत विचार संवाददाता, लखनऊ। किशनपुर टाइगर रिजर्व के आसपास के इलाकों में मानव जीवन के लिए खतरा बने ' द किलर टाइगर' किशन ने शुक्रवार को नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान में अंतिम सांस ली। प्राणी उद्यान के निदेशक विष्णु कांत मिश्र ने बताया कि पिछले 13 सालों से लगातार किशन का इलाज प्राणी उद्यान के वन्य जीव चिकित्सक और विशेषज्ञों द्वारा किया जा रहा था।
उन्होंने बताया कि 1 मार्च 2009 को उसे किशनपुर टाइगर रिजर्व (कांपटाडा) दुधवा नेशनल पार्क से प्राणी उद्यान लाया गया था। इसने चार आदमियों को मौत के घाट उतारने के साथ कई जानवरों का भी शिकार किया था। कई माह के अथक प्रयास के बाद वन विभाग की टीम इसे पकड़ पाई थी। प्राणी उद्यान लाकर स्वास्थ्य परीक्षण किया गया तो पता चला की यह बाघ हिमेन्जियोसार्कोनोमा नाम कैंसर से पीड़ित है।
यह कैंसर बाघ के कान एवं मुंह के पास फैला हुआ था, जिससे यह शिकार करने में पूर्ण सक्षम नहीं था और मानव जीवन के लिए खतरा बन गया। उम्र बढ़ने के साथ इसके व्यवहार में परिवर्तन आया और यह सामान्य बाघ की तरह व्यवहार करने लगा। अंतिम दिनों में यह भोजन नहीं कर पा रहा था और घूमना-फिरना भी छोड़ दिया था। प्राणी उद्यान में 13 साल रहने के बाद शुक्रवार को इसकी मौत हो गई।
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