Martand Saptami 2022 : आज है मार्तण्ड सप्तमी, जानिए इस व्रत की मान्यता और लाभ

Martand Saptami 2022 : आज है मार्तण्ड सप्तमी, जानिए इस व्रत की मान्यता और लाभ

Martand Saptami 2022 : आज 29 दिसंबर को मार्तण्ड सप्तमी व्रत है। हर साल की तरह इस साल में पौष शुक्ल सप्तमी तिथि को यह व्रत किया जाता है। रविवार का संयोग होने पर इस व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है। पुराणों में बताया गया है कि पौष शुक्ल सप्तमी तिथि के दिन ही भगवान सूर्य का एक दिव्य अवतार हुआ था जिसके बाद से सूर्य आदित्य और मार्तण्ड कहलाए। इसलिए इस दिन को मार्तण्ड और आरोग्य सप्तमी के नाम से जाना जाता है। इसदिन भगवान सूर्य की पूजा और आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य संतानवान और निरोगी होता है।

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एक समय अदिति की बहन दिति के पुत्रों जो असुर कहलाते हैं उन्होंने अदिति के पुत्रों जो देवता कहलाते हैं उन्हें पराजित करके स्वर्ग से निकाल दिया। इससे अदिति बहुत दुखी हुईं और अपने पुत्रों को फिर से स्वर्ग में स्थान दिलाने के लिए भगवान सूर्य की तपस्या करने लगीं। इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान सूर्य ने अदिति को दर्शन दिया। अदिति ने सूर्यदेव से कहा कि आप मेरे पुत्र के रूप में अवतार लीजिए और अपने भाइयों को फिर से स्वर्ग में स्थान दिलाइए। सूर्यदेव ने तथास्तु कहकर देवी अदिति के गर्भ में आना स्वीकार कर लिया।

सूर्यदेव के गर्भ में आने के बाद अदिति व्रत और तपस्या में लीन रहने लगीं। इस तरह काफी समय बीतता चला गया। अदिति का गर्भ बढता गया। काफी समय निकल जाने पर भी अदिति ने संतान को जन्म नहीं दिया तब एक दिन अदिति के पति महर्षि कश्यप ने अदिति से कहा की तुम्हारी तपस्चर्या के कारण गर्भ को नुकसान हो रहा है। अदिति को कश्यप ने और भी बहुत कुछ सुनाया। इस पर अदिति ने कहा कि यह कोई सामान्य गर्भ नहीं है बल्कि स्वयं भगवान सूर्य उनके गर्भ में हैं।

इसके बाद कश्यप से क्रोधित होकर क्रोधित सूर्यदेव अदिति के गर्भ से एक अंड के रूप में प्रकट हुए। इस अंड से दिव्य प्रकाश फूट रहा था। फिर कश्यप मुनि ने सूर्य देव की वंदना की। इससे सूर्य देव का क्रोध शांत हुआ और उस अंड से एक बालक का जन्म हुआ। अंड ले जन्म लेने के कारण सूर्यदेव मार्तण्ड कहलाए। और अदिति के गर्भ से उत्पन्न होने के कारण आदित्य भी कहलाए। मार्तण्ड ने असुरों को पराजित करके देवताओं को स्वर्ग में स्थान दिलाया।

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सूर्यदेव की पूजा के बारे में भविष्य पुराण में बहुत बिस्तार से बताया गया है। मार्तण्ड सप्तमी के दिन सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए। लाल वस्त्र धारण करके सूर्य देव को जल में रोली मिलाकर जल अर्पित करना चाहिए। सूर्य देव को लाल फूल भेंट करना चाहिए। सूर्य पुराण और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। साथ ही मार्तण्ड भगवान के जन्म की कथा भी सुननी चाहिए। गर्भवती महिलाओं को मार्तण्ड के जन्म की कथा अवश्य सुननी चाहिए इससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर सकारात्मक प्रभाव होता है।सूर्य देव को घी का दीप दिखाना चाहिए। भविष्य पुराण में बताया गया है कि जो व्यक्ति नियमित सूर्य देव की पूजा करता है और उन्हें दीप दिखाता है वह मृत्यु के बाद दीर्घ काल तक सूर्य लोक में निवास करता है।

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