विमान सेवा: परिचालन का 28 साल से इंतजार कर रहा है कोटा
कोटा (राजस्थान)। देश का कोचिंग हब कहलाने वाला शहर कोटा वाणिज्यिक उड़ान सेवाओं के परिचालन शुरू होने का पिछले 28 वर्ष से प्रतीक्षा कर रहा है जहां 1995 में इन सेवाओं को बंद कर दिया गया था। कोटा में 6000 करोड़ रुपये के कोचिंग उद्योग का केंद्र है। यहां के विभिन्न कोचिंग संस्थानों में इस साल रिकॉर्ड दो लाख विद्यार्थियों ने अपना पंजीकरण कराया है।
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कभी औद्योगिक केंद्र रहा कोटा हाल के वर्षों में देश की कोचिंग राजधानी में तब्दील हो गया है, इसके बावजदू हवाई यातायात से जुड़ना सपना ही है। औद्योगिक मंदी और यात्रियों के नहीं मिलने की वजह से वर्ष 1995 में कोटा हवाई अड्डे से वाणिज्यिक उड़ान सेवा स्थगित कर दी गई थी क्योंकि उस समय कोचिंग ने उद्योग का रूप नहीं लिया था।
कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों का कहना है कि कोटा का हवाई यातायात से नहीं जुड़ना बड़ा झटका है। एलने के प्रवक्ता नीतेश शर्मा कहते हैं, ‘‘विद्यार्थी यहां बहुत प्रतिस्पर्धी महौल में रहते हैं, परीक्षा कठिन है और उम्मीदें बहुत अधिक है। हवाई संपर्क नहीं होने की वजह से कई माता-पिता नियमित तौर पर बच्चों से मिलने नहीं आ पाते हैं।
इसी प्रकार, छुट्टी होने पर भी विद्यार्थी अकसर यहीं रहने का फैसला करते हैं क्योंकि यात्रा की अवधि लंबी होने की वजह से वे घर नहीं जाते। यह एक प्रकार से बच्चों को परिवार से मिलने वाले नैतिक बल से काटने जैसा है।’’ उनकी राय का मेडिकल पढ़ाई की तैयारी कर रहे सुचित गर्ग ने भी समर्थन किया जिनके माता-पिता भोपाल में अपना अस्पताल का परिचालन करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर है जहां से आने में साढ़े चार घंटे लगते हैं। इसलिए सप्ताहांत पर जाने की इच्छा होने पर भी वे नहीं जा सकते क्योंकि लंबी यात्रा करनी पड़ेगी। मेरे कई मित्र भी ऐसा ही मानते हैं और ट्रेन या अन्य साधनों से अधिक समय लगने की वजह से परिवार से मिलने नहीं जाते।’’
वर्ष 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जयपुर से कोटा के बीच घरेलू उड़ान शुरू की थी, लेकिन यह सात महीने भी नहीं चल सकी। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण.(एएआई) ने अप्रैल 2018 में कोटा हवाई अड्डा प्राधिकरण को विमान का परिचालन बंद करने का निर्देश दिया क्योंकि निजी विमानन कंपनी नागर विमानन निदेशालय और एएआई से अनिवार्य मंजूरी लेने में असफल रही।
राजस्थान मंत्रिमंडल ने पिछले साल कोटा में नया ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा बनाने के लिए जमीन आवंटन को मंजूरी दी थी और 1,250 एकड़ जमीन इसके लिए आवंटित की थी। हालांकि, कोटा के निवासियों का हवाई सफर का सपना भी वास्तविकता से दूर है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यात्री होने के बावजूद कोटा में विमान सेवा बहाल नहीं की जा रही है।
कोटा एयरपोर्ट संघर्ष समिति के विजय सिंह पालीवाल ने कहा, ‘‘कैसे यह मान लिया गया कि कोटा में विमान परिचालन वहनीय नहीं है? शहर में पूरे देश से दो लाख विद्यार्थी आते हैं। कोचिंग केंद्र कोटा की अर्थव्यवस्था चलाते हैं और इसके बावजूद हवाई संपर्क नहीं है। यहां तक जोधपुर, उदयपुर में हवाई अड्डे हैं लेकिन कोटा में नहीं।’’
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोटा से उड़ान सेवा शुरू करने की मांग की थी। लोकसभा अध्यक्ष और स्थानीय सांसद ओम बिरला ने भी इस साल के शुरुआत में कहा था कि नए हवाई अड्डे के निर्माण में आ रही बाधाओं को दूर किया जाएगा।
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