Year Ender 2022 : तीन नए CJI, कॉलेजियम पर विवाद, PM को क्लीन चिट, जानिए सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण जजमेंट

Year Ender 2022 Three new CJI controversy over collegium clean chit to PM know important judgment of Supreme Court

Year Ender 2022 : तीन नए CJI, कॉलेजियम पर विवाद, PM को क्लीन चिट, जानिए सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण जजमेंट

नई दिल्ली। वर्ष 2022 जाने को है और नया साल 2023 आने में अब महज 4 दिन बचे हैं। इस वर्ष ना सिर्फ देश को नए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया मिले, बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने कई  फैसले किए। 

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सुप्रीम कोर्ट में इस साल जहां कई अहम मुद्दों पर सुनवाई हुई और कई बड़े फैसले लिए गए, वहीं इतिहास में दूसरी बार कोर्ट को तीन चीफ जस्टिस मिले। इस साल कॉलेजियम प्रणाली पर सरकार के साथ टकराव के बीच सुप्रीम कोर्ट इस साल कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए।

इनमें 2002 के गुजरात दंगों में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट देने के एसआईटी के फैसले को बरकरार रखना, विवादास्पद मनी लॉन्ड्रिंग तथा प्रवेश एवं सरकारी नौकरियों में ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर तबके) के लिए 10 फीसद आरक्षण को सही ठहराने जैसे अहम फैसले सुनाए।

कॉलेजियम प्रणाली से लेकर जमानती एवं छोटी-मोटी जनहित याचिकाओं और दीर्घकालीन अदालती अवकाश तक विभिन्न मुद्दों पर कानून मंत्री किरण रिजीजू की अगुवाई में केंद्र की ओर से न्यायपालिका पर प्रहार के बाद शीर्ष अदालत ने पलटवार किया।

सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालत के लिए न्यायाधीशों के नामों को मंजूरी देने को लेकर केंद्र सरकार को खरी खोटी सुनायी और उसने यह भी कहा कि व्यक्तिगत आजादी के उल्लंघन के मामले में यदि कोर्ट कार्रवाई नहीं करे तो फिर उसका अस्तित्व ही ‘किसलिए’ है।

तीन सीजेआई: शीर्ष अदालत में 72 साल के इतिहास में 2002 के बाद दूसरी बार साल में तीन प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बने। अप्रैल, 2021 में 48 वें प्रधान न्यायाधीश बने न्यायमूर्ति एन वी रमण के सेवानिवृत होने के बाद न्यायमूर्ति यू यू ललित प्रधान न्यायाधीश बने। न्यायमूर्ति ललित की सेवानिवृति के बाद न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने नौ नवंबर को देश के 50 वें प्रधान न्यायाधीश का पदभार संभाला।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ के पिता न्यायमूर्ति वाई वी चंद्रचूड़ भी 44 साल पहले उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश थे। न्यायमूर्ति वाई वी चंद्रचूड 22 फरवरी, 1978 से 11 जुलाई, 1985 तक उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रहे थे।

तीनों प्रधान न्यायाधीशों, न्यायमूर्ति रमण, न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश पद के वास्ते 2022 में आठ नामों की सिफारिश की. उनमें से तीन उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बन गये जबकि पांच नामों को केंद्र से अब तक मंजूरी नहीं मिली है।

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अपने कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए शीर्ष अदालत ने संविधान पीठों की कार्यवाही के सीधे प्रसारण, मामलों को सूचीबद्ध करने की नयी प्रणाली बनाने, आरटीआई पोर्टल और मोबाइल ऐप का उन्नत संस्करण शुरू करने, नये साल से मामलों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए एडवोकेट एपीरियेंस पोर्टल चालू करने जैसे अहम कदम उठाये।

अहम याचिकाओं पर सुनवाई: इस साल के दौरान कई संविधान पीठें गठित की गयीं। जिन्होंने शक्तियों के बंटवारे पर दिल्ली और केंद्र के बीच विवाद, नोटबंदी, जल्लीकट्टू, महाराष्ट्र राजनीतिक संकट जैसे मामलों तथा मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की।

पीएम को क्लीन चिट: उच्चतम न्यायालय में प्रधानमंत्री से जुड़े मामले भी सुर्खियों में रहे। उच्चतम न्यायालय ने 2002 में गोधरा के बाद गुजरात में फैले दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 को एसआईटी द्वारा दी गयी क्लीनचिट को सही ठहराया।

शीर्ष अदालत ने इस साल के प्रारंभ में मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान हुई सुरक्षा चूक की जांच कराने के लिए उच्चतम न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश की अगुवाई में एक समिति गठित की. इस सुरक्षा चूक को लेकर केंद्र और पंजाब की कांग्रेस शासित तत्कालीन राज्य सरकार के बीच बड़ा राजनीतिक विवाद हुआ था।

आरक्षण पर बड़ा फैसला: अपने एक अहम फैसले में पांच न्यायाधीशों की एक पीठ ने दो के मुकाबले तीन के बहुमत से प्रवेश एवं सरकारी नौकरियों में ईडब्ल्यूएस के लिए 2019 में शुरू किये गये 10 फीसद आरक्षण को सही ठहराया। इस आरक्षण में अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणियों के गरीब शामिल नहीं हैं। उच्चतम न्यायालय ने यह कहते हुए इस फैसले को सही ठहराया कि यह संविधान की मूल धारणों का उल्लंघन नहीं करता है।

मनी लॉन्ड्रिंग: सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य अहम फैसला तब सुनाया जब उसने धनशोधन कानून के तहत धनशोधन वाली संपत्ति को कुर्क करने, तलाशी लेने और जब्त करने तथा आरोपी/संदिग्ध को गिरफ्तार करने के प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारों पर मुहर लगाई।

पेगासस केस: पेगासस के कथित अनधिकृत उपयोग को लेकर विवाद भी शीर्ष अदालत पहुंचा। उसने कहा कि उसकी समिति ने जिन 29 मोबाइलों का परीक्षण किया, उनमें से पांच में उसे मालवेयर मिले लेकिन समिति इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पायी कि क्या ऐसा इजराइली स्पाइवेयर के कारण था।

राजद्रोह कानून: वर्ष 2022 में शीर्ष अदालत ने औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून पर तब तक के लिए स्थगन लगा दिया जब तक कि एक उपयुक्त’ सरकारी मंच इसका पुन: परीक्षण नहीं कर लेता। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को तब तक इस कानून के तहत कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का निर्देश दिया।

व्यक्तिगत आजादी: नागरिकों की व्यक्तिगत आजादी को बनाये रखने पर बल देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जी एन साईंबाबा, पी वरवर राव, गौतम नवलखा और आनंद तेलतुम्बडे समेत सामाजिक कार्यकर्ताओं के मामलों को निपटाया।

शीर्ष अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईंबाबा को माओवादी संबंध मामले में बरी करने के बंबई हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी लेकिन भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी 82 वर्षीय कवि एवं सामाजिक कार्यकर्ता राव को स्वास्थ्य के आधार पर जमानत दे दी।

माओवादियों के साथ संबंध मामले में बंबई हाईकोर्ट से तेलतुम्बडे को मिली जमानत को एनआईए द्वारा दी गयी। चुनौती को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया। उसने ऐसे ही एक मामले में नवलखा को उनके बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण घर में नजरबंद करने की अनुमति दे दी।

बिल्किस बानो: बिल्कीस बानो से सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 अभियुक्तों को मिली माफी का विवाद भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और उसने अभियुक्तों को मिली माफी एवं रिहाई के मुद्दे का परीक्षण करने का फैसला किया।

कर्नाटक हिजाब विवाद: कर्नाटक हिजाब विवाद पर शीर्ष अदालत का विभक्त फैसला आया. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हिजाब पर पाबंदी को सही ठहराया था जिसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी थी। सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के विरूद्ध दायर अपील खारिज कर दी जबकि दूसरे न्यायाधीश ने कहा कि कोई पाबंदी नहीं होगी। अब प्रधान न्यायाधीश को इस विवाद पर फैसला करने के लिए बड़ी पीठ का गठन करना होगा।

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