ये है अफसरशाही: नाम बदल कर दूसरे मंत्री से शुरू करा देते हैं प्रोजेक्ट, जानें क्या है पूरा मामला
लखनऊ। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल में तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने मेडिकल कालेजों में ई-हास्पिटल सेवा की 14 अक्टूबर 2018 को शुरुआत की थी। अब वाहवाही लूटने के लिए इसी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उसी ई -हास्पिटल सेवा का नाम बदलकरहॉस्पिटल मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस) किया गया।
जिसकी शुरूआत 26 दिसंबर को उपमुख्यमंत्री व चिकित्सा शिक्षा मंत्री ब्रजेश पाठक से कराई जा रही है। विभाग के अफसर इस एचएमआईएस प्रणाली को भी प्रदेश के सभी मेडिकल कालेज में लागू कराने की बात कर रहे हैं। …यह तो एक बानगी है कि शासन में बैठे अफसर मंत्रियों को कैसे गुमराह करते हैं।
14 अक्टूबर 2018 को तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने कानपुर, झांसी, मेरठ, इलाहाबाद, आगरा व गोरखपुर मेडिकल कालेजों और केजीएमय लखनऊ, कानपुर के एलपीएस इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी व जेके कैंसर संस्थान समेत 10 चिकित्सा संस्थानों में ई-हास्पिटल प्रणाली को शुरू करने की घोषणा प्रेस कांफ्रेंस में कर चुके हैं।
उस समय आशुतोष टंडन ने कहा था कि पहले चरण में इन मेडिकल कालेजों को लेने के बाद दूसरे चरण में सभी मेडिकल कालेज और चिकित्सा संस्थानों को लेंगे। तब ई- हास्पिटल सेवा प्रणाली का साफ्टवेयर नेशनल इन्फारमेटिक्स सेन्टर (एनआईसी) ने तैयार किया था। एनआईसी ने साफ्टवेयर तैयार करने से लेकर उसे चलाने के लिए कोई पैसा नहीं लिया था।
इस प्रणाली के तहत मेडिकल कॉलेजों और कानपुर के दो चिकित्सा संस्थानों की ओपीडी में मरीजों को दिखाने के लिए अब घर बैठे ही रजिस्ट्रेशन होगा। इससे ओपीडी में में मरीजों को लाइन नहीं लगानी पड़ेगी। मरीज घर से ही डॉक्टर का अप्वाइंटमेंट ले सकेंगे। इसके साथ ही ई-हॉस्पिटल सेवा से मरीजों को ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट के साथ ही अब मरीजों का रिकॉर्ड ऑनलाइन रहेगा। मरीज की यूनीक आईडी से सभी जांच, इलाज का ब्यौरा आनलाइन होगा।
ई-हॉस्पिटल से कनेक्टेड दूसरे अस्पताल में जाने पर दोबारा जांचें नहीं करानी होंगी और डॉक्टर पीछे के इलाज व जांच का ब्योरा देख सकेगा। इससे मरीजों का समय बचेगा साथ ही रिसर्च को भी बढ़ावा मिलेगा। एडमिशन, पेशेंट ट्रांसफर, डिस्चार्ज, बिलिंग, डेथ सर्टिफिकेट सहित अन्य सेवाएं आनलाइन रहेंगी।
अब 26 दिसंबर को जिस एचएमआईएस का उपमुख्यमंत्री व चिकित्सा शिक्षा मंत्री ब्रजेश पाठक शुभारंभ कर रहे हैं, उस साफ्टवेयर में भी कमोवेश वहीं सुविधाएं हैं, जो पहले से चल रहे ई -हास्पिटल साफ्टवेयर में हैं। एचएमआईएस साफ्टवेयर को सी-डैक नाम की दूसरी कंपनी बना रही है और इसको तैयार करने और संचालन के लिए लागत करीब छह करोड़ रुपये है।
इनसेट:
ई -हास्पिटल प्रणाली पुराने मेडिकल कालेजों समेत 10 चिकित्सा संस्थानों में लागू है। अब 22 अन्य मेडिकल कालेजों में एचएमआईएस को लागू कर रहे हैं। जिसका शुभारंभ 26 दिसम्बर को है। साफ्टवेयर और हार्डवेयर के लिए केंद्र सरकार से 14 करोड़ रुपये मिले हैं। इसमें एक बड़ी रकम सी-डैक कंपनी को दी जा रही है। बाकी पैसा मेडिकल कालेजों में कंप्यूटर खरीदने में लगाया जाएगा...आलोक कुमार, प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा।
