Kanpur: Jhakarkati Bus Adda में ठिठुर रहे यात्री, रैन बसेरे का पता बताने वाले गार्ड गायब, दरवाजे पर लटकी जंजीर व्यवस्था की खोल रही पोल
Kanpur News कानपुर के झकरकटी बस अड्डे में यात्री ठंड से ठिठुर रहे है।
Kanpur News कानपुर के झकरकटी बस अड्डे में यात्री ठंड से ठिठुर रहे है। उनका रैन बसेरे का पता बताने वाला कोई नहीं है। दरवाजे पर भी जंजीर लटका दी गई है।
कानपुर, अमृत विचार। Kanpur News कहां है रैन बसेरा हमें नहीं पता...। झकरकटी बस अड्डे की ग्राउंड जीरो पड़ताल में ठिठुर रहे यात्री व्यवस्था की पोल खोल रहे थे। चंद दूरी पर रैन बसेरे का दरवाजा बंद था और काफी संख्या में यात्री बस अड्डे पर ठंड में रात गुजारने को मजबूर थे।
रात दस बजे के बाद बसों की रवानगी पर ब्रेक होने के बावजूद बसों में यात्री बैठाए जा रहे थे। कहीं अलाव के लिए सूखी जड़े जल रही थीं तो कई स्थानों पर यात्री ठंड से बचाव के लिए जतन कर रहे थे। कुर्सियों की हालत ठीक नहीं होने से यात्री जमीन पर बैठे थे।
शासन के आदेश के एक दिन बाद ही व्यवस्थाओं को धड़ाम यह हालत जिले के सबसे बड़े बस अड्डे की थी। अमृत विचार की ग्राउंड जीरो पड़ताल में बस अड्डे के प्रवेश से पहले ही पोल खुलनी शुरू हो गई। रात 11 बजकर 15 मिनट का समय था। बस अड्डे के बाहर बांदा डिपो की बस दिल्ली जाने के लिए यात्रियों को बैठा रही थी।
पूछने पर कंडक्टर ने बताया कि आदेश की जानकारी नहीं। बाहर ही अन्य पांच से छह बसों में भी यात्री सवार किये जा रहे थे। अंदर टीम पहुंची तो दिल्ली और झांसी रूट की बसों पर भी सवारी बैठाई जा रही थी। पूछने पर कंडक्टर ने कहा कि मौसम साफ दिख रहा है, इसलिए कोई समस्या नहीं है।
एआरएम और पूछताछ केंद्र की ओर पहुंचे तो काफी यात्री ठंड में ठिठुर रहे थे। कुछ बेंच पर लेटे थे तो कुछ ठिठुरते हुए रात गुजारते दिखे। कुछ गर्म राख को घेर ठंड से बचने की जुगत में थे तो कुछ मोटी जड़ों के जलने से सर्दी से बचाव कर रहे थे। कई इस वजह से खुले आसमान के नीचे थे कि उन्हें रैन बसेरा बंद मिला। इस वजह से जो बेंच कुर्सी सही सलामत स्थिति में थीं, वे सारी फुल थी, टूटी, टेढ़ी खराब कुर्सियों पर यात्री बैठने से डर रहे थे।
इस वजह से काफी संख्या में यात्री जमीन पर थे। कई को रैन बसेरे के बारे में नहीं पता था। कोई संकेत बोर्ड नहीं होने से ऐसी समस्या थी। हालांकि पड़ताल के दौरान कैमरे की फोकस लाइट देख अधिकारी भी जाग गए। परिवहन विभाग के आरएम लव कुमार और झकरकटी बस अड्डे के एआरएम केके आर्या ने फौरन गार्ड को गेट बंद कर चले जाने पर नाराजगी दिखाते हुए गेट से जंजीर खुलवाई और दरवाजा खोला।
हिदायत दी कि गेट बंद न करें और मौके पर रहें। रैन बसेरे में करीब एक दर्जन तखत बिछे थे, जिसमें कुछ खाली थे। हालांकि बस अड्डे पर काफी संख्या में बसें खड़ी थी लेकिन बस अड्डे पर शासन द्वारा दस बजे बस नहीं चलने का आदेश हवा होता दिखा।
केस-1
उरई जा रहे राम बिहारी अपनी पत्नी पूजा और अपने दो छोटे बच्चे के साथ बस्ती जिले से आये थे। जमीन पर ही बैठ गए। बोले पहले रैन बसेरा खोज रहे थे जब नहीं मिला तो किसी ने बताया कि रात दो बजे बस है, इसलिए इंतजार कर रहे हैं।
केस-2
देवी सिंह अपने दो साथी के साथ महोबा जा रहे थे। रैन बसेरे की उन्हें जानकारी नहीं थी। पूछने पर बोले रात में ठंड लग रही है। लेकिन यहां रात गुजारने को व्यवस्था नहीं दिखी। जलती राख से ठंड बचाव कर रहे हैं। रैन बसेरे के बारे में पूछताछ केंद्र में पूछा तो उन्होंने कहा हमें बस की जानकारी है।
केस-3
मथुरा से अपने परिवार के साथ गोरखपुर जा रहे देवी सिंह, अशोक और महेश भी जमीन और बेंच पर लेटकर रात गुजारने को मजबूर थे। पूछने पर बताया कि रात रैन बसेरे की ओर गए थे, लेकिन दरवाजे पर जंजीर लटकी थी। जिसके बाद बेंच पर लेट गए। ठंड लग रही है। कोई कह रहे हैं कि सुबह चार बजे तक बस मिल जाएगी।
ये कैसे आदेश
- रात दस बजे के एक घंटे बाद भी बस में बैठाए जा रहे थे यात्री
- कहीं लोग ठिठुर रहे थे तो कहीं अलाव में जड़े जल रही थीं
- लोहे की कुर्सियां टूटी और अव्यवस्थित मिलीं
- रैन बसेरा तक पहुंचने या जानकारी के लिए कोई सुविधा नहीं
- जो यात्री बेंच पर कंबल ओढे थे, उन्हें भी रैन बसेरे में नहीं पहुंचाया
