विरोधियों के नापाक मंसूबों को विफल करने के लिए अत्याधुनिक हथियारों से लैस हो रहा है भारत : सरकार
नई दिल्ली। सरकार ने संसद की एक उच्च स्तरीय समिति को बताया कि भारत अपने बलों को नवीनतम अत्याधुनिक एवं नई पीढ़ी के हथियारों और उपकरणों से लैस कर रहा है ताकि विरोधियों के किसी भी नापाक मंसूबों को विफल करने के लिये पूरी तरह से तत्पर रहा जा सके।
लोकसभा में 14 दिसंबर को पेश हुई कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी की अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति (पीएसी) की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने रक्षा मंत्रालय से यह पूछा, नवीनतम प्रौद्योगिकीय हथियारों और उपकरणों के मामले में चीन की तुलना में हमारी स्थिति क्या है और हम अपने सशस्त्र बलों के लिये स्वदेशी हथियारों और अन्य आयुध आवश्यक्ताओं को कब तक विकसित करने में सक्षम हो सकते हैं ? रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा मंत्रालय ने बताया कि भारत अपने बलों को नवीनतम अत्याधुनिक एवं नयी पीढ़ी के हथियारों और उपकरणों से उत्तरोत्तर लैस कर रहा है ताकि हमारे विरोधियों के किसी भी नापाक मंसूबों को विफल करने के लिये पूरी तरह से तत्पर रहा जा सके ।
इस पर मंत्रालय ने समिति को बताया कि चीन अंतरिक्ष और साइबर स्पेस में अभियान को संचालित करने के लिये क्षमताओं के विकास के अलावा युद्ध-संघर्ष, अनुमानित सैनिक संख्या और परमाणु प्रतिरोधक क्षमताओं में सुधार के लिये सैन्य आधुनिकीकरण के प्रयासों को आगे बढ़ा रहा है।
मंत्रालय ने बताया कि चीन ने पश्चिमी प्रशांत महासागर के भीतर वायु, समुद्री, अंतरिक्ष और सूचना क्षेत्र में लंबी दूरी पर तैनात या संचालित हो सकने वाले प्रतिकूल बलों पर हमला करने के लिये अपनी क्षमताओं को विकसित करना जारी रखा है और अत्याधुनिक हथियारों एवं उपकरणों के विकास पर जोर देता रहा है।
इसमें बताया गया है कि चीन कृत्रिम बुद्धिमता, रोबोटिक्स सहित यूएवी, ड्रोन, क्वांटम कम्प्यूटिंग और संचार, युद्धाम्यास वाहन, निर्देशित ऊर्जा हथियार, हाइपरसोनिक गाइडेड व्हीकल, काउंटर स्पेस हथियारों के क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रहा है।
साथ ही इसमें यह भी कहा गया कि चीन ने सैन्य क्षेत्र में प्रौद्योगिकी विकास के लिये नये कार्यक्रम भी शुरू किये हैं । मंत्रालय ने कहा कि चीन का प्रमुख प्रतिद्वन्द्वी हालांकि अमेरिका है लेकिन अनसुलझे सीमा विवादों के साथ चीन की बढ़ती सैन्य क्षमता के अंतर से भारत को अवगत रहना चाहिए ।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति को बताया गया कि सैन्य क्षेत्र में प्रौद्योगिकी विकास एवं क्षमता दोहन में भारत के प्रवेश में चीन की तुलना में देरी हुई है। साथ ही यह भी बताया गया कि भारत में पिछले कुछ वर्षो में इस क्षेत्र को उच्च प्राथमिकता दी गई है तथा तकनीकी अनुसंधान एवं विकास, समावेशन और स्वदेशी विकास/उच्च तकनीकी सैन्य हार्डवेयर का उत्पादन शुरू किया गया है।
मंत्रालय ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत- मेक इन इंडिया पहल ने भारतीय रक्षा उद्योग को बढ़े हुए अवसरों के साथ सशक्त बनाया है, साथ ही स्वदेशी रूप से रक्षा अनुसंधान विकास में वित्त पोषण में वृद्धि की सुविधा प्रदान की है।
ये भी पढ़ें : Startup शुरू करने के लिए बेहतर समय क्या है ? भारत आकर Google के CEO Sundar Pichai ने बता दिया