मुरादाबाद : 199 लाख रुपये की लागत से बना प्लास्टिक सर्जरी एवं बर्न यूनिट दिखावा, सीएम योगी ने 15 फरवरी 2021 को किया था लोकार्पण

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Published By Bhawna
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बिना प्लास्टिक सर्जन के यूनिट की उपयोगिता नहीं, वार्डों में भर्ती हो रहे मरीज , प्लास्टिक सर्जरी के लिए दिल्ली लखनऊ दौड़ रहे हैं मरीज

विनोद श्रीवास्तव, मुरादाबाद। मंडल मुख्यालय के जिला अस्पताल में 199 लाख रुपये की लागत से बना प्लास्टिक सर्जरी एवं बर्न यूनिट मरीजों के लिए निरर्थक साबित हो रहा है। इस यूनिट का लोकार्पण 15 फरवरी 2021 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुके हैं। लेकिन, इसमें आज तक इलाज के मुकम्मल इंतजाम नहीं हो पाए। यूनिट की रीढ़ प्लास्टिक सर्जन की ही तैनाती अभी तक नहीं हो पाई है। जिससे मरीज लखनऊ, दिल्ली की दौड़ लगाने को मजबूर हैं। 

वैसे तो इस साल स्वास्थ्य विभाग को ऑक्सीजन प्लांट, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, हेल्थ एटीएम मिलने से चिकित्सीय सेवाओं में सुधार हुआ, लेकिन कई महत्वाकांक्षी परियोजनाएं आज भी अधूरी हैं। जिसकी टीस आने वाले साल में लोगों को सालती रहेगी। इनमें से प्लास्टिक सर्जरी एंड बर्न यूनिट भी है। उत्तर प्रदेश में चिकित्सा सेवाओं के विस्तार और सुदृढ़ करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही पहल की। कोरोना काल में ही जिला अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट, कोविड अस्पताल के 
साथ ही 199 लाख रुपये की  लागत से प्लास्टिक सर्जरी एंड बर्न यूनिट बनकर तैयार हुआ।

इसका निर्माण कार्यदायी संस्था निर्माण खंड रुहेलखंड-1, उप्र आवास एवं विकास परिषद ने कराया। भवन बनकर तैयार हुआ तो मुख्यमंत्री के हाथों इसका लोकार्पण करा दिया गया। करीब दो साल में अब तक यहां न तो प्लास्टिक सर्जन की तैनाती शासन स्तर से हुई न अन्य स्टाफ भेजा गया। दो महीने पहले आपातकालीन वार्ड में भर्ती होने वाले बर्न के मरीजों को इस भवन में दस बेड के वार्ड में रखा जाने लगा। हालांकि अलग से ईएमओ न होने से आपातकालीन ड्यूटी पर रहने वाले चिकित्सक ही यहां भी समय निकाल कर मरीजों की देखभाल करने आते हैं। लेकिन आज भी यहां प्लास्टिक सर्जरी की सुविधा नहीं है। इसके लिए मरीजों को दिल्ली-लखनऊ की दौड़ लगानी पड़ती है। 

तत्कालीन पंचायती राज मंत्री भी थे लोकार्पण के साक्षी
प्लास्टिक एंड बर्न यूनिट के वर्चुअल लोकार्पण के स्थानीय स्तर पर साक्षी तत्कालीन पंचायती राज मंत्री व वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, जल शक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह के अलावा नगर विधायक रितेश गुप्ता, विधान परिषद सदस्य जयपाल सिंह आदि भी थे। इन जन प्रतिनिधियों ने भी इस यूनिट में प्लास्टिक सर्जन की तैनाती की पहल नहीं की। जिससे इस भवन का उपयोग भले ही जिस रूप में हो लेकिन, प्लास्टिक सर्जन की तैनाती के बगैर यह सार्थक नहीं है। 

सरकारी मेडिकल कॉलेज की मांग भी नहीं हुई पूरी 
मंडल मुख्यालय पर सरकारी मेडिकल कॉलेज की टीस लोगों को है। यहां पर एक निजी मेडिकल कॉलेज है। मगर किसी भी मरीज की हालत गंभीर रहने पर उसे मेरठ मेडिकल कॉलेज ही रेफर किया जाता है। जिससे मरीजों का समय और धन दोनों अधिक लगता है। ऊपर से जाने में जान पर जोखिम भी बढ़ता है। 

जिला अस्पताल में प्लास्टिक एंड बर्न सर्जन की तैनाती महानिदेशालय और शासन स्तर से होनी है। इसके अलावा न्यूरो सर्जन भी नहीं हैं। दस बेड के इस यूनिट में बर्न के मरीजों को भर्ती कर सामान्य सर्जन से इलाज करा रहे हैं। प्लास्टिक सर्जन के न होने से प्लास्टिक सर्जरी नहीं हो रही है। -डॉ. राजेंद्र कुमार, चिकित्सा अधीक्षक जिला अस्पताल

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