मुरादाबाद : दो माह बाद भी अधर में लटकी एसआईटी की जांच, अधिकारी नहीं ले रहे रुचि  

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Published By Bhawna
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एसआईटी जांच के नाम पर पुलिस की चुप्पी, उत्तराखंड की सीमा लांघने में जांच टीम कर रही परहेज

मुरादाबाद, अमृत विचार।  सनसनीखेज व हाईप्रोफाइल घटनाओं को पी जाने की कला कोई पुलिस से सीखे। सफेदपोशों की खुशामदगी में सिद्धहस्त यूपी पुलिस फिलहाल उत्तराखंड के भरतपुर गांव की उस घटना को भूल चुकी है, जिसने खाकी का मान मर्दन करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। दुस्साहस की पराकाष्ठा पार करने वाले उन खनन माफिया के चेहरे अब तक साफ नहीं हो सके, जिन्होंने ठाकुरद्वारा थाना प्रभारी व एसएसपी की एसओजी टीम के प्रभारी समेत मुरादाबाद पुलिस को जान बचाकर वहां से भागने पर मजबूर कर दिया। खनन माफिया की कारगुजारी को उजागर करने की मंशा से गठित एसआईटी टीम की जांच दो माह बाद भी अधर में लटकी है। एसआईटी की सुस्त चाल पुलिस के उच्चाधिकारियों की मंशा पर गंभीर सवाल खड़ा करती है। 

विगत 12 अक्टूबर की देर शाम मुरादाबाद पुलिस यूपी की सीमा लांघ कर खनन माफिया के आका के घर पहुंच गई। अनजाने में ही सही 50 हजार रुपये के इनामी जफर अली का पीछा करते-करते पुलिस उत्तराखंड के भरतपुर गांव पहुंची। वहां गुरताज भुल्लर की असलियत का पता पुलिस को तब चला, जब खनन माफिया ने सीधी मुठभेड़ में खाकी पर ताबड़तोड़ फायर झोंक दिए। खनन माफिया व उनके गुर्गों ने मुरादाबाद के तीन पुलिसकर्मियों को पकड़ कर उनके पैर में गोली मारी। 

ठाकुरद्वारा के तत्कालीन थाना प्रभारी व एसओजी टीम के प्रभारी को जान बचाकर वहां से भागना पड़ा। खनन माफिया व उनके गुर्गों की कारगुजारी ने शासन तक को झकझोर दिया। माफिया पर दबाव बनाने की कोशिश में ठाकुरद्वारा पुलिस ने उनके खिलाफ हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया। इसके पूर्व ठाकुरद्वारा के तत्कालीन उपजिलाधिकारी रामानंद व खान निरीक्षक अशोक कुमार से तिकोनिया मोड़ पर खनन माफिया की बदसलूकी का केस पहले से ही दर्ज था। दोनों ही केस की विवेचना के लिए तत्कालीन एसएसपी ने एसआईटी का गठन किया। जांच की जिम्मेदारी एसपी ग्रामीण की निगरानी में सात इंस्पेक्टर व दरोगा के कंधे पर सौंपी गई। एसआईटी गठन बाद उम्मीद जगी कि खनन माफिया का चेहरा जल्द बेनकाब होगा। 

दुस्साहस की पराकाष्ठा पार करने वाले जल्द ही जेल की सलाखों में होंगे। मजे की बात यह है कि दीपावली के ठीक पहले मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों का बयान भी एसआईटी ने दर्ज कर लिया। अब इंतजार एसआईटी के घटना स्थल तक जाने का होने लगा। चौंकाने वाली बात यह रही कि पूर्व एसएसपी के तबादले के साथ ही हाईप्रोफाइल प्रकरण को महकमे के उच्चाधिकारियों ने ठंडे बस्ते में डाल दिया। सूत्रों के दावों पर गौर करें तो उच्चाधिकारियों ने एसआईटी को यूपी की सीमा न लांघने की सख्त हिदायत दी है। ऐसे में यह सवाल अनुत्तरित रहने का अनुमान है कि खनन माफिया जफर अली का पनाहगार कौन था?

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