पांचों राफेल विमान वायुसेना के बेड़े में शामिल, जानें इस बाहुबली की खासियत

Amrit Vichar Network
Published By Amrit Vichar
On

अंबाला। भारतीय वायुसेना की आकाश में मारक क्षमता को और पैनापन देने के लिए बुधवार को पांच राफेल लड़ाकू विमान उसके बेड़े में शामिल किये गये। फ्रांस से उड़ान भरने के बाद पांचों राफेल लड़ाकू विमान हरियाणा के अंबाला एयरबेस में लैंड हुए, जहां उनका स्वागत वाटर सैल्यूट के साथ किया गया। इस दौरान वायुसेना …

अंबाला। भारतीय वायुसेना की आकाश में मारक क्षमता को और पैनापन देने के लिए बुधवार को पांच राफेल लड़ाकू विमान उसके बेड़े में शामिल किये गये। फ्रांस से उड़ान भरने के बाद पांचों राफेल लड़ाकू विमान हरियाणा के अंबाला एयरबेस में लैंड हुए, जहां उनका स्वागत वाटर सैल्यूट के साथ किया गया। इस दौरान वायुसेना चीफ आर.के.एस. भदौरिया भी मौजूद रहे।

अत्याधुनिक राफेल विमानों ने गत सोमवार को फ्रांस के शहर बोर्डो स्थित में मेरिनैक एयर बेस से उड़ान भरी थी। करीब 7000 किमी की उड़ान के दौरान इन विमानों को हवा में ही रिफ्यूल किया गया। ये विमान मंगलवार को संयुक्त अरब अमिरात के अल दफ्रा एयरबेस पर उतरे थे।

बुधवार पूर्वाहन इन्होंने 11 बजे भारत के लिये उड़ान भरी और भारतीय सीमा में इनके प्रवेश करते ही दो सुखोई एमकेआई30 विमान इनकी सुरक्षा के लिये आसमान में पहुंच गये और लगभग साढ़े चार घंटे के सफर के बाद इन्हें सुरक्षित अम्बाला वायु सेना केंद्र लेकर पहुंचे। राफेल विमानों ने वायु सेना केंद्र पर इनके लिये विशेष रूप से निर्मित हवाई पट्टी पर सुरक्षित लैंडिंग की। इन विमानों को वायुसेना के 17वीं स्क्वाड्रन के हिस्से के रूप में शामिल किया जाएगा जिसे अम्बाला वायु सेना केंद्र एयर बेस पर ‘गोल्डन एरो’ के रूप में भी जाना जाता है।

हर तरह की युद्धक क्षमता वाले राफेल विमानों को मिट्योर और स्कॉल्प क्रूज मिसाइलों तथा मीका हथियार प्रणाली जैसे शक्तिशाली हथियारों से लैस किया जा सकता है। राफेल को उड़ा कर लाने वाले पायलटों को फ्रांस में ही लगभग तीन माह का विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। वहीं इन विमानाें के आगमन के दृष्टिगत पर बड़ी संख्या में लोगों के जुटने और सुरक्षा के दृष्टिगत वायु सेना स्टेशन के आसपास के धूलकोट, बलदेव नगर, गरनाला और पंजोखड़ा समेत वायु सेना केंद्र के आसपास के क्षेत्रों में निषेधाज्ञा लागू कर चार या अधिक लोगों के जमा होने, घरों की छतों पर आने, वीडियाेग्राफी और फोटाेग्राफी करने, तीन किलोमीटर के दायरे में ड्रोन उड़ाने पर पाबंदी लगा दी गई थी।

राफेल विमानों की पहली खेप भारत को ऐसे समय मिली है जब उसका चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव चल रहा है। राफेल के वायु सेना बेड़े में शामिल होने से उसकी युद्ध क्षमता तथा भारत की ताकत में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। राफेल विमानों को फ्रांस के साथ वर्ष 2016 में हुये लगभग 60 हजार करोड़ रुपये के रक्षा सौदे के हिस्से के रूप में शामिल किया जा रहा है। भारत को सौदे के तहत अभी 31 और राफेल विमान मिलने हैं।

फ्रांस की दसां के साथ नरेंद्र मोदी सरकार ने 36 राफेल विमान खरीदने के लिए 59 हजार करोड़ रुपये का सौदा किया है और पहली खेप के रूप में पांच विमान आज पहुंचे। दूसरी खेप में पांच और राफेल अगले कुछ महीनों में आ जाएंगे। उम्मीद है कि 2022 तक सभी 36 राफेल भारत को मिल जायेंगे। इन विमानों को वायुसेना की गोल्डन ऐरो 17 स्क्वाड्रन में शामिल किया जाएगा।

फ्रांस में पिछले साल अक्टूबर में पहला राफेल भारत को सौंपा गया था और इस समारोह में शामिल होने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह वहां गए थे। राफेल की पहली खेप को फ्रांस से भारत लाने का नेतृत्व ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह ने किया है। राफेल वर्तमान दौर में विश्व में सबसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान माना जाता है।

वर्तमान में जब गलवान में भारतीय सैनिकों और चीन के सैनिकों के संघर्ष के बाद इस पड़ोसी देश से रिश्ते अत्यंत तनावपूर्ण हो चुके हैं, राफेल जेट फाइटर का भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होना संजीवनी से कम नहीं है। राफेल को भारत की आवश्यकता के हिसाब से कई और मारक क्षमताओं से लैस कराया गया। राफेल विमान को उड़ाने के साथ ही इसके रखरखाव के लिये भी वायुसेना के अधिकारियों-इंजीनियरों ने कई महीने फ्रांस में रहकर दक्षता हासिल करने के लिए प्रशिक्षण हासिल किया है।

पहली खेप मे पांच राफेल लड़ाकू विमानों में तीन एक और दो डबल सीट वाले हैं। राफेल का कॉम्बैट रेडियस 3700 किलोमीटर है। कॉम्बैट रेडियस वह दायरा होता है जिसमें विमान अपने उड़ानस्थल से जितनी दूर जाकर सफलतापूर्वक हमला कर लौट सकता है। भारत ने अपनी जरूरत के लिहाज से इसमें हाईली ऐजिल माड्यूलर म्यूनिशन एक्सटेंडेड रेंज (हैमर) मिसाइल फिट करवाई हैं, जो कम दूरी के लिये इस्तेमाल की जाती हैं। इस मिसाइल की आकाश से भूमि पर मारक क्षमता काफी कारगर साबित हो सकती है।

हैमर को मुख्यतः बंकर अथवा कुछ छुपे हुए स्थानों को तबाह करने में इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में पूर्वी लद्दाख की पहाड़ियों में युद्ध की स्थिति में ये मिसाइल काफी मददगार साबित होंगी। भारत को प्राप्त होने वाले राफेल में तीन तरह की मिसाइल लगाई जा सकती हैं। एक हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर, दूसरी हवा से पृथ्वी में मार करने वाल स्कैल्प और हैमर मिसाइल। इन मिसाइलों से लैस होने के बाद राफेल का सामना कर पाना दुश्मन के लिये टेढ़ी खीर होगा।

राफेल 60 सेकंड अर्थात एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है और 55000 फुट ऊंचाई से हमला करने में सक्षम है। इस मामले में चीन के जे-20 और पाकिस्तान के एफ-16 राफेल के आगे कहीं नहीं टिकते हैं। दो इंजन वाले इस जेट फाइटर में हवा में भी ईंधन भरने की सुविधा है। राफेल की अधिकतम गति 2223 किलोमीटर और लंबाई 15 मीटर है और इसका भार 9979 किलोग्राम है।

ऐसा कहा जा रहा है कि राफेल को एक सप्ताह के भीतर अपने मुकाम पर तैनात कर दिया जायेगा। दुश्मन के राडार को जाम करने की क्षमता रखने वाला राफेल एक साथ सौ किलोमीटर के दायरे में 40 लक्ष्यों को साध सकता है। गलवान घटना के बाद चीन के साथ एलओसी को लेकर उत्पन्न तनाव के बीच राफेल को उत्तर भारत में वायुसेना के सबसे महत्वपूर्ण एयरबेस में से एक अंबाला पर उतारा जा रहा है। इसका मुख्य ध्येय यह है कि यदि जरूरत पड़ती है तो तुरंत राफेल का इस्तेमाल किया जा सकेगा। ब्रह्मोस ,सुखोई, जगुआर के बाद राफ़ेल से अम्बाला एयरबेस की शान और बढ़ गई है।

संबंधित समाचार